भोपाल। अब मध्य प्रदेश की महिलाएं भी फैक्ट्री, शॉपिंग मॉल, बाजार और अन्य प्रोडक्शन यूनिट्स में रात की शिफ्ट में काम कर सकेंगी। राज्य सरकार ने महिलाओं को रात के समय काम करने की सशर्त अनुमति दे दी है। इस निर्णय को राज्य के आर्थिक विकास और महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कई कड़े प्रावधान भी किए गए हैं।
सरकार का मानना है कि यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा और उद्योगपतियों को अपनी यूनिट्स का संचालन बेहतर ढंग से करने का अवसर देगा। इससे प्रदेश के औद्योगिक विकास को भी रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
यह हैं जरूरी शर्तें:-
महिला कर्मचारी की लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा।
कार्यस्थल पर कम से कम पांच महिला कर्मचारी ड्यूटी पर होनी चाहिए।
नियोक्ता को महिलाओं के लिए टॉयलेट, वॉशरूम, भोजन, पेयजल और विश्राम कक्ष की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा।
रात की ड्यूटी के दौरान महिला कर्मचारियों को पर्याप्त परिवहन सुविधा देना होगा, जिससे वे घर से कार्यस्थल और वापस सुरक्षित आ-जा सकें।
कार्यस्थल तक पहुंचने के रास्तों में लाइट और सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे।
महिला कर्मचारियों के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर महिला सुरक्षा गार्ड्स की तैनाती आवश्यक होगी।
यदि किसी यूनिट में महिला कर्मचारियों के लिए भोजन और रुकने की व्यवस्था हो, तो वहां महिला वार्डन या सुपरवाइजर की मौजूदगी जरूरी होगी।
कार्यस्थल पर ‘लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम, 2013’ के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
दुकानों और शोरूम में 10 या अधिक महिला कर्मचारी होनी चाहिए
राज्य श्रम विभाग ने दुकान और स्थापना अधिनियम, 1958 में संशोधन कर रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक महिलाओं की ड्यूटी को मान्यता दी है। हालांकि, उस दुकान या शोरूम में कम से कम 10 महिला कर्मचारियों की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है।
फैक्ट्रियों में भी रात में काम कर सकेंगी महिलाएं
कारखानों में भी महिलाओं के लिए रात की ड्यूटी का रास्ता अब खुल गया है। सरकार ने 26 जून 2016 के पुराने नियमों को समाप्त करते हुए यह निर्णय लिया है कि महिलाएं चाहें तो रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक फैक्ट्रियों या प्रोडक्शन यूनिट्स में काम कर सकती हैं। इन जगहों पर सुपरवाइजर, शिफ्ट इनचार्ज, फोरमैन जैसे जिम्मेदार पदों पर काम कर रहे लोगों में कम से कम एक तिहाई महिलाएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स भोपाल के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि महिलाओं को रात में काम की अनुमति देना एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने कहा कि “महिलाओं की सुरक्षा इस फैसले का मूल है। यदि रात में वे ड्यूटी पर जाती हैं, तो उनकी सुरक्षित आवाजाही और कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाना चाहिए।”
उन्होंने ने यह भी कहा कि इससे केवल उद्योग और व्यापार को लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि महिलाओं और उनके परिवारों को भी आर्थिक और सामाजिक संबल मिलेगा।