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दलित महिला को थाने में कपड़े उतरवाकर तलाशी, पानी मांगा तो मिला शौचालय का पानी! — केरल पुलिस पर गंभीर आरोप

थिरुवनंतपुरम — केरल की राजधानी थिरुवनंतपुरम में एक 39 वर्षीय दलित महिला बिंदु को झूठे चोरी के आरोप में न केवल गिरफ्तार किया गया, बल्कि पुलिस हिरासत में अमानवीय मानसिक प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ा। यह मामला सामने आने के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है और विपक्ष ने मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) और पुलिस महकमे पर तीखा हमला बोला है।

चोरी का झूठा आरोप और हिरासत में उत्पीड़न

बिंदु, जो एक घरेलू कामगार हैं और चुल्लिमनूर की रहने वाली हैं, पर उनके मालिक ने 23 अप्रैल को एक सोने की चेन चोरी करने का आरोप लगाया। इस शिकायत के आधार पर पेरूरकडा पुलिस ने उन्हें फोन कर थाने बुलाया। थाने पहुंचने पर पीड़िता ने बार-बार कहा कि वह निर्दोष है, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी।

बिंदु के अनुसार, एक महिला पुलिस अधिकारी ने उन्हें एक कमरे में ले जाकर उनके कपड़े उतरवाए और तलाशी ली। फिर पुलिस उन्हें उनके घर ले गई और वहां भी तलाशी ली गई। इस दौरान उन्हें परिवार से बात करने की इजाजत नहीं दी गई, न ही भोजन और पानी दिया गया।

बिंदु ने मीडिया से बातचीत में बताया, "जब मैंने पानी मांगा तो एक पुलिसकर्मी ने कहा – 'शौचालय जाओ और वहां से पी लो'।"

रातभर हिरासत में, बेटियों को फंसाने की धमकी

बिंदु ने बताया कि उन्हें पूरी रात थाने में रखा गया और अगली सुबह तक पूछताछ जारी रही। FIR दर्ज कर ली गई और पुलिस ने उन्हें धमकाया कि यदि उन्होंने चोरी स्वीकार नहीं की, तो उनकी नाबालिग बेटियों को भी मामले में फंसा दिया जाएगा।

बाद में जब घर की मालकिन और उनकी बेटी दोबारा थाने पहुंचीं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें 'माफ' कर दिया गया है। कुछ समय बाद पता चला कि चोरी हुई सोने की चेन घर में ही मिल गई थी, और शिकायतकर्ता ने खुद स्वीकार किया कि आरोप झूठा था।

CMO में शिकायत की अनदेखी

जब बिंदु ने एक वकील की मदद से मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी. सासी को लिखित शिकायत दी, तो उनका दावा है कि सासी ने न तो शिकायत पढ़ी और न ही कोई आश्वासन दिया। बिंदु ने कहा, "उन्होंने कहा कि ऐसा तो होता ही है और मुझे कोर्ट में जाने की सलाह दे दी।"

हालांकि बाद में CMO की ओर से सफाई दी गई कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया गया था। लेकिन बिंदु के अनुसार, उन्होंने CMO से यह भी आग्रह किया था कि उनके ऊपर झूठा आरोप लगाने वाली महिला पर केस दर्ज किया जाए, जिसे खारिज कर दिया गया।

विपक्ष और सामाजिक संगठनों का आक्रोश

विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, "यह महज एक अलग घटना नहीं है, बल्कि दलितों के साथ सत्ता-तंत्र द्वारा हो रहे अन्याय की मिसाल है। दोषी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"

पूर्व गृह मंत्री तिरुवनचूर राधाकृष्णन ने इसे "अमानवीय" बताया और कहा कि प्रगतिशील समाज में ऐसी घटनाओं की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सनी जोसेफ और AIDWA (अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति) की राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.के. श्रीमथी ने भी इस घटना की निंदा की है। श्रीमथी ने कहा, "किसी भी महिला के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। यह पुलिसिया क्रूरता की मिसाल है।"

पुलिसकर्मी निलंबित, BNSS कानून का उल्लंघन

पुलिस आयुक्त थॉमसन जोस द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि बिंदु की गिरफ्तारी में कई प्रक्रियात्मक गलतियाँ हुईं। जांच में पाया गया कि पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रावधानों का उल्लंघन किया – जिसमें महिलाओं को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार करना मना है, जब तक कि मजिस्ट्रेट की अनुमति न हो।

पुलिस ने न तो उनके परिवार को गिरफ्तारी की जानकारी दी और न ही अदालत में कोई स्पष्टीकरण दिया कि आपातकालीन स्थिति में गिरफ्तारी क्यों जरूरी थी।

इन गंभीर लापरवाहियों के आधार पर पेरूरकडा थाने के सब-इंस्पेक्टर एसजी प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है।

न्याय की माँग

बिंदु ने मुख्यमंत्री, राज्य पुलिस प्रमुख और अनुसूचित जाति आयोग को शिकायतें दी हैं और अब न्यायालय का रुख करने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने न केवल उनके साथ जातीय भेदभाव किया बल्कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।

बिंदु ने कहा, “मैंने कुछ पुलिसवालों को पहचान लिया है। मैं कोर्ट जाऊँगी। मुझे इंसाफ चाहिए।”

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