नई दिल्ली- दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता और टिप्पणीकार अभिजीत अय्यर-मित्रा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, जिन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री की महिला पत्रकारों को "वेश्या" जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया था। सुनवाई के दौरान, न्यायधीश पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने अय्यर-मित्रा के वकील जय अनंत देहाद्राई के साथ तीखी बहस की और चेतावनी दी कि यदि ट्वीट्स तुरंत नहीं हटाए गए तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया जा सकता है।
न्यूज़लॉन्ड्री की ओर से वकील बानी दीक्षित ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल, जो विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाली मेहनती महिला पत्रकार हैं, के खिलाफ अय्यर-मित्रा के ट्वीट्स न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि आलोचना की सीमा से परे हैं। दीक्षित ने अदालत में ट्वीट्स के कुछ हिस्सों को पढ़ा, जिन्हें उन्होंने इतना आपत्तिजनक बताया कि उन्हें जोर से पढ़ना भी मुश्किल था। उन्होंने कहा, "महिलाएं जो पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं, उनके खिलाफ इस तरह की भाषा अस्वीकार्य है।"
दीक्षित ने अदालत को बताया कि अय्यर-मित्रा के ट्वीट्स में छह से सात पोस्ट शामिल हैं, जो न केवल व्यक्तिगत हमले हैं, बल्कि संगठन और उससे जुड़े पत्रकारों की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं। उन्होंने कहा, "ये ट्वीट्स न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि पत्रकारिता के पेशे को बदनाम करने का भी प्रयास करते हैं।"
Today, the Delhi HC made it clear that Abhijit Iyer Mitra’s tweets are unacceptable. He has to take it down. His lawyer tendered apology and said will take down in 5 hours. I want to ask journalists who get him on panels, what is your excuse? A few samples pic.twitter.com/25bwtXkwjc
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) May 21, 2025
अदालत की तीखी प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान, अय्यर-मित्रा के वकील देहाद्राई ने ट्वीट्स का बचाव करने की कोशिश की और दावा किया कि ये ट्वीट्स किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ नहीं थे, बल्कि न्यूज़लॉन्ड्री संगठन के कथित संदिग्ध फंडिंग स्रोतों पर टिप्पणी थीं। इस पर न्यायधीश कौरव ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "यदि ये ट्वीट्स किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं, तो इन्हें सार्वजनिक मंच पर डालने का क्या उद्देश्य है? क्या आप 'वेश्यालय' जैसे शब्द का अर्थ समझते हैं? किसी के संदिग्ध फंडिंग स्रोतों पर सवाल उठाने का मतलब यह नहीं कि आप ऐसी भाषा का उपयोग कर सकते हैं।"
न्यायधीश ने देहाद्राई को चेतावनी दी कि वे "अति चतुर" होने की कोशिश न करें और कहा, "आपके हर तर्क पर बार-बार हस्तक्षेप करने की कोशिश से अदालत नाराज है। यदि आप इस भाषा का बचाव करते हैं, तो हम एक संवैधानिक अदालत के रूप में स्वत: संज्ञान लेते हुए आपके खिलाफ आपराधिक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं।"
ट्वीट्स हटाने का वादा
जब देहाद्राई ने दलील दी कि न्यूज़लॉन्ड्री के पास आपराधिक मामले में कार्रवाई करने का विकल्प है और सिविल दावा केवल उन्हें चुप कराने का प्रयास है, तो अदालत ने और सख्ती दिखाई। न्यायधीश ने कहा, "कोई भी सभ्य समाज ऐसी भाषा को बर्दाश्त नहीं कर सकता। पहले ट्वीट्स हटाइए, फिर हम आपकी दलीलें सुनेंगे।"
लंबी बहस के बाद, देहाद्राई ने माफी मांगी और बिना किसी पूर्वाग्रह के यह स्वीकार किया कि उनके मुवक्किल ने शब्दों का चयन गलत किया था। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि अय्यर-मित्रा अगले पांच घंटों के भीतर सभी आपत्तिजनक ट्वीट्स हटा लेंगे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "ट्वीट्स में इस्तेमाल की गई भाषा किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि यह भाषा अनुचित और अपमानजनक है।" अदालत ने यह भी नोट किया कि देहाद्राई ने माना कि उनके मुवक्किल को बेहतर शब्दों का चयन करना चाहिए था। आदेश के अनुसार, अय्यर-मित्रा को पांच घंटे के भीतर ट्वीट्स हटाने होंगे, और अगली सुनवाई में इसकी प्रगति की समीक्षा की जाएगी। अदालत ने इस वादे को रिकॉर्ड पर लिया और मामले की अगली सुनवाई 26 मई को निर्धारित की।