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UP News: गैंगरेप पीड़िता के नवजात की रहस्यमयी मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला चौंकाने वाला राज़

उत्तर प्रदेश: वाराणसी के चौबेपुर इलाके में गैंगरेप पीड़िता से जन्मी पांच दिन की बच्ची की रविवार सुबह मौत हो गई। डॉक्टरों की टीम द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि मौत का कारण मिल्क एस्पिरेशन था। इस स्थिति में दूध सांस की नली और फेफड़ों में चला जाता है, जिससे शिशु की जान चली जाती है।

पूरे मामले में अब तक क्या हुआ?

गैंगरेप के इस मामले में पुलिस ने अब तक सात आरोपियों को पकड़ा है, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस ने 28 जून को नन्हान पाल उर्फ़ मोहित कुमार पाल और एक नाबालिग आरोपी को हिरासत में लिया गया था। बच्ची के जन्म (25 अगस्त) के बाद पीड़िता के परिवार ने शिकायत की कि आरोपी उन्हें धमका रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज की।

इसके बाद, 27 अगस्त को सौरभ यादव और 28 अगस्त को एक और नाबालिग को गिरफ्तार किया गया। 29 अगस्त को प्रमोद पाल और अंकित पकड़े गए। 30 अगस्त (शनिवार) को एक अन्य नाबालिग आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार सभी नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा गया।

आरोपी के पिता की मौत

शनिवार को जब पुलिस ने अंतिम नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार किया, तो उसका बीमार पिता सदमे में आ गया। परिजनों का कहना है कि बेटे की गिरफ्तारी की खबर सुनते ही वह चारपाई से गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। हालांकि पुलिस का कहना है कि मृतक पहले से गंभीर बीमारी का इलाज करा रहे थे।

बच्ची की हालत और मौत

चौबेपुर थाने के प्रभारी अजीत कुमार वर्मा ने बताया कि पीड़िता डिलीवरी के बाद अपने मामा के घर रह रही थी। वहां उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी तैनात था। परिजनों ने पुलिस को जानकारी दी कि शनिवार रात तक बच्ची बिल्कुल ठीक थी, लेकिन रविवार तड़के उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

पुलिसकर्मियों ने तुरंत इसकी सूचना चौबेपुर थाना प्रभारी को दी। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। वरुणा ज़ोन के डीसीपी प्रमोद कुमार ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने जांच में मिल्क एस्पिरेशन को मौत का कारण माना है।

अस्पताल प्रबंधन पर जांच

जानकारी के अनुसार, 25 अगस्त को पीड़िता ने अस्पताल जाते वक्त ही बच्ची को जन्म दिया था। दोनों की हालत सामान्य होने पर 26 अगस्त को दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

इस पर सवाल उठने लगे कि क्यों मां-बच्ची को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में निगरानी में नहीं रखा गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमएस डॉ. आर.एस. राम ने जांच समिति बनाई। जांच में यह तथ्य सामने आया कि परिवार ने डॉक्टरों से आग्रह किया था कि मां और बच्ची को घर ले जाने की अनुमति दी जाए, जिसके बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

पीड़िता के साथ क्या हुआ था?

यह घटना जून में सामने आई थी, जब 16 वर्षीय पीड़िता की सेहत बिगड़ने पर परिजनों ने उसे डॉक्टर को दिखाया। जांच में उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई थी। जब परिवार ने दबाव डाल कर पूछा तो पीड़िता ने बताया कि नन्हन पाल और उसके साथियों ने लगभग छह महीने पहले उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया था।

पीड़िता के पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ और मां बोलने में असमर्थ हैं। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया और 28 जून को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। डॉक्टरों ने गर्भपात कराने से मना कर दिया क्योंकि प्रेग्नेंसी अंतिम चरण में थी।

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