मणिपुर हिंसा के 2 साल: 3 मई को 'पृथकता दिवस' के रूप में मनायेगा कुकी-जो समुदाय, जानिये क्या है इनके लिए 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' का महत्व?

04:32 PM Apr 23, 2025 | Geetha Sunil Pillai

इंफाल- मणिपुर के कुकी-जो समुदाय के हितों को प्रतिनिधित्व देने वाले आदिवासी संगठन आईटीएलएफ ने 3 मई को 'पृथकता दिवस' के रूप में मनाने का आह्वान किया है। यह दिन मेइतेई समुदाय से "दो साल की पूर्ण अलगाव" की स्मृति को समर्पित होगा।

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह शोक दिवस चुराचंदपुर जिले के तुइबुओंग स्थित 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' पर मनाया जाएगा, जो 3 मई 2023 को शुरू हुए जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी-जो लोगों की याद में बनाया गया है। यह दीवार सामूहिक दुःख, सहनशक्ति और एकता का प्रतीक है।

आईटीएलएफ ने कहा, "यह कार्यक्रम जातीय संघर्ष के पीड़ितों की याद और श्रद्धांजलि का दिन होगा, जिसने कुकी-जो समुदाय को गहराई से प्रभावित किया है। इसमें प्रार्थनाएं, पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए संदेश, एक मुख्य भाषण, संगठनात्मक रिपोर्ट्स और विभिन्न आदिवासी नेताओं के भाषण शामिल होंगे।"

पारंपरिक शोक समारोह 'जांगनाडोपना'

इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा 'जांगनाडोपना' समारोह होगा, जो कुकी-जो और मेइतेई समुदायों के बीच हुए संघर्ष में मारे गए लोगों के सम्मान में एक पारंपरिक शोक अनुष्ठान है।

आईटीएलएफ ने कहा, "इस दिन कोई बंद नहीं होगा, लेकिन कार्यक्रम की गरिमा और सुचारू संचालन के लिए वॉल ऑफ रिमेंबरेंस के आसपास यातायात प्रतिबंधित रहेगा।" संगठन ने समुदाय के सभी वर्गों से इस आयोजन में भाग लेने की अपील की है।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

मई 2023 से अब तक मणिपुर में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। हालांकि 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में स्थिति शांत रही है, लेकिन कुकी-जो और मेइतेई समुदाय एक-दूसरे के इलाकों में जाने से बच रहे हैं या उन्हें प्रतिबंधित किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि मणिपुर शांत है और कुकी व मेइतेई समुदायों के बीच संवाद शुरू हो चुका है। हालांकि, आईटीएलएफ का यह आयोजन दर्शाता है कि समुदायों के बीच विश्वास बहाली का रास्ता अभी लंबा है।

क्या है 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस'?

'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' एक स्मारक दीवार है, जिसे कुकी-ज़ो समुदाय ने अपने उन सदस्यों की स्मृति में बनाया है, जो 3 मई, 2023 को मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में मारे गए। यह हिंसा ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा आयोजित 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान शुरू हुई थी, जो मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में निकाली गई थी। इस संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान गई, हजारों घायल हुए, और लगभग 50,000 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए।

यह दीवार चुराचांदपुर के तुइबुओंग में स्थित है और स्थानीय लोगों के लिए एक ऐसा स्थान है, जहां वे अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। खबरों के मुताबिक, लोग यहां मृतकों की याद में प्रार्थना करने और शांति की कामना करने आते हैं। यह स्मारक न केवल शोक का प्रतीक है, बल्कि कुकी-ज़ो समुदाय की एकजुटता और उनके संघर्ष को भी दर्शाता है।

इस हिंसा ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ। चुराचांदपुर, जो कुकी-ज़ो समुदाय का गढ़ है, इस हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा। 'वॉल ऑफ रिमेंबरेंस' इस दुखद दौर की याद दिलाता है और समुदाय के लिए एक भावनात्मक केंद्र के रूप में काम करता है।