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डूंगरपुर में आदिवासी बालिकाएं सड़ा-गला खाना खाने को मजबूर, बाप सांसद ने TAD मंत्री को कहा- "धर्म का चूर्ण खाकर सोये मत रहो..."

डूंगरपुर- जिले के एसबीपी कॉलेज भवन के पीछे बने अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास में छात्राओं को लम्बे समय से खराब भोजन खाने को मजबूर किया जा रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही इन बालिकाओं को खुद ही खाना बनाना पड़ रहा है, क्योंकि छात्रावास प्रशासन द्वारा उन्हें साफ और पौष्टिक भोजन नहीं दिया जा रहा। इस मामले में छात्राओं ने हाल ही में कलेक्टर से शिकायत की और सबूत दिखाए, जिसके बाद कलेक्टर ने ट्राइबल एरिया डेवलपमेंट (TAD) अधिकारियों को जांच के आदेश दिए। मामला उजागर होने के बाद भारत आदिवादी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी को कड़े शब्दों में छात्राओं की स्थिति को लेकर निशाना बनाया है।

रोत ने x पर किये पोस्ट में लिखा, " आदिवासी कल्याण के लिये सरकारे करोड़ो-अरबो खर्च करने का दावा करती है, लेकिन हकीकत वह पैसा भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाता है। यही हाल है राजस्थान के भाजपा राज में बहुउद्देश्यीय आदिवासी बालिका छात्रावास डूंगरपुर का, जहां व्यवस्था खस्ताहाल और भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। बालिकाएं सड़ा-गला खाना खाने को मजबूर है। TAD मंत्री बाबूलाल खराड़ी धर्म का चूर्ण खाकर सोये मत रहो। आपकी उदासीनता की वजह से आपके कार्यकाल के अंतर्गत आने वाले TAD विभाग के छात्रावासों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है, अभी भी वक्त है नींद से अतिशीघ्र जागे और ऐसे भ्रष्ट वार्डनों व सामग्री सप्लायरों पर तत्काल कार्यवाही करें।"

रोत ने टीएडी मंत्री को पत्र लिखा है जिसमे बताया कि डूंगरपुर स्थित बहुउद्देश्यीय आदिवासी बालिका छात्रावास में लंबे समय से खराब गुणवत्ता का, कीड़े लगा एवं हानिकारक भोजन परोसा जा रहा है जिससे हाल ही में कई छात्राएं गंभीर रूप से बीमार हुई थी, साथ ही छात्रावास में साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, बिजली, सुरक्षा तथा शैक्षणिक सुविधाओं का अभाव है। वार्डन एवं कुक-हेल्पर नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते, जिसके कारण छात्राएं स्वयं रोटियाँ बनाने को मजबूर हैं।

इसके अतिरिक्त, छात्रावास में पिछले एक वर्ष से सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े है, पुस्तकालय और कम्प्यूटर जैसी मूलभूत शैक्षणिक सुविधाएं नहीं हैं। नियमानुसार वार्डन को छात्रावास में निवास करना आवश्यक है, परंतु वे प्रतिदिन शाम 06 बजे के बाद स्वंय के घर चली जाती हैं। छात्रावास की अधिकृत क्षमता 100 छात्राओं की है, रिकोर्ड में 100 छात्राओं की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर करा अनियमितता की जाती है जबकि उक्त होस्टल में वर्तमान में मात्र 50-60 छात्राएं ही अध्ययनरत हैं, जब छात्राओं द्वारा उक्त सभी मामलों की शिकायत करने की बात कहीं जाती है तो उन्हें हॉस्टल से निकालने और की धमकिया दी जाती है।

रोत ने उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने तथा दोषी वार्डन, भोजन आपूर्तिकर्ता, कुक-हेप्लर, एवं संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की। इस मामले में टीएडी उपायुक्त एसपी कस्वा ने मीडिया को बताया कि छात्राओं की रिपोर्ट पर विभाग ने हॉस्टल में प्रारम्भिक जांच की और पाया कि वहां छात्राओं से काम कराया जा रहा है और चौकीदार भी नहीं है। सप्ताह में एक दिन मीठे भोजन का प्रावधान है वह भी नहीं दिया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू कर दी है।

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