+

बेंगलुरु में मजदूरी कर पाया MBBS एडमिशन: कोर्स पूर्ण होने पर ओडिशा का 19 वर्षीय शुभम बनेगा अपनी पंचायत का पहला डॉक्टर

भुवनेश्वर- ओडिशा के एक 19 वर्षीय आदिवासी युवक शुभम सबर की कहानी सच्ची लगन और मेहनत की जीत की मिसाल है। पिछले कुछ महीनों से बेंगलुरु के एक निर्माण स्थल पर मजदूरी कर रहे शुभम ने जून में नीट-यूजी (NEET-UG) की परीक्षा पास की थी और अब उन्हें ओडिशा के बेरहामपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया है।

शुभम ने बताया, "जब सर का फोन आया और पता चला कि मैं नीट पास कर गया हूं, तो मैं खुशी से फूट पड़ा। मैंने तुरंत अपने परिवार वालों को बताया कि अब मैं डॉक्टर बनूंगा।"

ओडिशा के खुरदा जिले के बाणपुर ब्लॉक के मुदुलिधिया गांव के रहने वाले शुभम के पिता एक छोटे किसान हैं। शुभम ने दसवीं की पढ़ाई अपने गांव के स्कूल से पूरी की। इसके बाद, उच्च शिक्षा के लिए वह भुवनेश्वर के प्रतिष्ठित बीजेबी कॉलेज से जुड़े। यहां उन्होंने ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। शुरुआत में स्वयं पढ़ाई करने वाले शुभम ने बाद में गणित और रसायन विज्ञान की ट्यूशन ली, जिसका परिणाम उनके 12वीं के अच्छे अंकों के रूप में सामने आया।

इस दौरान, उनके शिक्षकों ने उन्हें नीट की परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, आर्थिक तंगी एक बड़ी बाधा थी। परिवार पर पहले से ही आर्थिक बोझ था और डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले शुभम ने इसे अपनी इच्छाशक्ति से पार किया। पैसों की कमी को पूरा करने के लिए शुभम बेंगलुरु चले गए, जहां उन्होंने एक फैक्ट्री में मजदूरी की। इस कठिन दौर में भी उन्होंने हार नहीं मानी और दिन-रात मेहनत करते रहे। इसी पैसों से शुभम ने नीट कोचिंग का भुगतान किया और MBBS एडमिशन के लिए जमा किए ।

उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें नीट में एसटी श्रेणी में 18,212वीं रैंक हासिल हुई। इस सफलता का श्रेय वह अपने शिक्षकों, विशेष रूप से वासुदेव सर और देवदत्त सर को देते हैं, जिन्होंने उनका मार्गदर्शन किया।

शुभम की मां एक गृहिणी हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके गांव और पंचायत में चार साल से कोई डॉक्टर नहीं हुआ है। शुभम का डॉक्टर बनना न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समुदाय के लिए गर्व की बात है।

उनकी सफलता समाज के हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद बड़े सपने देखता है। शुभम का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल पढ़ाई करना ही नहीं, बल्कि समाज को वापस देना और लोगों की सेवा करना है। निश्चित रूप से उनका यह सफर और भी सफल होगा।

Trending :
facebook twitter