सवाई माधोपुर- राजस्थान के सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर जिलों के 76 गांवों के आदिवासी और स्थानीय समुदाय राम जल सेतु लिंक परियोजना (पूर्व में पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) के तहत प्रस्तावित डूंगरी बांध के निर्माण का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
इस परियोजना के तहत बनास नदी पर बनने वाले इस बांध से 76 गांवों के डूबने और लाखों लोगों के विस्थापन का खतरा है। इस मुद्दे पर 6 जुलाई को सवाई माधोपुर जिले के खण्डार तहसील के ग्राम डूंगरी (कुटी) में सर्व समाज महापंचायत का आयोजन किया गया है, जिसमें तीनों जिलों के लाखों किसानों और ग्रामीणों के शामिल होने की संभावना है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने बिना स्थानीय समुदायों और ग्राम पंचायतों की सहमति के ही बांध निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनका कहना है कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 13(2) और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। अनुच्छेद 13(2) मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, जिसमें जीने का अधिकार शामिल है, जबकि अनुच्छेद 19 भाषण, अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण सभा की स्वतंत्रता प्रदान करता है। ग्रामीणों का तर्क है कि 76 गांवों को जबरन उजाड़ना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
डूंगरी बांध की क्षमता 1600 मिलियन क्यूबिक मीटर रखना प्रस्तावित है, जो बीसलपुर बांध से डेढ़ गुना ज्यादा है। नदी से बांध की ऊंचाई 24.50 मीटर रहेगी और 1500 मीटर लम्बाई होगी। बीसलपुर बांध के छलकने के बाद ओवरफ्लो पानी डूंगरी बांध में आएगा। इसके अलावा कालीसिंध और पार्वती नदी का पानी भी सीधे बांध तक पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है। यहां से अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर में लाखों लोगों के पानी की जरूरत पूरी हो सकेगी।
लेकिन स्थानीय समुदाय बाँध निर्माण से खफ़ा है, उनका कहना है कि डूंगरी बांध से उनकी पहचान, संस्कृति, और आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है। विरोध प्रदर्शन के आयोजकों ने बताया कि इस परियोजना से 76 गांवों की उपजाऊ कृषि भूमि, प्राकृतिक जल स्रोत, प्राचीन मंदिर-मस्जिद, कुएं-बावड़ियां, और जल-जंगल-जमीन पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। इसके अलावा, रणथम्भौर टाइगर रिजर्व और कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य का 22 से 37 वर्ग किलोमीटर हिस्सा भी डूब क्षेत्र में आ सकता है, जिससे पर्यावरण और वन्यजीवों को गंभीर नुकसान होगा।
आदिवासी और दलित समुदायों का कहना है कि यह बांध न केवल उनकी जमीन और आजीविका छीनेगा, बल्कि उनकी सात पीढ़ियों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी मिटा देगा।
इस मामले में जल संसाधन विभाग के कनिष्ठ अभियंता दीपक कुमार प्रजापत कहते हैं बांध निर्माण के लिए फिलहाल केवल सर्वे ही किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण व डूब क्षेत्र में गांवों के आने से ग्रामीणों की ओर से विरोध किया जा रहा है। अभी डूंगरी बांध का निर्माण शुरू नहीं हुआ है। इसके बनने में करीब चार साल का समय लगेगा।