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MP: भोपाल में पहली बार ट्राइबल इन्फ्लुएंसर मीट का आयोजन, एक्सपर्ट सिखाएंगे कैसे बढ़ेगी आमदनी

भोपाल। राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित ट्राइबल म्यूज़ियम में पहली बार "ट्राइबल सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मीट" और डिजिटल मार्केटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम (30 और 31 मई) का शुभारंभ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया।

यह आयोजन प्रदेशभर के उन आदिवासी युवाओं को एक मंच प्रदान कर रहा है जो सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पहचान बना रहे हैं और अपनी कला, संस्कृति, और परंपराओं को डिजिटल दुनिया में स्थान दिला रहे हैं। वर्कशॉप में विभिन्न जिलों से चयनित सोशल मीडिया पर सक्रिय आदिवासी युवा भाग ले रहे हैं।

सोशल मीडिया बना प्रतिभा दिखाने का माध्यम

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, "टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया आज हमारी सबसे बड़ी ताकत बन चुके हैं। इनके माध्यम से हम अपनी छुपी हुई प्रतिभा और अपने समाज की गौरवशाली गाथाओं को पूरी दुनिया के सामने रख सकते हैं।"

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रानी दुर्गावती जैसी वीरांगना की गाथा को वह प्रसिद्धि नहीं मिल पाई, जो झांसी की रानी को मिली, क्योंकि उनके प्रचार-प्रसार में अंतर था। "अगर रानी दुर्गावती की कहानी को आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर सामने लाए, तो दुनिया भी उनके बलिदान से परिचित होगी।"

देवी अहिल्या उत्सव के अवसर पर विशेष महत्व

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह आयोजन तब और भी खास हो गया है जब देवी अहिल्या महोत्सव पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कल देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म दिवस है, जिसे भव्य रूप में मनाया जाएगा और इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भोपाल आ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस बार कार्यक्रम में बहनों की भागीदारी विशेष रूप से बड़ी संख्या में देखने को मिलेगी और जनजातीय समुदाय के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।

सोशल मीडिया पहचान और आमदनी दोनों का जरिया

मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह सशक्त आर्थिक मंच बन चुका है। उन्होंने कहा, "हम अपने मोबाइल से भी आमदनी कमा सकते हैं। सोशल मीडिया हमें दुनिया से जोड़ने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने का रास्ता भी देता है। प्रधानमंत्री मोदी भी समय-समय पर इसकी ताकत को रेखांकित करते हैं।"

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस दो दिवसीय वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य आदिवासी युवाओं को डिजिटल कौशल से लैस करना है:-

  • अपनी कला, संस्कृति, भाषा और इतिहास को सोशल मीडिया पर प्रस्तुत कर सकें

  • अपने प्रतिभा को पहचान और आमदनी में बदल सकें

  • जनजातीय समाज के मुद्दों को रचनात्मक और प्रभावशाली ढंग से प्रचारित कर सकें

  • डिजिटल माध्यम से रोजगार के नए अवसर पा सकें

इस वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों को कंटेंट क्रिएशन, डिजिटल ब्रांडिंग, इंस्टाग्राम/यूट्यूब की रणनीतियां, स्टोरीटेलिंग, और ऑनलाइन कमाई जैसे विषयों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके साथ ही स्थानीय भाषाओं और परंपराओं को डिजिटल माध्यम से संरक्षित और प्रचारित करने की तकनीकें भी सिखाई जा रही हैं।

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