logo

MP: पेसा कानून का उल्लंघन कर खोली गई शराब दुकान, विधायक डोडियार ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

04:39 PM Apr 13, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा क्षेत्र के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर आदिवासी क्षेत्र में खोली गई शराब दुकान को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कुंदनपुर ग्राम पंचायत में पेसा कानून का उल्लंघन कर खोली गई शराब दुकान को जल्द बंद नहीं किया गया, तो उनका क्षेत्र उग्र आंदोलन की राह पकड़ सकता है।

विधायक ने पत्र में स्पष्ट किया कि सैलाना विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा अनुसूचित क्षेत्र में आता है। यह क्षेत्र भील आदिवासियों की बहुलता वाला इलाका है, जो पहले से ही शराब माफियाओं, भू-माफियाओं और सूदखोरों के शिकंजे में फंसा हुआ है। ऐसे में, क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को बचाए रखने के लिए पेसा कानून के प्रावधानों का पालन आवश्यक है, लेकिन प्रशासन इसके विपरीत कार्य कर रहा है।

कमलेश्वर डोडियार ने बताया कि ग्राम कुंदनपुर, जो कि बजाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वहाँ लक्ष्मी ट्रेडर्स नामक फर्म ने अवैध रूप से शराब दुकान शुरू कर दी है। इस दुकान की स्थापना से पूर्व न तो ग्रामसभा से अनुमति ली गई और न ही कोई अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्रस्तुत किया गया। जबकि पेसा कानून के तहत यह अनिवार्य है कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि—विशेषकर शराब जैसी संवेदनशील वस्तु की बिक्री—की अनुमति नहीं दी जा सकती।

Trending :

विधायक ने यह भी बताया कि गांव के लोगों ने दिनांक 20 मार्च 2025 और 4 अप्रैल 2025 को तहसील कार्यालय बाजना एवं सहायक आबकारी आयुक्त रतलाम को लिखित रूप से आपत्ति दी थी। इन आपत्तियों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि ग्राम कुंदनपुर में शराब दुकान खोले जाने का विरोध किया जा रहा है और ग्रामसभा ने इसके लिए कोई सहमति नहीं दी है। बावजूद इसके, प्रशासन ने आमजन की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए शराब दुकान खोलने की अनुमति दे दी।

डोडियार ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में शराब के कारण लगातार सामाजिक बुराइयां बढ़ रही हैं। हत्या, दुर्घटनाएं, महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। इन घटनाओं की जड़ में शराब की आसान उपलब्धता और प्रशासन की लापरवाही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सब प्रशासन के संरक्षण में हो रहा है, जो बेहद शर्मनाक है।

उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की कि कुंदनपुर में खुली शराब दुकान को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए और इस प्रक्रिया को निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो वे खुद क्षेत्र की महिलाओं, युवाओं और ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि “मेरे क्षेत्र की जनता अब चुप नहीं बैठेगी। यह केवल शराब की दुकान का विरोध नहीं है, यह हमारे अधिकारों, संस्कृति और संविधान की रक्षा की लड़ाई है।”

डोडियार ने अपने पत्र के माध्यम से यह भी याद दिलाया कि भारत सरकार ने वर्ष 1996 में पेसा कानून बनाया था ताकि आदिवासी इलाकों में स्वशासन की व्यवस्था हो सके। इसके तहत मध्यप्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2022 में पेसा नियम लागू किए हैं, जिसमें यह प्रावधान है कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। ऐसे में, कुंदनपुर में शराब दुकान खोलना पूरी तरह से असंवैधानिक और आदिवासी समुदाय के साथ अन्याय है।

द मूकनायक से बातचीत में विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि कुंदनपुर गांव में बिना ग्रामसभा की अनुमति के शराब दुकान खोलना पेसा कानून का सीधा उल्लंघन है। यह आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने बताया कि ग्रामसभा ने इस दुकान का विरोध किया है और लिखित आपत्ति भी दी है, लेकिन प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी।

डोडियार ने कहा कि शराब ने आदिवासी समाज को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है। इससे अपराध बढ़ रहे हैं, महिलाओं के खिलाफ हिंसा हो रही है और युवा पीढ़ी बर्बादी की ओर जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे गांव की महिलाओं और युवाओं के साथ मिलकर आंदोलन करेंगे। यह सिर्फ एक दुकान का नहीं, बल्कि संस्कृति और अधिकारों की रक्षा का सवाल है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन संविधान और कानून का सम्मान करते हुए इस अवैध दुकान को तुरंत बंद कराएगा और ग्रामसभा की संप्रभुता को बहाल करेगा। अन्यथा, आंदोलन तय है और इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

प्रदेशभर में हो रहा कानून का उल्लंघन

द मूकनायक से बातचीत में एक्टिविस्ट एडवोकेट सुनील आदिवासी ने बताया कि मध्यप्रदेश के कई आदिवासी क्षेत्रों में पेसा कानून का पालन नहीं हो रहा है। यह कानून संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों को स्वशासन का अधिकार देता है। इसके अनुसार किसी भी व्यापारिक गतिविधि, खासकर शराब जैसी संवेदनशील चीजों की शुरुआत ग्रामसभा की अनुमति के बिना नहीं हो सकती।

एडवोकेट सुनील का कहना है कि प्रशासन अक्सर ग्रामसभा को सिर्फ औपचारिकता मानकर नजरअंदाज करता है, जिससे आदिवासी समुदाय के अधिकार कमजोर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेसा कानून का उद्देश्य केवल विकास नहीं, बल्कि आदिवासियों की संस्कृति, संसाधन और सामाजिक संरचना की रक्षा करना भी है। ऐसे में शराब दुकानों जैसे निर्णय बिना ग्रामसभा की सहमति के लेना कानून और संविधान दोनों का उल्लंघन है।