MP: छिंदवाड़ा में आदिवासी युवक की वनरक्षक ने की बेरहमी से पिटाई, दो डंडे टूटे! SC/ST एक्ट में FIR दर्ज

11:26 AM Jul 12, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ थाना क्षेत्र के कुंभपानी वन परिक्षेत्र अंतर्गत सिंगारदीप जंगल से आदिवासी युवक को बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है, जहां सागौन की लकड़ी चोरी के शक में एक आदिवासी युवक की कथित रूप से वनरक्षक द्वारा बेरहमी से पिटाई की गई। पीड़ित युवक के शरीर पर चोट के गहरे निशान हैं, वहीं आरोपी वनरक्षक पर SC/ST एक्ट सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

क्या है मामला?

सिंगारदीप गांव के रहने वाले 22 वर्षीय आदिवासी युवक शिवपाल उईके ने बताया कि वह 7 जुलाई को अपने घर के लिए जलाने की लकड़ी लेने जंगल गया था। लौटते समय उसे खेत के पास वनरक्षक संजय नामदेव ने रोक लिया। शिवपाल का आरोप है कि बिना कोई सवाल पूछे, वनरक्षक ने उस पर लाठियों से हमला कर दिया। पिटाई इतनी बेरहम थी कि दो डंडे टूट गए और उसके शरीर पर गंभीर चोटें आईं। पीड़ित ने आरोप लगाते हुए लहै, "उन्होंने मेरी आंख के पास, पीठ, हाथ और पैरों पर डंडों से मारा। बिना पूछे ही मुझे दोषी ठहरा दिया गया।"

यह मामला सामने आने के बाद क्षेत्रीय विधायक सुजीत चौधरी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चौरई एसडीओपी भारती जाट के साथ पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इस दौरान पीड़ित परिवार डरा-सहमा नजर आया। विधायक चौधरी ने वन विभाग की इस कार्यशैली पर नाराजगी जताई और पीड़ित को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

आरोपी वनरक्षक के खिलाफ दर्ज हुई FIR

बिछुआ थाना प्रभारी मोहन सिंह मर्सकोले ने बताया कि शिवपाल की शिकायत पर वनरक्षक संजय नामदेव के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 296, 115(2) (हत्या का प्रयास), 351(3) और SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(द) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

वन परिक्षेत्र अधिकारी मार्तण्ड मरावी ने बताया कि घटना की जानकारी लगते ही आरोपी वनरक्षक को बीट से हटा दिया गया है। साथ ही मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा, “जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

वनरक्षक बोला- नहीं मारा, बस पकड़ा था

आरोपी वनरक्षक संजय नामदेव ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि 7 जुलाई को युवक को तीन सागौन के लट्ठों के साथ खेत में पकड़ा गया था। उसे रेंज ऑफिस लाया गया, मेडिकल करवाया गया और जुर्माना लगाकर 8 जुलाई को छोड़ दिया गया।

ग्रामीणों में आक्रोश!

गांव के सरपंच ज्ञानलाल उईके ने कहा कि आरोपी वनरक्षक पहले भी एक युवक की पिटाई कर चुका है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आदिवासी समाज जनआंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने कहा, “इस तरह की बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आदिवासी समाज अब चुप नहीं बैठेगा।”

आदिवासी एक्टिविस्ट व अधिवक्ता सुनील कुमार आदिवासी ने द मूकनायक से कहा, "यह कोई पहली घटना नहीं है, जब किसी आदिवासी युवक को जंगल की लकड़ी के नाम पर बेवजह पीटा गया हो। वन विभाग और प्रशासन आदिवासी समुदाय पर लगातार अत्याचार कर रहा है। हमारे समाज को अपराधी मानकर बर्ताव किया जा रहा है, जो संविधान और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।"

उन्होंने आगे कहा, "हम यह साफ करना चाहते हैं कि अगर आरोपी वनरक्षक पर जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो हम इस अत्याचार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और अधिकारों की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है।"