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MP में ओबीसी महासभा का प्रदेशव्यापी आंदोलन: जातिगत जनगणना और 27% आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोग

भोपाल। मध्य प्रदेश में गुरुवार को ओबीसी महासभा ने प्रदेश के सभी जिलों में जिला स्तरीय आंदोलन किया। इस आंदोलन के तहत जिलों में विशाल रैलियां निकाली गईं और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे गए। ओबीसी महासभा ने यह प्रदर्शन अन्य पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर किया, जिसमें जातिगत जनगणना और पूर्ण 27 प्रतिशत आरक्षण की प्रमुख मांगें शामिल थीं।

छतरपुर जिले में ओबीसी महासभा ने छत्रसाल चौराहे से मेला ग्राउंड होते हुए एक रैली निकाली और जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। महासभा ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और राज्य व राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के नाम ज्ञापन भेजते हुए अपनी तीन प्रमुख मांगों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की।

प्रमुख मांगें:-

  • 2025 की जनगणना में जातिगत जनगणना अनिवार्य रूप से कराई जाए।

  • मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को पूर्ण 27 प्रतिशत आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।

  • शासकीय भर्तियों में ओबीसी वर्ग के लिए 13 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक हटाई जाए और लंबित नियुक्तियों को तुरंत पूरा किया जाए।

भोपाल में घेराव की तैयारी!

महासभा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि आगामी 15 दिनों में इन मांगों पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो 28 जुलाई को राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया जाएगा। इस बड़े प्रदर्शन में प्रदेशभर से ओबीसी समाज के युवा, महिलाएं, बुद्धिजीवी वर्ग, समाजसेवी और संगठन के कार्यकर्ता शामिल होंगे।

चंदला से कांग्रेस विधायक आर.डी. प्रजापति ने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा, “जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ही स्वयं ओबीसी वर्ग से हैं, तब भी समाज को उसका संवैधानिक हक नहीं मिल रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या 52 प्रतिशत से अधिक है, फिर भी समाज सिर्फ 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है, जिसे भी सरकार पूरा नहीं कर पा रही।

जातिगत जनगणना पर बनी सहमति, लेकिन कार्रवाई शून्य

ओबीसी महासभा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री द्वारा जातिगत जनगणना की घोषणा के बावजूद मध्यप्रदेश सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। महासभा का कहना है कि जातिगत जनगणना ही वह आधार है, जिससे यह प्रमाणित हो सकेगा कि किस वर्ग की कितनी संख्या है और उन्हें कितना प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

प्रदेशभर में जिला स्तर पर हुए आंदोलन

प्रदेश के कुछ जिलों में आंदोलन में सैकड़ों की संख्या में ओबीसी समाज के लोग शामिल हुए। खास बात यह रही कि रैलियों में युवाओं के साथ महिलाओं और समाजसेवियों की भी सक्रिय भागीदारी दिखी। प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किए गए, लेकिन लोगों के चेहरे पर सरकार की नीतियों के प्रति गुस्सा साफ दिखाई दिया।

ओबीसी महासभा की कोर कमेटी के सदस्य धर्मेंद्र कुशवाहा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यह आंदोलन समाज की मजबूरी नहीं, बल्कि अधिकारों के लिए जनचेतना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग आज भी सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर पिछड़ा हुआ है, जबकि उनकी जनसंख्या का आंकड़ा बहुसंख्यक में है। ऐसे में 27 प्रतिशत आरक्षण उनका संवैधानिक अधिकार है, जिसे किसी भी कीमत पर छीना नहीं जाने दिया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार ने ओबीसी समाज की मांगों को नजरअंदाज किया, तो यह आंदोलन और उग्र रूप लेगा। "ओबीसी समाज अब जाग चुका है, और जब तक जातिगत जनगणना नहीं कराई जाती, लंबित नियुक्तियों पर कार्रवाई नहीं होती और आरक्षण लागू नहीं होता, तब तक यह आंदोलन चरणबद्ध रूप से चलता रहेगा।"

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