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10 साल की लंबी लड़ाई के बाद मिली जीत, हाई कोर्ट के आदेश पर दलित महिला बनेगी पुलिस कांस्टेबल

हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में दलित महिला के हक में मुहर लगाते हुए राज्य सरकार को उन्हें पुलिस कांस्टेबल के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि महिला की नियुक्ति अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण और स्थानीय कोटे के तहत की जानी चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

यह कहानी हैदराबाद के गौलीगुड़ा में रहने वाली के. संगीता की है, जिन्होंने साल 2015 में स्टाइपेंडरी कैडेट ट्रेनी सिविल पुलिस कांस्टेबल और आर्म्ड रिजर्व कांस्टेबल पदों के लिए आवेदन किया था। सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बावजूद, उन्हें यह कहकर नियुक्ति देने से मना कर दिया गया कि वह एक 'गैर-स्थानीय उम्मीदवार' हैं। इस फैसले ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया।

अदालत में न्याय की गुहार

भर्ती बोर्ड के इस फैसले से निराश हुए बिना संगीता ने न्याय के लिए कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया। उन्होंने साल 2017 में तेलंगाना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस निर्णय को चुनौती दी।

पहले मिली जीत, फिर सरकार ने दी चुनौती

लंबी सुनवाई के बाद, मार्च 2025 में हाई कोर्ट की एक सिंगल-जज बेंच ने संगीता के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि वह अनुसूचित जाति आरक्षित श्रेणी और स्थानीय कोटे के तहत नियुक्ति पाने की हकदार हैं। लेकिन यह लड़ाई यहाँ खत्म नहीं हुई। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड ने एक खंडपीठ में अपील दायर कर दी।

अंतिम फैसले ने दिया न्याय

सोमवार को तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जीएम मोहिउद्दीन की खंडपीठ ने इस मामले पर अंतिम सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार और भर्ती बोर्ड द्वारा दायर की गई सभी अपीलों को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने सिंगल-जज बेंच के पुराने फैसले को सही ठहराते हुए संगीता की नियुक्ति का रास्ता पूरी तरह से साफ कर दिया है। इस फैसले के बाद, संगीता के पुलिस कांस्टेबल बनने का सपना अब हकीकत में बदल जाएगा।

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