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ये नौकरी है या खानदानी दावत? UP में मंत्री-विधायकों के रिश्तेदारों को बांटी रेवड़ी, जांच करने वाले अफसर का भतीजा भी लिस्ट में!

लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जिला सहकारी बैंक में हुई 27 पदों की भर्ती प्रक्रिया गंभीर विवादों में घिर गई है। एक मीडिया रिपोर्ट और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, भर्ती में बड़े पैमाने पर भाई-भतीजावाद, जातिवाद और आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया गया है।

क्या हैं आरोप?

सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही एक अखबार की खोजी रिपोर्ट ("भास्कर इन्वेस्टिगेशन") के अनुसार, बैंक में 27 पदों पर भर्तियां की गईं, जिनमें क्लर्क, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और संविदा कर्मचारी शामिल हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन 27 पदों में से 15 पद (लगभग 55%) ठाकुर जाति के उम्मीदवारों को दिए गए, जबकि 4 पदों पर ब्राह्मणों की भर्ती हुई।

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सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि चयनित उम्मीदवारों में सत्ताधारी दल के एक मंत्री, विधायक और अन्य नेताओं के रिश्तेदार शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भर्ती प्रक्रिया की जांच करने आए एक अधिकारी के भतीजे को भी नौकरी दे दी गई, जो पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

चंद्रशेखर आज़ाद ने खोला मोर्चा

इस मामले पर भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से पोस्ट कर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे "भ्रष्टाचार और जातिवादी मानसिकता का जीता-जागता सबूत" बताया है।

आज़ाद ने आरोप लगाया कि आरक्षण के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए SC/ST को केवल 2 पद और OBC को मात्र 6 पद देकर भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया गया। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 16(4) का खुला उल्लंघन बताया, जो सामाजिक न्याय और अवसर की समानता की भावना के खिलाफ है।

आज़ाद समाज पार्टी की मांगें:

चंद्रशेखर आज़ाद ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:

  1. इस भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।

  2. दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

  3. नई भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ, सभी आरक्षण नियमों का पालन करते हुए दोबारा शुरू की जाए।

यह मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने इसे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है और सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन गंभीर आरोपों पर क्या कार्रवाई करती है।

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