कर्नाटक में SC आरक्षण का बड़ा बदलाव: आदिकर्नाटक, आदिद्रविड़, आदि आंध्र को अलग कोटा, कौन होगा फायदे में?

11:24 AM Aug 07, 2025 | Rajan Chaudhary

बेंगलुरु: कर्नाटक में अनुसूचित जातियों (SC) के भीतर आरक्षण के विभाजन को लेकर गठित एक सदस्यीय नागमोहन दास आयोग ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में 101 अनुसूचित जातियों के भीतर आंतरिक आरक्षण की सिफारिश करते हुए आदिकर्नाटक (AK), आदिद्रविड़ (AD) और आदि आंध्र (AA) समुदायों को 17% SC आरक्षण में से 1% उप-आरक्षण देने की बात कही गई है।

उपनामों से बना भ्रम

ब्रिटिश काल में गढ़े गए आदिकर्नाटक, आदिद्रविड़ और आदि आंध्र जैसे जातिगत उपनाम, अनुसूचित जातियों के भीतर कई समूहों की पहचान में लंबे समय से भ्रम पैदा कर रहे हैं। दलित लेफ्ट (मडिगा) और दलित राइट (होलैया) दोनों ही समुदायों के सदस्य इन नामों से प्रमाणपत्र प्राप्त करते रहे हैं, जिससे आरक्षण के लाभ के वितरण में समस्याएं आई है।

आरक्षण का संभावित विभाजन

सूत्रों के अनुसार आयोग ने 17% अनुसूचित जाति आरक्षण को निम्नलिखित तरीके से विभाजित करने की सिफारिश की है:

  • 6% – दलित लेफ्ट (मडिगा आदि)

  • 5% – दलित राइट (होलैया आदि)

  • 4% – लंबानी, कोरमा, कोरचा और भोवी समुदायों के लिए

  • 1% – 40 से अधिक घुमंतू सूक्ष्म जातियाँ, जिनकी आबादी 10,000 से कम है

  • 1% – आदिकर्नाटक, आदिद्रविड़ और आदि आंध्र के लिए

रिपोर्ट में बताया गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन, पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी और जनसंख्या आकार को आधार बनाकर आरक्षण के प्रतिशत निर्धारित किए गए हैं। खासतौर पर अत्यंत पिछड़े और आबादी में बेहद छोटे समुदायों को सरकारी नौकरियों में अवसर बढ़ाने के लिए अधिक प्राथमिकता दी गई है।

विभिन्न दलित समूहों की प्रतिक्रिया

रिपोर्ट को लेकर विभिन्न दलित समुदायों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। दलित लेफ्ट समूह, जो तीन दशकों से आंतरिक आरक्षण की मांग कर रहे थे, उन्होंने इस रिपोर्ट का स्वागत किया है और शीघ्र कार्यान्वयन की मांग की है।

प्रस्तावित समिति फॉर सोशल जस्टिस थ्रू इंटरनल रिजर्वेशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट्स के संयोजक बसवराज कौथल ने कहा,

“सरकार को यह रिपोर्ट कैबिनेट में चर्चा के बाद विधानसभा में पेश करनी चाहिए और बिना देरी के सिफारिशों को लागू करना चाहिए। जब तक सरकार आदेश जारी नहीं करती, हम 11 अगस्त से बेंगलुरु में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे और इसे वापस नहीं लेंगे।”

वहीं दूसरी ओर, दलित राइट और लंबानी, कोरमा, कोरचा, भोवी जैसी समुदायों में असंतोष है। ये समुदाय रिपोर्ट के कैबिनेट उप-समिति द्वारा पुनः परीक्षण की मांग कर सकते हैं। हालांकि रिपोर्ट औपचारिक रूप से सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन अनौपचारिक जानकारियों के आधार पर इन समूहों में नाराजगी देखी जा रही है।