नई दिल्ली। मशहूर फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के खिलाफ ब्राह्मण समुदाय को लेकर "आपत्तिजनक और अपमानजनक" टिप्पणी करने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है।
यह मामला दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में उज्ज्वल गौड़ नामक व्यक्ति ने दर्ज कराया है। गौड़ ने अपनी शिकायत में कहा कि अनुराग कश्यप की टिप्पणी न केवल घिनौनी और अशोभनीय है, बल्कि समाज में नफरत फैलाने, सार्वजनिक शांति भंग करने और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाली है।
यह विवाद बुधवार को तब शुरू हुआ जब अनुराग कश्यप ने इंस्टाग्राम पर एक यूजर को जवाब देते हुए ब्राह्मणों को लेकर बेहद शर्मनाक बात लिखी, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल मचा और लोगों ने उनकी आलोचना की। गौड़ ने इसे ब्राह्मण समुदाय के आत्मसम्मान पर सीधा हमला बताते हुए कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की।
हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद शुक्रवार को अनुराग कश्यप ने इस टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा,
कश्यप ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, “जो कहा गया है, वो वापस नहीं लिया जा सकता और मैं उसे वापस नहीं लूंगा। आप मुझे गाली दीजिए, लेकिन मेरी फैमिली ने कुछ नहीं कहा। इसलिए अगर आपको माफी चाहिए, तो ये रही मेरी माफी। ब्राह्मणों से बस इतना कहूंगा कि महिलाओं को बख्शिए, इतना तो शास्त्रों में भी सिखाया गया है, सिर्फ मनुस्मृति में नहीं।”
दरअसल, यह पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब एक यूजर ने अनुराग कश्यप पर भड़काऊ टिप्पणी की, जिसके जवाब में कश्यप ने विवादित बात लिखी।
I have officially submitted a complaint to @MumbaiPolice seeking registration of an FIR against @anuragkashyap72 for his derogatory and casteist remark against the Brahmin community “Brahmin pe main mootoonga .. koi problem?”
— ADV. ASHUTOSH J. DUBEY (@AdvAshutoshBJP) April 18, 2025
Such hate speech cannot be tolerated in a civil… pic.twitter.com/fqqbtGWehN
यह विवाद उनके आगामी फिल्म ‘फुले’ के इर्द-गिर्द भी घूम रहा है, जो जाति और लैंगिक भेदभाव पर आधारित है। पहले यह फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी, लेकिन अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज और परशुराम आर्थिक विकास महामंडल की आपत्तियों के बाद इसे टाल दिया गया। सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कुछ बदलाव सुझाए, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है। अब यह फिल्म 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
क्या थी अनुराग की टिप्पणी?
16 अप्रैल को अनुराग कश्यप ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर CBFC के सेंसरशिप फैसलों और भारत में जाति को लेकर चल रही बहस पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी। उन्होंने लिखा था:
"धड़क 2 की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने बोला, मोदी जी ने इंडिया में कास्ट सिस्टम खत्म कर दिया है। उसी आधार पे संतोष भी इंडिया में रिलीज़ नहीं हुई। अब ब्राह्मण को प्रॉब्लम है फुले से। भैया, जब कास्ट सिस्टम ही नहीं है तो काहे का ब्राह्मण। कौन हो आप। आप की क्यों सुलग रही है। जब कास्ट सिस्टम था नहीं तो ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई क्यों थे। या तो आप का ब्राह्मणिज़्म एक्सिस्ट ही नहीं करता क्योंकि मोदी जी के हिसाब से इंडिया में कास्ट सिस्टम नहीं है? या सब लोग मिलके सब को $#% बना रहे हो। भाई मिल के डिसाइड कर लो। इंडिया में कास्टिज़्म है या नहीं। लोग %$^ नहीं हैं। आप ब्राह्मण लोग हो या फिर आप के बाप हैं जो ऊपर बैठे हैं। डिसाइड कर लो।"
कश्यप ने व्यंग्यात्मक लहजे में CBFC के उस दावे पर निशाना साधता था, जो कथित तौर पर धड़क 2 की स्क्रीनिंग के दौरान किया गया कि भारत में जाति व्यवस्था खत्म हो चुकी है। इस तर्क का इस्तेमाल जाति से संबंधित फिल्मों को सेंसर करने या रोकने के लिए किया गया। वे सवाल उठाते हैं कि अगर जाति व्यवस्था नहीं है, तो फुले—जो सामाजिक सुधारक ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर आधारित है—पर ब्राह्मण समुदाय को आपत्ति क्यों है। उनकी पोस्ट में संतोष का ज़िक्र भी है संभवतः इसके जाति से जुड़े विषयों के कारण, जिसे भारत में रिलीज़ नहीं होने दिया गया।
जाति पर अपनी टिप्पणियों के अलावा, कश्यप ने CBFC की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, विशेष रूप से यह कि बाहरी समूहों को रिलीज़ न हुई फिल्मों तक कैसे पहुँच मिलती है। उन्होंने लिखा, “मेरा सवाल है, जब फिल्म सेंसरिंग के लिए जाती है, तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। फिर बाहरी समूहों और संगठनों को फिल्म तक पहुँच कैसे मिलती है, जब तक कि उन्हें जानबूझकर पहुँच न दी जाए? पूरी प्रणाली ही गड़बड़ है।” उन्होंने पंजाब 95 और तीस जैसी अन्य फिल्मों का भी ज़िक्र किया, जिन्हें उन्होंने दावा किया कि “इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने” के लिए रोका गया।