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TM Exclusive: MP यूथ कांग्रेस चुनाव की घोषणा, संख्या अनुपात के अनुसार नहीं मिला प्रतिनिधित्व, SC/ST के लिए सिर्फ 7 सीटें आरक्षित!

भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अकसर अपने भाषणों में सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के प्रतिनिधित्व की बात करते हैं। मंचों से वह "जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" का नारा देते हैं और जातीय जनगणना की मांग भी करते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के आगामी चुनाव की घोषणा में खुद कांग्रेस संगठन इन मूल्यों की अनदेखी कर रहा है। राहुल गांधी के संकल्प का यूथ कांग्रेस चुनावी कार्यक्रम में कोई असर नहीं दिखा।

शुक्रवार को कांग्रेस कार्यालय में चुनाव पीआरओ सैयद नासिर हुसैन ने चुनाव कार्यक्रम जारी करते हुए बताया कि इस बार 7 सीटें SC/ST वर्ग के युवाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। लेकिन यह आरक्षण राज्य की जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है। प्रदेश में वर्तमान में करीब 3.29 करोड़ की जनसख्या हो चुकी है.

22 सीटें की जानी थी आरक्षित

मध्यप्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 15.6% और अनुसूचित जनजातियों की 21.1% है। यानी कुल मिलाकर 36.7% जनसंख्या SC/ST वर्ग से आती है (वर्तमान में) अगर इसी अनुपात में युवा कांग्रेस की 59 जिला इकाइयों में आरक्षण दिया जाए, तो कम से कम 22 सीटें आरक्षित होनी चाहिए थीं। लेकिन संगठन ने केवल 7 सीटें ही आरक्षित की हैं, जो कुल का करीब मात्र 12% है।

25% से अधिक की कमी: सामाजिक न्याय की भावना पर चोट!

द मूकनायक के विश्लेषण के अनुसार आरक्षित सीटों की संख्या में 15 सीटों की कमी है, जो कि 25.4% प्रतिनिधित्व की सीधी कटौती है। यह स्थिति कांग्रेस के उन दावों के भी खिलाफ जाती है, जिनमें नेता राहुल गांधी मंचों से बार-बार "जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" की बात करते हैं। सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के ये सिद्धांत अब संगठनात्मक स्तर पर ही सवालों के घेरे में हैं।

चुनाव प्रक्रिया: एप के ज़रिए वोटिंग, पहली बार ब्लॉक अध्यक्ष का सीधा चुनाव

घोषित कार्यक्रम के अनुसार, युवा कांग्रेस में नामांकन की प्रक्रिया 27 अप्रैल से 6 मई तक चलेगी। इस दौरान 28 अप्रैल से 7 मई तक दावे-आपत्तियां ली जाएंगी। नामांकन की जांच 7 से 9 मई तक होगी और अंतिम सूची 11 मई को जारी होगी। मतदान इंडियन यूथ कांग्रेस (IYC) एप के माध्यम से होगा। 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के लोग ही इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे।

इस बार पहली बार ब्लॉक अध्यक्ष का भी सीधा चुनाव होगा। सदस्य, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, जिला अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष के लिए वोट डाल सकेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया लगभग 5 महीने में पूरी की जाएगी।

विधानसभा और ब्लॉक अध्यक्ष के सभी पद अनारक्षित

विधानसभा और ब्लॉक अध्यक्ष पदों के लिए होने वाले चुनाव में युवा कांग्रेस ने किसी भी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया है। जबकि सिर्फ जिला अध्यक्ष पदों पर ही आरक्षण लागू किया गया है, जहां कुल 7 सीटें आरक्षित की गई हैं। सवाल यही है की निचले स्तर के पदों पर आरक्षण क्यों नहीं दिया गया, जबकि ये पद संगठन की जमीनी मजबूती के लिए बेहद अहम माने जाते हैं।

SC-ST दोनों वर्ग ही आरक्षित सीटों पर करेंगे नामांकन

यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद के लिए घोषित आरक्षित सीटों को लेकर भी पार्टी की नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। सागर, देवास, जबलपुर शहर, पांढुर्ना, बुरहानपुर, सतना और गुना—इन सात जिलों को आरक्षित किया गया है, लेकिन इनमें भी स्पष्टता का अभाव है। इन सीटों को एससी या एसटी के लिए अलग-अलग आरक्षित करने की बजाय एक ही सीट पर दोनों वर्गों के युवाओं को नामांकन की अनुमति दी गई है। इससे आरक्षण की मूल भावना और प्रतिनिधित्व के उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इससे किसी एक वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है, जबकि दोनों के लिए अलग-अलग अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए थे।

कांग्रेस में कैसे तैयार होगी दलित/आदिवासी लीडरशिप?

दलित और आदिवासी युवाओं को संगठन के निचले स्तर पर ही यदि अवसर नहीं दिए जाएंगे, तो इन वर्गों से नेतृत्व कैसे तैयार होगा—यह सवाल अब कांग्रेस के भीतर से ही उठने लगे हैं। पार्टी से जुड़े नेताओं का मानना है कि जनसंगठन का मकसद समाज के वंचित तबकों को नेतृत्व की मुख्यधारा में लाना होना चाहिए, लेकिन यदि प्रारंभिक स्तर पर ही उनकी भागीदारी सीमित कर दी जाती है, तो सामाजिक न्याय के दावे खोखले साबित होंगे। नेताओं का कहना है कि प्रतिनिधित्व सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक और अवसर आधारित होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता तो जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व देने की बात कर रहें हैं, लेकिन संगठन में इसका अमल नहीं हो रहा।

प्रतिनिधित्व में कटौती क्यों अहम मुद्दा है?

राजनीतिक संगठनों में सामाजिक समूहों को समुचित प्रतिनिधित्व देना केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा और संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा विषय है। SC/ST समुदाय के युवा नेताओं को नेतृत्व के अवसर देना ही सामाजिक न्याय की बुनियादी शर्त है। जब कांग्रेस खुद को सामाजिक न्याय का पक्षधर बताती है, तो यह उम्मीद की जाती है कि वह अपने संगठनात्मक ढांचे में भी उस विचार को लागू करे!

द मूकनायक प्रतिनिधि ने मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मितेन्द्र सिंह से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया, लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनकी ओर से कोई जवाब नही मिला।

क्या कहता है संविधान?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 और 16 समाज के कमजोर तबकों को विशेष अवसर देने की बात करता है। इसके साथ ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। राजनीतिक दल अगर अपने आंतरिक ढांचे में इन वर्गों को प्रतिनिधित्व नहीं देते, तो यह संविधान की आत्मा के साथ न्याय नहीं है।

पार्टी मंच पर रखेंगे बात: अहिरवार

एससी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "मैं इस मुद्दे को पार्टी के मंच पर मजबूती से उठाऊंगा। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जातियों की आबादी के अनुपात में उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। हम इस विषय में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पार्टी प्रभारी हरीश चौधरी से चर्चा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस में प्रतिनिधित्व राहुल गांधी के सामाजिक न्याय के विजन के अनुरूप हो। हमारा प्रयास रहेगा कि हर वर्ग को उसके हक का सम्मानजनक प्रतिनिधित्व मिले।"

कांग्रेस के प्रदेश सचिव डॉ. विक्रम चौधरी ने कहा, "हमें विश्वास है कि यूथ कांग्रेस इस निर्णय पर पुनर्विचार करेगी। पार्टी संगठन के चुनावों में सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व दिखाई देना चाहिए, ताकि राहुल गांधी की प्रतिबद्धता और संकल्प का स्पष्ट प्रतिविंब संगठन में झलके। यही कांग्रेस की असली पहचान और विचारधारा है।"

कांग्रेस के भीतर उठता बड़ा सवाल

मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के इस चुनाव कार्यक्रम से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या पार्टी का संगठनात्मक ढांचा सामाजिक न्याय के मूल्यों को सही मायनों में आत्मसात कर रहा है? यदि नहीं, तो युवाओं और हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए राजनीति में भागीदारी और नेतृत्व का सपना कैसे पूरा होगा?

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