नई दिल्ली: रायगढ़ जिले के पुसौर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत गोतमा में गाँव के गौटिया को पंचायत चुनाव मे मिली हार इस कदर नागवार गुजरा कि उसने कुछ लोगों के साथ गाँव के दलित बस्ती मे हमला कर दिया. आरोप है कि, यह हमला गाँव के मनबढ़ों द्वारा दलित मजदूर बस्ती में सुनियोजित तरीके से किया गया. रायगढ़ जिले मे त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव अभी जारी हैं और इसी क्रम मे जिले के इस पुसौर क्षेत्र मे प्रथम चरण का चुनाव 17 फरवरी को संपन्न हुआ. इस पंचायत मे सरपंच पद के चुनाव के लिए अनारक्षित सामान्य महिला वर्ग के लिये आरक्षित किया गया है.
ग्राम पंचायत मे सरपंच पद के चुनाव में ग्राम गोतमा के आरोपी और गौटिया परिवार से अशोक गुप्ता की पत्नी बिलासिनी गुप्ता ने उम्मीदवारी किया था, जबकि इस चुनाव में आश्रित ग्राम केसापाली के तनुजा गुप्ता ने सरपंच पद के लिये जीत हासिल किया.
कथित रूप से गांव के गौटिया परिवार ने इस चुनाव में अपने हार के लिये दलित - आदिवासी तबके को जिम्मेदार माना, और सदियों से अपने खेतों में बंधुआ मजदूरी कराने वाले गाँव के दलित - आदिवासी मजदूर परिवारों को शिकार बनाया.
आरोप है कि, पीड़ित लोगों के साथ मारपीट और अश्लील जातिगत गाली गलौज किया है. इस दौरान कई लोगों को चोटें आई हैं. कई लोग जान बचाने घरों के भीतर दरवाजा बंद कर छिप गए. उनके घरों और छत में लगे छप्पर बाँस- बल्ली, दरवाजे में तोड़-फोड़ कर उसे उजाड़ दिया गया. एक पीड़ित साहेब राम चौहान और उसके परिवार के महिलाओं को गम्भीर रूप से शारीरिक चोट पहुंचा है.
घटना के दौरान चोटहिल हुए साहेब राम चौहान ने द मूकनायक से बताया कि, "चुनाव 17 फरवरी को था. गौटिया परिवार से अशोक गुप्ता की पत्नी बिलासिनी गुप्ता हार गईं और आश्रित ग्राम केसापाली की तनुजा गुप्ता जीत गईं. 18 तारीख को लोग जश्न मना रहे थे. जीती हुई प्रत्याशी के घर हम लोग खाना खाए. वह हमारे घर भी आईं थीं. उनके घर से खाना खाकर हम अपने घर लौट आए. रात लगभग 9 बजे वो लोग (हारे हुए प्रत्याशी पक्ष के लोग) हमारे घर आए और गलियां देते हुए कहने लगे कि 'निकल बाहर, तेरे को काट कर गाड़ देंगे...'. मैं घर के अन्दर था लेकिन वो लोग बाहर थे. मैं डर के कारण बाहर नहीं निकला. वो लोग तेज-तेज से दरवाजा पीट रहे थे. मैंने बाहर निकल कर जैसे ही देखना चाहा कि वो लोग क्या कर रहे हैं, तभी किसी ने पत्थर से मुझे मारा. मेरे घुटने में चोट आई है. इसकी डॉक्टरी भी हुई है. इसके बाद वो लोग 5 और घरों में जाकर ऐसे ही उनके साथ भी किये."
घटना से अवगत, छत्तीसगढ़ के मानव अधिकार कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने द मूकनायक को बताया कि, पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत गोतमा की सीट सामान्य महिला आरक्षित सीट थी. इसी गांव का आश्रित गांव केसापाली है, इस गांव और गोतमा दोनों से उम्मीदवार चुनाव में खड़े हुए थे. गोतमा गांव में परंपरागत विलेज हेड (गांव का मुखिया) परिवार से एक महिला उम्मीदवार थी. जबकि, केसापाली से भी एक सामान्य वर्ग की महिला उम्मीदार थी.
डिग्री प्रसाद आगे बताते हैं कि, "गोतमा गांव के विलेज हेड ने गांव के, उनके खेतों में काम करने वाले या मजदूरी करने वाले दलित-आदिवासी समुदाय के लोगों को कहा कि तुम लोग मुझे, अपने गांव को छोड़कर दूसरे गांव के उम्मीदवार को वोट दिए हो. उसके बाद उन लोगों ने समुदाय के लोगों के साथ मारपीट की."
"घटना के दिन पीड़ितों ने पुलिस विभाग के टोलफ्री नंबर पर कॉल किया था. जानकारी पाकर पुलिस आई और रात भर वहां पहरा/गस्त किया. चौंकाने वाली बात है कि पुलिस वालों के सामने पथराव किये गए. फिर भी पुलिस ने किसी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है. वो लोग (पीड़ित परिवार) जब पुसौर थाना गए तो उन लोगों को डांट कर भगा दिया गया. फिर लोग एसपी ऑफिस आए और रात के 11 बजे तक धरने पर बैठे रहे", डिग्री प्रसाद चौहान ने द मूकनायक को बताया.
मामले में कानूनी कार्रवाईयों की जानकारी के लिए द मूकनायक ने कई बार थाना प्रभारी पुसौर के सीयूजी नंबर पर कॉल किया लेकिन हर बार 'फोन लाइन व्यस्त' बताया गया. जबकि, रायगढ़ एसपी दिव्यांग पटेल के सीयूजी नंबर पर कॉल करने पर 'नेटवर्क कवरेज से बाहर' होना बताया गया. एसपी से संपर्क के लिए मामले से सम्बंधित जानकारी उनके सीयूजी व्हाट्सएप्प नंबर पर मैसेज किया गया है. जैसे ही उनका जवाब मिलता है खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.