MP के बालाघाट में आदिवासी नाबालिग बच्चियों के साथ गैंगरेप, पुलिस ने 7 युवकों को किया गिरफ्तार

01:05 PM Apr 26, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से एक बेहद भयावह और मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां हट्टा थाना क्षेत्र के एक नक्सल प्रभावित गांव में तीन नाबालिग आदिवासी लड़कियों और एक युवती के साथ सात युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म जैसी हैवानियत को अंजाम दिया। पीड़िताएं एक शादी समारोह से घर लौट रही थीं, जब यह अपराध हुआ। इस घटना ने न केवल राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आदिवासी समुदाय की बच्चियों की दयनीय स्थिति को भी उजागर किया है।

क्या है मामला?

घटना रात लगभग एक से दो बजे के बीच की है, जब पीड़िताएं पैदल अपने गांव लौट रही थीं। उनके साथ एक युवक भी था, जो रिश्तेदार बताया जा रहा है। तभी दो मोटरसाइकिलों पर सवार सात युवक वहां पहुंचे और लड़कियों का पीछा करने लगे। युवक ने जब उनका विरोध किया और लड़कियों को बचाने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उसे बेरहमी से पीटा, डराया-धमकाया और वहां से भगा दिया। इसके बाद सभी आरोपी लड़कियों को जबरन घने जंगल की ओर ले गए, जहां उन्होंने एक-एक करके सभी के साथ दुष्कर्म किया।

इस जघन्य अपराध की शिकार हुई लड़कियों की उम्र 14, 15 और 16 वर्ष है, जबकि चौथी युवती 21 वर्ष की है। घटना के बाद कुछ लड़कियों की तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस दर्दनाक स्थिति के बावजूद पीड़िताओं ने साहस दिखाते हुए आरोपियों की पहचान की। सभी आरोपी उसी गांव के निवासी हैं, जिससे यह भी जाहिर होता है कि अपराधी कोई बाहरी नहीं, बल्कि उनके अपने ही समुदाय के थे, जिन्हें वे जानती थीं। यही तथ्य पूरे मामले को और भी संवेदनशील बना देता है।

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आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज

पीड़िताओं और उनके परिजनों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार, एक आरोपी को हिरासत में रखकर पूछताछ की जा रही है जबकि बाकी से भी पूछताछ की प्रक्रिया जारी है। बालाघाट के पुलिस अधीक्षक (SP) नागेन्द्र सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और पीड़ित लड़कियों के बयान दर्ज किए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने गैंगरेप और POCSO एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

NCRB के आंकड़े

यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर क्यों प्रदेश में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट भी इस स्थिति की भयावहता को दर्शाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ कुल 20,415 अपराध दर्ज किए गए, जो कि देशभर में महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इनमें से 6,654 मामले केवल POCSO एक्ट के तहत दर्ज हुए हैं। सबसे अधिक मामले अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने से जुड़े हैं, जिनकी संख्या 10,125 रही। बच्चों की हत्या के 109 और आत्महत्या के लिए उकसाने के 90 मामले भी इस रिपोर्ट का हिस्सा हैं।

NCRB की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराध की दर 71 प्रति एक लाख बच्चों पर है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। दिल्ली के बाद मध्यप्रदेश इस मामले में दूसरे स्थान पर है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 96.8% यौन अपराधों में आरोपी पीड़िता के परिचित होते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पीड़िताओं के लिए सबसे असुरक्षित स्थान उनका अपना सामाजिक दायरा बनता जा रहा है।

सर्वाधिक घटनाएं आदिवासियों पर

बालाघाट की इस घटना ने फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में आदिवासी बच्चियों की सुरक्षा, सम्मान और उनके भविष्य को लेकर शासन-प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जहां एक ओर शासन की पहुंच सीमित है, वहीं दूसरी ओर समाज भी इन बच्चियों के अधिकारों और गरिमा को लेकर उतना जागरूक नहीं है। यह परिस्थिति उन्हें दोहरी मार झेलने को मजबूर करती है – एक ओर अपराधियों का उत्पीड़न और दूसरी ओर सिस्टम की चुप्पी।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों पर सिर्फ पुलिसिया कार्रवाई ही काफी नहीं है। शासन को चाहिए कि वह आदिवासी क्षेत्रों में बाल सुरक्षा तंत्र को मजबूती दे, यौन अपराधों से निपटने के लिए त्वरित न्याय प्रणाली की स्थापना करे और सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता फैलाए। स्कूलों और पंचायतों के माध्यम से किशोरियों को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाए और लड़कों को यौन अपराधों के कानूनी परिणामों के प्रति शिक्षित किया जाए।

आयोग की निगरानी में जांच

मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि बालाघाट की घटना आयोग के संज्ञान में है और इस पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच का प्रतिवेदन मांगा गया है साथ ही आयोग स्वयं भी इस घटना की जांच की निगरानी करेगा। ओंकार सिंह ने आश्वासन दिया कि घटना में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें कठोर सजा दिलाने की अनुशंसा आयोग द्वारा की जाएगी।

आदिवासी क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा की जरूरत

राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि सरकार महिलाओं और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ रहे यौन अपराधों को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जिन सुरक्षा उपायों और दावों की बात करती है, वे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं और ज़मीनी स्तर पर उनका कोई असर नहीं दिखता।

संगीता शर्मा ने बालाघाट में आदिवासी बेटियों के साथ हुई बलात्कार की घटना को बेहद गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करती है और उसके सभी सुरक्षा दावों की पोल खोलती है। उन्होंने मांग की कि दोषियों को कड़ी सज़ा मिले और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए जाएं।