The Mooknayak Impact: रांची स्कूल में सेक्स चैट मामले में DC ने बिठाई जांच, गहरे ट्रॉमा में पीड़ित बालिका बोली- 'सब कहेंगे मैंने ही...अब कुछ नहीं..."

06:24 PM Aug 20, 2025 | Geetha Sunil Pillai

रांची- शहर के श्रद्धानंद सेवाश्रम मिडिल स्कूल में शिक्षक अभिषेक कुमार सिन्हा पर नाबालिग छात्राओं के साथ अश्लील चैटिंग और छेड़छाड़ के गंभीर आरोपों ने शिक्षा तंत्र को हिलाकर रख दिया है। ‘द मूकनायक’ की 19 अगस्त को प्रकाशित खबर के बाद रांची जिला आयुक्त (डीसी) मनजूनाथ भजंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए मंगलवार रात को ही जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) को मामले की जांच के निर्देश दिए।

एक गुमनाम शिकायतकर्ता ने इस मामले की लिखित शिकायत शिक्षा सचिव, और झारखंड महिला आयोग को एक दिन पहले ही दी थी जिसके बाद द मूकनायक ने इसपर समाचार प्रकाशित किया। शिकायत में दावा किया गया कि कम से कम 10-15 छात्राएं इस शिक्षक की हरकतों का शिकार बनी हैं और स्कूल प्रबंधन को इसकी पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

रांची जिला आयुक्त के निर्देश के बाद जांच कमेटी का गठन हो चुका है, और 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा भी मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगे जाने की जानकारी मिली है। इस बीच, एक पीड़ित बालिका ने द मूकनायक से बातचीत में अपने गहरे ट्रॉमा का जिक्र करते हुए कहा कि वह किसी को कुछ नहीं कहेगी, उसे कुछ नहीं चाहिए, जो हुआ सो हुआ। साफ़ है की समाज की मानसिकता, परिजनों को बात खुलने का भय और बेइज्जती के डर से वह अब कुछ नहीं बताना चाहती।

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डीसी मंजुनाथ भजंत्री के निर्देश पर जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज ने जांच कमेटी गठित की है। बादल राज ने लोकल मीडिया को बताया कि शिक्षा विभाग की एक टीम स्कूल पहुंचकर छात्राओं और शिक्षकों से एक-एक करके बातचीत कर चुकी है। सभी शिक्षकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, और जांच को त्वरित गति से पूरा करने के लिए कमेटी सक्रिय है। उन्होंने कहा, “छात्राओं से छेड़खानी का मामला संज्ञान में आया है। जांच कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अगर शिक्षक दोषी पाए गए, तो कड़ी कार्रवाई होगी।” स्कूल प्रिंसिपल को मोबाइल के माध्यम से नोटिस भेजा गया है, और इसकी हार्ड कॉपी भी दी जा चुकी है।

डीईओ विनय कुमार ने इस मामले की कड़ी निंदा की और कहा, “हमें जानकारी मिली कि एक मिडिल स्कूल के शिक्षक ने एक छात्रा के साथ दुर्व्यवहार किया और आपत्तिजनक व्हाट्सएप मैसेज भेजे। हम इसकी भर्त्सना करते हैं। जांच कमेटी को 24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा गया है। हम पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कराएंगे, ताकि यह संदेश जाए कि कोई शिक्षक ऐसी हरकतों से बच नहीं सकता।”

पीड़ित बालिका का दर्द और सामाजिक दबाव

‘द मूकनायक’ ने एक पीड़ित बालिका से बात की, जिसने सबसे पहले एक सीनियर शिक्षिका को शिक्षक की गलत हरकतों की जानकारी दी थी। सूत्रों के अनुसार इस नाबालिग छात्रा को आरोपी टीचर मार्च 2024 में मेट्रो गली स्थित एक होटल बुला चुका है, किशोरी अभी दसवी क्लास में है। नाबालिग के साथ टीचर के अश्लील चैट में साफ़ होता है कि आरोपी की पत्नी को दोनों के बीच चले आपत्तिजनक संवाद की जानकारी हो गई थी। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि आरोपी शिक्षक की पत्नी ने नाबालिग से फोन पर इस विषय में बात की थी। एक के बाद एक घटनाक्रम से नाबालिग छात्रा तनावग्रस्त और भयभीत बताई जाती है।

गहरे मानसिक ट्रॉमा से गुजर रही इस बालिका ने कहा, “पहले ही बहुत ट्रॉमा हो चुका है... जो हो गया सो हो गया, मुझे किसी को कुछ नहीं बताना... मुझे कहीं भी कुछ नहीं बोलना... जो होना था वो हो गया, अब मुझे कुछ और नहीं चाहिए... पहले से ही बहुत ज्यादा ट्रॉमा हो चुका है... हम क्या कार्रवाई चाहें? बाद में फंसेंगे हम ही, सब कहेंगे हमने ही करवाया है...”। बालिका की यह बातें समाज की उस मानसिकता को उजागर करती हैं, जहां पीड़ितों को ही दोषी ठहराया जाता है, जिसके चलते वे अपनी बात खुलकर नहीं कह पातीं।

सूत्रों के अनुसार बुधवार को आरोपी शिक्षक अभिषेक कुमार सिन्हा स्कूल नहीं गया। उसका मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ रहा। इधर, सभी शिक्षकों को स्कूल टाइम से पहले बुलाया गया और छुट्टी के बाद भी एक्स्ट्रा टाइम तक रोका गया। कुछ पुलिस कर्मी भी स्कूल पहुंचे थे। सूत्रों का कहना है कि प्रिंसिपल ने एक दिन पहले जिस एक पत्र पर सभी शिक्षकों के हस्ताक्षर लिए थे, उसे आज फाड़ दिया गया। द मूकनायक ने अपनी खबर में उजागर किया था कि "मंगलवार 19 अगस्त को प्रिंसिपल ने स्टाफ मेम्बर्स पर कथित तौर पर दबाव बनाकर उनसे एक पत्र में हस्ताक्षर लिए हैं जिसमे लिखवाया गया कि सभी टीचर्स को इस मामले की जानकरी 6 महीने से थी।"

सभी शिक्षकों को मीडिया से बात न करने और कोई बयान न देने की सख्त हिदायत दी गई। इससे पहले भी आरोप लगाया गया था कि स्कूल प्रबंधन ने मामले को दबाने की कोशिश की, क्योंकि शिक्षक की नियुक्ति कथित तौर पर रिश्वत के जरिए हुई थी।

मामला और उसका पृष्ठभूमि

एक गुमनाम अभिभावक ने 19 अगस्त को शिक्षा सचिव और झारखंड महिला आयोग को शिकायत दी थी। शिकायत में दावा किया गया था कि आरोपी शिक्षक ने कम से कम 10-15 नाबालिग छात्राओं को प्रेम जाल में फंसाया, उनसे अश्लील तस्वीरें मांगीं, और कुछ को होटल ले गया। शिकायतकर्ता ने एक चैट का स्क्रीनशॉट भी सबूत के तौर पर दिया, जिसमें शिक्षक ने आपत्तिजनक सवाल पूछे थे। शिकायत में यह भी कहा गया था कि स्कूल प्रबंधन को सब कुछ पता था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब ‘द मूकनायक’ की खबर के बाद डीसी के हस्तक्षेप से जांच में तेजी आई है।

आरोपी शिक्षक ने मांगी माफ़ी, सिसक कर बोला...

सूत्रों से मिली जानकारी केअनुसार नाबालिग छात्राओं के साथ कथित अश्लील हरकत और आपत्तिजनक चैट की शिकायत मीडिया में उजागर होने के बाद आरोपी टीचर बुधवार को स्कूल नहीं आया। स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप में आरोपी ने एक वोईस नोट भेजा जिसमे वो साथी शिक्षकों से रुआंसे स्वर में माफ़ी मांगता है लेकिन साथ यह भी कहता है कि एक साल पहले हुई गलती मानकर वह माफ़ी मांग चुका है लेकिन बेइज्जत करने के लिए सब हो रहा है। वह ये भी कहता है कि आज बहुत सारे टीचर्स खुश होंगे और सबसे ज्यादा बच्चे खुश होंगे।

विधिक जानकार कहते हैं ऐसे मामलों को माफी देकर नहीं समाप्त किया जा सकता है। नाबालिगों को गलत तरीके से छूना, उनसे गन्दी बातें करना संगीन अपराध है और खासकर के जब एक टीचर पर कई छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत आई है तो इसपर जांच और कारवाई नहीं करने वाले भी दोषी हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं मामला जानकारी में आते ही पुलिस को अविलम्ब आरोपी के लेपटोप और मोबाइल को सीज कर जांच करनी चाहिए। डेटा अगर डिलीट कर दिया गया हो तो रिकवर किया जाना चाहिए। इसी तरह जिस होटल में आरोपी छात्राओं को बुलाता था, वहां भी रिकॉर्ड जांचना अनिवार्य है।

POCSO एक्ट के तहत संगीन आरोप हो तो क्या करें: चाइल्ड राइट्स एक्सपर्ट की राय

इस मामले में द मूकनायक ने पोक्सो मामलों की समझ रखने वाले विषय विशेषज्ञ एवं पूर्व सदस्य राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या से उनका ओपिनियन चाहा. पण्ड्या ने बताया, " प्रथम दृश्या उक्त मामले में पॉक्सो अधिनियम की कम से कम धारा 7, 11, और 13 लागू होनी चाहिए। तुरंत FIR दर्ज करना, घटना की निष्पक्ष जांच, डिजिटल साक्ष्य जब्त, आरोपी और स्कूल प्रबंधन के वे व्यक्ति जो मामले को दबाना चाहते है के खिलाफ कानूनी कदम जरूरी है और यदि ये लग रहा है कि पीड़ित पक्ष स्पष्ट सामने नहीं आ रहा एवं शिकायत कर्ता भी गोपनीय है तब इसमें राष्ट्रीय बाल आयोग या राज्य बाल आयोग द्वारा निष्पक्ष जाँच दल गठित कर जाँच होनी चाहिए जिससे सारी स्थिति स्पष्ट हो पाए, बालिकाओ को तुरंत पृथक से शेल्टर करवा काउंसलिंग जरूरी है ताकि उन पर कोई दबाव न बना पाए l "