MP खंडवा गैंगरेप-मर्डर केस: आदिवासी महिला के साथ बर्बरता की हदें पार, प्रदेश में महिला सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

05:43 PM May 27, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के खालवा थाना क्षेत्र में एक आदिवासी महिला के साथ हुई गैंगरेप और हत्या की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह वारदात न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आदिवासी समाज की सुरक्षा को लेकर शासन की संवेदनहीनता भी उजागर करती है। मृतक महिला की उम्र 45 वर्ष थी और वह अपने ही गांव के दो युवकों—सुनील और हरि—द्वारा दरिंदगी का शिकार हुई।

खेत से लौटते समय रास्ते में पकड़कर की दरिंदगी

शुक्रवार की रात गांव में एक शादी समारोह के बाद महिला अपने रिश्तेदारों को खेत तक छोड़ने गई थी। खेत महज आधा किलोमीटर की दूरी पर था, लेकिन वह रातभर घर नहीं लौटी। अगली सुबह जब परिजन खोजबीन में निकले, तो एक महिला ने बताया कि पीड़िता उसके घर के पीछे शेड में है। वहां पहुंचने पर वह बेहोशी की हालत में मिली। होश में आने पर उसने अपने बेटे-बहू से कहा, "मेरे साथ गलत हुआ है, अब मैं नहीं बचूंगी... सुनील और हरि ने जबरदस्ती की।" कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।

मौत से पहले दिया बयान, आंतें और बच्चेदानी बाहर थीं

मृतका के बेटे और बहू के मुताबिक, महिला की हालत बेहद नाजुक थी। प्राइवेट पार्ट से अत्यधिक खून बह रहा था और बच्चेदानी बाहर निकली हुई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई कि आंतें बाहर थीं, बच्चेदानी फटी हुई थी और शरीर खून से लथपथ था। डॉक्टरों के अनुसार, प्राइवेट पार्ट में हाथ या कोई वस्तु डाली गई, जिससे भीतरी अंग क्षतिग्रस्त हुए और अत्यधिक रक्तस्राव के चलते मौत हुई।

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पुलिस ने आरोपियों को भेजा जेल

पुलिस ने शनिवार को ही दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया था और रविवार रात को उन्हें घटनास्थल पर ले जाकर क्राइम सीन की पुष्टि की गई। सोमवार को कोर्ट में पेश कर दोनों आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। खंडवा एसपी मनोज कुमार राय ने बताया कि आरोपियों और मृतका के कपड़े व घटनास्थल से मिले अन्य साक्ष्य एफएसएल जांच के लिए भेजे गए हैं। इस केस को चिह्नित अपराध की श्रेणी में दर्ज कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने की बात भी कही गई है।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, पीड़िता को प्राथमिक चिकित्सा तक नहीं मिल सकी। सरकारी एंबुलेंस नहीं आई, और परिजनों को निजी वाहन से शव जिला अस्पताल ले जाना पड़ा। यह घटना प्रदेश की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है।

पीड़ित परिवार से मिला कांग्रेस दल

कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मृतका के परिजनों से मुलाकात की। दल में शोभा ओझा, विजयलक्ष्मी साधौ और विधायक झूमा सोलंकी शामिल थीं। उन्होंने सरकार से 25 लाख रुपये की मुआवजा राशि और परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी देने की मांग की।

शोभा ओझा ने आरोप लगाया कि “प्रशासन रेप के केस को हत्या में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है। घटनास्थल की स्थिति को देखकर शक होता है कि वहीं घटना कैसे हो सकती है।”

विक्रांत भूरिया ने साधा सरकार पर निशाना

आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “एमपी रेप और शराब कैपिटल बनता जा रहा है। 45 वर्षीय आदिवासी महिला के साथ गैंगरेप कर सरिए से उसकी बच्चेदानी और आंतें निकाल दी गईं। ये केवल हत्या नहीं, बल्कि सभ्यता के चेहरे पर कालिख है।”

भूरिया ने आगे कहा कि "प्रधानमंत्री मोदी को 31 मई को भोपाल महिला सम्मेलन में आने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मध्यप्रदेश में बहनों की सुरक्षा कैसे होगी?"