भोपाल। शादी की खुशियों के बीच खंडवा जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। पिपलोद थाना क्षेत्र में शुक्रवार तड़के 4 बजे एक पांच साल की बच्ची के साथ उसके ही रिश्तेदार ने दुष्कर्म किया। घटना उस वक्त हुई जब परिवार शादी समारोह में व्यस्त था और बच्ची अकेली पड़ गई। पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
गुरुवार-शुक्रवार की रात को परिवार में शादी का कार्यक्रम चल रहा था। घर के सभी लोग नाच-गाने और रस्मों में व्यस्त थे। इसी दौरान आरोपी, जो बच्ची का नजदीकी रिश्तेदार है, सुबह चार बजे बच्ची को अकेला पाकर उसे उठा ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची के रोते-बिलखते घर लौटने पर मां ने वजह पूछी, तब जाकर इस घिनौने कृत्य का खुलासा हुआ।
पुलिस ने मामला किया दर्ज
जिले के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय ने बताया कि बच्ची से दुष्कर्म की घटना की पुष्टि हो गई है। आरोपी बच्ची का रिश्तेदार है और पिछले कई सालों से उसी गांव में रह रहा है। उसके खिलाफ रेप, पॉक्सो एक्ट और नजदीकी रिश्तेदार द्वारा यौन शोषण से संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
महिला अफसर को सौंपी गई केस की जिम्मेदारी
एसपी राय के अनुसार, पीड़ित बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और केस को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच महिला थाना आजाक की प्रभारी इंस्पेक्टर सुलोचना गहलोद को सौंपी गई है। उनका कहना है कि जांच गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध हो, इसके लिए यह कदम उठाया गया है।
NCRB के आंकड़े
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर क्यों प्रदेश में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट भी इस स्थिति की भयावहता को दर्शाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ कुल 20,415 अपराध दर्ज किए गए, जो कि देशभर में महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इनमें से 6,654 मामले केवल POCSO एक्ट के तहत दर्ज हुए हैं। सबसे अधिक मामले अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने से जुड़े हैं, जिनकी संख्या 10,125 रही। बच्चों की हत्या के 109 और आत्महत्या के लिए उकसाने के 90 मामले भी इस रिपोर्ट का हिस्सा हैं।
NCRB की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराध की दर 71 प्रति एक लाख बच्चों पर है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। दिल्ली के बाद मध्यप्रदेश इस मामले में दूसरे स्थान पर है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 96.8% यौन अपराधों में आरोपी पीड़िता के परिचित होते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पीड़िताओं के लिए सबसे असुरक्षित स्थान उनका अपना सामाजिक दायरा बनता जा रहा है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की तैयारी
पुलिस प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस संवेदनशील और जघन्य मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश किया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द आरोपी को सजा दिलाई जा सके।
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस अधीक्षक से घटना की जांच रिपोर्ट तलब की है। 'द मूकनायक' से बातचीत में आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही आयोग ने एसपी से जांच प्रतिवेदन मांगा है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आयोग समय-समय पर प्रशासन को निर्देश देता रहा है कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच की जाए और उसी आधार पर स्कूलों व अन्य स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। उन्होंने कहा कि घटनाओं पर तुरंत प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए और बारीकी से जांच की जानी चाहिए, ताकि दोषियों को कठोर सजा दिलाई जा सके।