उदयपुर- बाल विवाह निषेध अधिनियम वर्ष 2006 से लागु होने के बाद आज भी लगभग 2 दशक के बाद भी बाल विवाह पर पूर्णरूप से रोक नहीं लग पाई हैं. अक्षय तृतीय के अतिरिक्त विभिन्न अवसरों पर आज भी चोरी- छिपे बाल विवाह होने की खबरे आती रहती हैं. इस कलंक को समाज से मिटाने हेतु सरकारी प्रयासों के साथ-साथ स्वयं सेवी संगठन गायत्री सेवा संस्थान कार्यरत हैं.
संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष विभिन्न अवसरों पर बाल विवाह रोकने का कार्य जिला प्रशासन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में किया जाता रहा हैं. संस्थान द्वारा उदयपुर जिले में विगत 1 वर्ष में कुल 14 बाल विवाह रुकवाने के साथ अधिनियम अन्तर्गत प्रथम निषेधाज्ञा भी जारी करवाई गई थी. इसी दिशा में संस्थान द्वारा प्रत्येक पंचायत स्तर पर बाल विवाह की सही समय पर जानकारी प्राप्त करने हेतु सक्रिय किशोर -किशोरियों के ग्रुप बनाये गए हैं , ताकि कही भी बाल विवाह होने से पूर्व उसे समय पर रोका जा सके.
इसी के परिणाम स्वरुप गोगुन्दा पंचायत के अंतर्गत आने वाले ईसवाल गाँव में नाबालिग बालिका के बाल विवाह की सूचना संस्थान को शनिवार को प्राप्त हुई जिस पर संस्थान द्वारा गोगुन्दा पुलिस थाने में नियुक्त बाल कल्याण अधिकारी मोहन सिंह मय जापते के साथ मोके पर पहुँचकर बाल विवाह को रुकवाया गया एवं परिवार को नोटिस जारी कर पाबंद किया गया की जब तक बालिका 18 वर्ष की नहीं हो जाती तब तक उसका विवाह नहीं किया जाये.
कार्यवाही के दोरान जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलाइंस के प्रतिनिधि, आर-केग की टीम सहित गायत्री सेवा संस्थान प्रतिनिधि नितिन पालीवाल एवं विवेक पालीवाल उपस्थित रहे.