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प्रोफेसर पर बनाया RSS जॉइन करने का दबाव, हाईकोर्ट ने पुलिस और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के दिए आदेश

भोपाल। मध्य प्रदेश के सीधी जिले स्थित शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) जॉइन कराने के लिए मारपीट और धमकी देने का मामला सामने आया था। इस मामले में प्रोफेसर डॉ. रामजस चौधरी के आरोपों के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की और आरोपी शिक्षकों, पुलिस अधिकारियों एवं कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

क्या है पूरी घटना?

घटना 12 सितंबर 2024 की है, जब डॉ. रामजस चौधरी को कॉलेज से घर जाते समय सरेराह हमला किया गया। इसके बाद पीड़ित ने जब पुलिस में शिकायत की तो कार्रवाई की बजाय उन्हें और भी परेशान किया गया। अब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने सीधी एसपी रविंद्र वर्मा और मझगवां थाना प्रभारी दीपक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कॉलेज प्रिंसिपल और उच्च शिक्षा विभाग को भी नोटिस जारी किया है, साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी 2025 को निर्धारित की है।

प्रोफेसर रामजस चौधरी ने बताया कि 12 सितंबर 2024 को जब वे कॉलेज से घर जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहे थे, तभी तीन लोग उनके पास आए और हथियारों से लैस होकर उन्हें सरेराह मारा। उन्होंने बताया कि इस हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अस्पताल में पुलिस आई, लेकिन पुलिस ने नामजद आरोपियों के बजाय "अज्ञात" शब्द का इस्तेमाल किया।

आरएसएस जॉइन करने का था दबाव

पीड़ित डॉ. रामजस चौधरी ने बताया कि अक्टूबर 2023 में कॉलेज के एक शिक्षक डॉ. सुरेश कुमार तिवारी ने उन्हें आरएसएस की मीटिंग में शामिल होने का दबाव डाला था। डॉ. चौधरी ने इसका विरोध किया और साफ तौर पर मना कर दिया। इसके बाद से उन्हें लगातार धमकियां दी जाने लगीं।

वे बताते हैं कि फरवरी 2024 में कॉलेज के बाथरूम में उन्हें आधे घंटे तक बंद कर दिया गया, जिसके बाद उनकी हालत बहुत खराब हो गई। इसके बाद मई 2024 में एक और धमकी दी गई, जिसमें कहा गया कि "अब आगे देखो क्या होता है।"

डॉ. चौधरी के अनुसार, जुलाई 2024 में कॉलेज प्रिंसिपल के केबिन में घुसकर छह लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी। यह घटनाएं तब और बढ़ गईं जब 12 सितंबर को उन्हें सरेराह हमला किया गया।

रामजस चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने अपनी शिकायत लेकर मझगवां थाना प्रभारी दीपक सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने मदद करने के बजाय उन्हें गाली-गलौज की और चार घंटे तक थाने में बिठाए रखा। इसके बाद अगस्त 2024 में जब उन्होंने सीधी के एसपी रविंद्र वर्मा से शिकायत की, तो उन्होंने न केवल उनकी शिकायत को नजरअंदाज किया, बल्कि आवेदन भी फाड़ दिया और धमकी दी कि यदि वे फिर से शिकायत लेकर आए तो उन्हें थाने में बंद करवा देंगे। चौधरी ने इस दौरान 10 बार आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

डॉ. रामजस चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया कि उनकी शिकायत पर न केवल पुलिस अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि अगले ही दिन कॉलेज प्रिंसिपल ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया। जब उन्होंने इस बर्खास्तगी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, तो कोर्ट ने कॉलेज प्रशासन और उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने दिया आदेश

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सीधी एसपी और मझगवां टीआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, कोर्ट ने कॉलेज के प्रिंसिपल और उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ भी कार्रवाई की बात कही है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ उचित धाराओं में मामला दर्ज किया जाए और पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में कड़ी कार्रवाई की जाए।

पीड़ित डॉ. रामजस चौधरी ने कोर्ट में अपने घायल होने की तस्वीरें पेश की हैं, जो इस बात को साबित करती हैं कि उन्हें गंभीर रूप से मारा गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी शिकायतों पर पुलिस और कॉलेज प्रशासन ने जानबूझकर निष्क्रियता दिखाई, जिससे उनके खिलाफ अपराध बढ़ते गए। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस और कॉलेज प्रशासन समय पर कार्रवाई करते तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

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