नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर बुधवार को इंडिया ब्लॉक के अधिकांश घटक दल एक साथ दिल्ली में एक मंच पर आए। विपक्ष के करीब 60 सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
विपक्षी दलों की ओर से बोलते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूर्व में सभी सभापति नियमों के अनुसार कार्य करते रहे हैं। लेकिन, आज सदन में नियम कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मैं किसी दल का नहीं हूं। लेकिन, हमें अफसोस है कि आज सभापति के पक्षपाती रवैये के कारण हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है।
खड़गे ने कहा कि सभापति प्रतिपक्ष के नेताओं को विरोधी के तौर पर देखते हैं। वह कभी स्वयं को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं तो कभी सरकार की तारीफ करते हैं। राज्यसभा के सभापति नई नियुक्ति पाने के लिए यह सब कर रहे हैं। विपक्ष के सांसदों में वरिष्ठ वकील, लेखक, शिक्षक और विद्वान हैं। लेकिन, सभापति इनसे पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं और एक हेडमास्टर जैसा बर्ताव करते हैं। हाउस को बाधित करने का काम सत्ता पक्ष और सभापति द्वारा किया जा रहा है। विपक्ष के सांसद सभापति से सदन में संरक्षण मांगते हैं। लेकिन, सभापति सरकार का पक्ष लेते हैं। पहली बार ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जो विपक्ष की सरेआम निंदा करते हैं। सभापति को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। लेकिन, वह ऐसा नहीं करते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्यसभा के सभापति सत्ता पक्ष के लोगों को विपक्ष के खिलाफ बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जब हमने नियम-267 के तहत बोलने की अनुमति मांगी तो उन्होंने हमें नहीं बोलने दिया। जब सत्ता पक्ष के लोगों ने नियम-267 के तहत बोलने की अनुमति मांगी तो उनके सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया। अविश्वास प्रस्ताव हमारा व्यक्तिगत मसला नहीं, बल्कि, देश के संविधान और संसदीय लोकतंत्र को बचाने का प्रयास है। हमने देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में यह कदम उठाया है।
डीएमके के राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में नेता प्रतिपक्ष और नेता सदन महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष को बोलने का मौका नहीं मिल रहा है। सदन में केवल सत्ता पक्ष को दिखाया जाता है। सोनिया गांधी वरिष्ठ नेता हैं। उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। सदन में सत्ताधारी पक्ष को विपक्ष की आवाज सुननी चाहिए। लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। विपक्ष को बोलने का मौका ही नहीं मिल रहा, इसलिए विपक्ष ने सभापति की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही के खिलाफ प्रस्ताव लाया है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने कहा कि राज्यसभा में सभापति ने विपक्ष को पूरी तरह से नकार दिया है। हम देश में दूसरे सबसे बड़े पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ यह प्रस्ताव बहुत दुखी होकर ला रहे हैं। विपक्ष के सांसद जो बोलते हैं, अक्सर उसे संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा का कहना था कि यह पूरी कोशिश किसी एक व्यक्ति के विरोध में नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था को बदलने के लिए है। हमें मणिपुर या फिर संभल जैसे मुद्दों पर बोलने का मौका नहीं मिलता। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि राज्यसभा के सभापति सदन नहीं चलाते हैं। वह सर्कस चला रहे हैं। यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं हैं। यह संसद को बचाने की लड़ाई है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सरफराज अहमद ने कहा कि हमने कभी ऐसा सभापति नहीं देखा। शरद पवार की एनसीपी की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने कहा कि सत्ता पक्ष चाहे कितना भी हमारे खिलाफ बोले, उन्हें इसकी इजाजत दी जाती है। लेकिन, विपक्ष को बोलने नहीं दिया जाता। इसी कारण हम यह नोटिस देने पर मजबूर हुए हैं।
इस दौरान आम आदमी पार्टी का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था। विपक्ष के नेताओं का कहना था कि आम आदमी पार्टी के सांसदों को चुनाव आयोग जाना था, इसलिए इस कार्यक्रम में नहीं आ सके। लेकिन, उनके पांच सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
'जगदीप धनखड़ सरकार के प्रवक्ता, राज्यसभा में व्यवधान के लिए खुद जिम्मेदार': मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए उन्हें सरकार का सबसे बड़ा प्रवक्ता बताया।
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में 'इंडिया' ब्लॉक की तरफ से आयोजित एक प्रेस वार्ता में खड़गे ने कहा, "राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति जगदीप धनखड़ हैं।" उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति देश में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव लाया गया है। वह हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे होते हैं और हमेशा उन्हें नियमों के अनुसार सदन को चलाना होता है। लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति चल रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति के तौर पर "हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग" करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते। बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है। उनकी निष्ठा संविधान की बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है और संवैधानिक परंपरा के प्रति वह अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति जगदीप धनखड़ स्वयं हैं।"
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने आगे कहा कि उपराष्ट्रपति के व्यवहार ने देश की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें अविश्वास का नोटिस सदन में लाना पड़ा। हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए बहुत सोच-विचार करने के बाद यह कदम उठाया है।
राज्यसभा में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने 10 दिसंबर को सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 'इंडिया' ब्लॉक के सांसदों ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को एक प्रस्ताव सौंपा है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन किया जा रहा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यसभा में उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया जा रहा है।