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MP: रीवा में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दिए जाने वाले पोषण आहार को सड़े अनाज से और पैरों से कुचलकर तैयार किया गया! वीडियो हुआ वायरल

भोपाल। मध्य प्रदेश के रीवा जिले से एक शर्मनाक और गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। पहाड़िया स्थित टेक होम राशन (THR) प्लांट में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और किशोरियों को दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार को गंदे और सड़े हुए अनाज से तैयार किया जा रहा है। इस पूरे कृत्य का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक युवक खुले पैरों से अनाज को रौंदते हुए मशीन में डालता दिखाई दे रहा है।

यह पोषण आहार जिले की सभी 100 से अधिक आंगनवाड़ियों में सप्लाई किया जाता है, जहां इसका उपयोग गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों और 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी किशोरियों को पोषण देने के लिए किया जाता है।

वीडियो में क्या है?

वीडियो में एक युवक बिना किसी सुरक्षा मानक के पैरों से सड़ा-गला अनाज रौंद रहा है और उसे मशीन में डाल रहा है। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हड़कंप मच गया।

जांच के आदेश

रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने वीडियो पर संज्ञान लेते हुए कहा, "पहाड़िया THR प्लांट से जुड़ी गंभीर शिकायत सामने आई है। मैंने जिला पंचायत सीईओ को मौके पर जाकर निरीक्षण करने और जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। जांच के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

महिला समूहों द्वारा संचालित होता है प्लांट

यह प्लांट स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य पोषण सुधार के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता देना था। लेकिन अब सामने आए वीडियो ने इस उद्देश्य को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

किन्हें दिया जाता है यह पूरक पोषण आहार?

  • 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चे

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएं

  • 11 से 14 साल की शाला त्यागी किशोरी बालिकाएं

इन सभी को टेक होम राशन के रूप में सप्ताह में 6 दिन पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को इसके अतिरिक्त रेडी-टू-ईट पूरक आहार भी दिया जाता है।

आंगनवाड़ी पोषण आहार का उद्देश्य

आंगनवाड़ी पोषण आहार का उद्देश्य कुपोषण, एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं को दूर करना बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देना, गर्भवती महिलाओं और माताओं के स्वास्थ्य में सुधार लाना है.

सवालों के घेरे में प्रशासनिक निगरानी

रीवा जिले के इस घटनाक्रम ने पोषण आहार की गुणवत्ता और निगरानी पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

आगे क्या होगा?

अब सारी नजरें जिला पंचायत सीईओ की रिपोर्ट और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। यदि यह लापरवाही सिद्ध होती है तो संबंधित महिला समूहों, कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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