MP महू के भंते संघशील आत्महत्या मामला: छह साल बाद फिर उठा विवाद, भाजपा-कांग्रेस के बीच वार-पलटवार

12:28 PM Jan 29, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू के पूर्व अध्यक्ष भंते संघशील (अरविंद वासनिक) की आत्महत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। छह साल पहले 2019 में हुई इस घटना पर अब राजनीति तेज हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में यह आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े व्यक्ति को सोसायटी का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया था, जिसने भंते संघशील को मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित किया कि वे आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए।

यह मामला ऐसे समय में उठा है जब महू स्थित अंबेडकर स्मारक के निर्माण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। दोनों दल यह साबित करने में जुटे हैं कि स्मारक का निर्माण उनकी सरकार के प्रयासों का नतीजा है। दिग्विजय सिंह ने इस राजनीतिक बहस के बीच भंते संघशील की आत्महत्या का मुद्दा उठाकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है, जिससे यह मामला फिर से चर्चा में आ गया है।

भंते संघशील कौन थे?

भंते संघशील का असल नाम अरविंद वासनिक था और वे डॉ. अंबेडकर के विचारों को समर्पित एक समाजसेवी थे। वे डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू के अध्यक्ष थे और सामाजिक न्याय, शिक्षा और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय थे। उनके नेतृत्व में सोसायटी ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन 2019 में उनके इस्तीफे और आत्महत्या ने संस्था में व्याप्त अंतर्कलह और राजनीति को उजागर कर दिया।

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कैसे शुरू हुआ विवाद?

2019 में भंते संघशील ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सोसायटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, सोसायटी की कार्यकारिणी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया और उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध किया। लेकिन इसके बाद सोसायटी में दो गुट बन गए—एक गुट का नेतृत्व राजेश वानखेड़े कर रहे थे और दूसरे का मोहनराव वाकोड़े। यह विवाद बढ़ता चला गया और अंततः 20 जून 2019 को भंते संघशील ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

उनका सुसाइड नोट सामने आया, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनकी मृत्यु के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है, लेकिन उनके बेटे अजय वासनिक का दावा है कि उनके पिता सोसायटी में चल रही गुटबाजी और राजनीति से बेहद परेशान थे। परिवार का आरोप है कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया।

बीजेपी-कांग्रेस के बीच राजनीतिक घमासान

भंते संघशील की आत्महत्या का मामला अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस मुद्दे पर एक-दूसरे को घेरने में लगे हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने जानबूझकर सोसायटी में आरएसएस से जुड़े व्यक्ति को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया, जिसने भंते संघशील पर अनावश्यक दबाव बनाया और उनकी स्थिति को मानसिक रूप से इतना कमजोर कर दिया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने वर्षों बाद भी इस मामले में कोई निष्पक्ष जांच क्यों नहीं हुई?

वहीं, बीजेपी का कहना है कि यह कांग्रेस की साजिश है और वह दलितों और अंबेडकरवादियों को गुमराह करने के लिए इस मुद्दे को उछाल रही है। बीजेपी नेताओं का दावा है कि भंते संघशील की आत्महत्या के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं था, बल्कि यह सोसायटी के आंतरिक विवाद का नतीजा था।

महू स्थित अंबेडकर स्मारक पर श्रेय लेने की होड़

इस विवाद का एक बड़ा कारण महू स्थित अंबेडकर स्मारक का निर्माण भी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों इस स्मारक के निर्माण का श्रेय लेने के लिए एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि उनकी सरकार ने इस स्मारक के निर्माण को आगे बढ़ाया और अंबेडकर अनुयायियों के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

शिवराज के इस बयान पर दिग्विजय सिंह का दावा है कि यह स्मारक कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मंजूर हुआ था और बीजेपी सिर्फ इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। उन्होंने इस बहस के बीच भंते संघशील की आत्महत्या का मुद्दा उठाकर बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।