+

MP: माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के लोकपाल पर कार्रवाई की मांग, नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जानिए क्या है मामला?

भोपाल। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के लोकपाल ओमप्रकाश सुनरया के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है।

उमंग सिंघार ने पत्र में कहा है कि हाल ही में प्रकाशित समाचारों के अनुसार ओमप्रकाश सुनरया के खिलाफ भोपाल के रातीबड़ थाने में शिकायत की गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर जनप्रतिनिधियों और धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की है। सिंघार का कहना है कि इस प्रकार की टिप्पणियां लोकपाल जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अनुचित हैं और यह निश्चित रूप से कदाचरण की श्रेणी में आता है।

नेता प्रतिपक्ष ने सीएम को लिखा पत्र

लोकपाल की भूमिका पर उठे सवाल

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, देशभर में मीडिया शिक्षा के एक प्रमुख संस्थान के रूप में जाना जाता है। विश्वविद्यालय के लोकपाल का कार्य नैतिकता और मर्यादा बनाए रखना होता है, लेकिन ओमप्रकाश सुनरया पर लगे आरोपों ने उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि लोकपाल स्वयं किसी विशेष विचारधारा या पक्षपातपूर्ण व्यवहार में लिप्त पाए जाते हैं, तो यह विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला होगा।

नेता प्रतिपक्ष की मांग: तुरंत कार्रवाई हो

उमंग सिंघार ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द ओमप्रकाश सुनरया पर उचित कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा,

"एक उच्च शिक्षण संस्थान के लोकपाल का आचरण यदि संदिग्ध पाया जाता है, तो उस पर तुरंत कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।" सिंघार ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं होती, तो वह इसे सदन में उठाने के लिए बाध्य होंगे।

फिलहाल, इस मामले में राज्य सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, इस मुद्दे को लेकर शिक्षाविदों और छात्रों के बीच चर्चा तेज हो गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

एनएसयूआई ने लोकपाल ओमप्रकाश सुनराया पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की है। संगठन का कहना है कि सुनराया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, उन्होंने एआई आधारित वीडियो साझा कर कांग्रेस नेताओं की छवि खराब करने की कोशिश की। एनएसयूआई ने इस पूरे घटनाक्रम को अनैतिक बताते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ करार दिया है।

संगठन ने अपनी शिकायत में इन आरोपों को साबित करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट के स्क्रीनशॉट और अन्य दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं। एनएसयूआई ने मांग की है कि लोकपाल जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की इस हरकत पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। संगठन का कहना है कि अगर प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए, तो वे इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

एनएसयूआई के प्रदेश सह सचिव अमन पठान ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि लोकपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए इस तरह की टिप्पणियां करना पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने के साथ-साथ लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर हमला है। उन्होंने कहा कि संगठन किसी भी तरह की असंवैधानिक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।

विश्वविद्यालय प्रभारी तनय शर्मा ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि सामाजिक और संवैधानिक मूल्यों से भी जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि लोकपाल जैसे पद पर बैठे व्यक्ति से निष्पक्षता और जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। ऐसे में दोषी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और प्रशासन को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।

Trending :
facebook twitter