भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जाने के बाद, मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस मसले को गंभीरता से लेते हुए व्यापक रणनीति तैयार की है। पार्टी अब मतदाता सूची की निगरानी सालभर करेगी और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग रजिस्टर तैयार किए जाएंगे। इस रजिस्टर को हर तीन माह में अपडेट किया जाएगा ताकि सूची में अपात्र नामों को हटाया जा सके और नए पात्र मतदाताओं के नाम जुड़वाए जा सकें।
जून-जुलाई से शुरू होगा कार्य, हर तिमाही होगी समीक्षा
प्रदेश कांग्रेस के अनुसार यह काम आगामी जून-जुलाई माह से शुरू कर दिया जाएगा। हर तीन महीने में एक बार विधानसभावार समीक्षा की जाएगी। इस दौरान गांवों और शहरों में घर-घर सर्वे कर यह देखा जाएगा कि किन मतदाताओं की मृत्यु हो गई है या कौन बाहर जाकर बस गया है। ऐसे लोगों के नामों को सूची से हटवाने का आवेदन निर्वाचन अधिकारियों को दिया जाएगा। वहीं जिन लोगों का नाम सूची में नहीं है, लेकिन वे मतदाता बनने के योग्य हैं, उनका नाम जुड़वाने के लिए भी पार्टी प्रयास करेगी।
चुनाव के समय नहीं, सालभर होगा काम
कांग्रेस का मानना है कि केवल चुनाव के समय मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत करने से ज्यादा लाभ नहीं होता। पार्टी का तर्क है कि यदि सूची की निगरानी सालभर की जाए, तो गड़बड़ियों को समय रहते सुधारा जा सकता है। इसीलिए अब एक स्थायी निगरानी तंत्र तैयार किया जा रहा है।
निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी रिपोर्ट
हर त्रैमास में बनने वाली रिपोर्ट को प्रदेश कांग्रेस मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और चुनाव आयोग को सौंपेगी। यदि बार-बार बताए जाने के बाद भी कोई अपात्र व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाता है, तो कांग्रेस न्यायालय का सहारा भी लेगी। यह कदम पार्टी की गंभीरता को दर्शाता है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय निर्वाचन नियम, 1960 के अंतर्गत, कोई भी नागरिक जो मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या हटवाने हेतु योग्य कारण दर्शाता है, वह संबंधित निर्वाचन अधिकारी को आवेदन दे सकता है। गलत या फर्जी नाम सूची में शामिल होने की स्थिति में आयोग जांच कर नाम हटा सकता है।
बूथ लेवल एजेंट नियुक्त करने की तैयारी
प्रदेश कांग्रेस अब मतदान केंद्र स्तर पर बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) भी नियुक्त करेगी। यह एजेंट मतदाता सत्यापन कार्य में सहयोग करेंगे। चुनाव आयोग पहले से ही मान्यता प्राप्त दलों से अपील करता है कि वे अपने बीएलए नियुक्त करें ताकि मतदाता सूची की पारदर्शिता बनी रहे।
प्रदेश कांग्रेस ने सभी जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को इसके लिए तैयारियां शुरू करने को कहा है। नियुक्ति के बाद इन एजेंटों की सूची आयोग को सौंपी जाएगी।
महाराष्ट्र के अनुभव से मिली सीख
कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान भी मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। इस अनुभव के आधार पर पार्टी का कहना है कि समय रहते कार्रवाई न करने से नुकसान होता है। अब पार्टी ने तय किया है कि वर्षभर मतदाता सूची का पुनरीक्षण करते हुए अपात्र नामों को हटाने और पात्र नामों को जोड़ने का अभियान सतत रूप से चलाया जाएगा।
कांग्रेस बनाएगी मोहल्ला और ग्राम कमेटियाँ, फर्जी वोटर्स हटाने पर फोकस
मध्यप्रदेश कांग्रेस के सचिव डॉ. विक्रम चौधरी ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का मामला सामने आया था। इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत निर्वाचन आयोग को शिकायत भेजी थी, जिस पर आयोग ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मतदाताओं को आधार कार्ड से जोड़ने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे साफ होता है कि मतदाता सूची में फर्जी वोटर्स की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और इसी के तहत पूरे प्रदेश में मोहल्ला और ग्राम स्तर पर कमेटियों का गठन किया जा रहा है। इन कमेटियों का प्राथमिक उद्देश्य फर्जी वोटर्स की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची से बाहर करवाना होगा। कांग्रेस कार्यकर्ता बूथ स्तर पर सक्रिय रहकर मतदाता सूची का परीक्षण करेंगे, और संदेहास्पद नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग तक पहुँचाई जाएगी।