जयपुर - आदिवासी नेता और विधायक किरोड़ी लाल मीणा, जो अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में स्वीकार किया था कि वह और कुछ अन्य जनजाति वर्ग के नेता 'क्रीमी लेयर' का लाभ उठा रहे थे। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गहरी चर्चा छेड़ दी थी। अब, इसी पृष्ठभूमि में, भाजपा ने उनके भाई जगमोहन मीणा को दौसा उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है.
गौरतलब है 2023 राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा (Murari Lal Meena) दौसा से निर्वाचित हुए थे लेकिन अप्रेल 2024 में कांग्रेस ने मीणा को प्रत्याशी बनाकर लोकसभा चुनाव मैदान में उतार दिया जिसके बाद मुरारी लाल सांसद चुने गए. इसके बाद खाली हुए सीट पर उपचुनाव में भाजपा ने जगमोहन मीणा को टिकट देने की घोषणा की है.
किरोड़ी लाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के आरक्षण में उपवर्गीकरण को लेकर दिए फैसले पर कहा था कि जो लोग पहले ही आरक्षण का लाभ उठा चुके हैं, उन्हें दोबारा इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने खुद के और अन्य नेताओं के उदाहरण देते हुए कहा था कि वे 'क्रीमी लेयर' में आते हैं और अब आरक्षण का लाभ उन गरीब और वंचित तबकों को मिलना चाहिए जो अब तक इससे वंचित रहे हैं। यह बयान तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण (सब-कैटेगरी) को अनुमति देने का निर्णय सुनाया था, जिसे किरोड़ी लाल मीणा ने 'समाज हित में एकदम सही' बताया था।
उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह में कहा था कि जो लोग पहले ही आरक्षण का फायदा उठा चुके हैं, उन्हें अब इस लाभ से दूर रहना चाहिए ताकि वंचित और कमजोर तबके को इसका सही लाभ मिल सके। उन्होंने कहा था, "मैं, जसकोर मीणा, हरीश मीणा, नमो नारायण मीणा, मुरारी लाल मीणा जैसे लोग आरक्षण की 'क्रीम' खा रहे हैं। लेकिन अब यह क्रीम समाज के गरीब तबके को मिलनी चाहिए।"
दौसा उपचुनाव और भाजपा की रणनीति
ऐसे वक्त में, जब किरोड़ी लाल मीणा आरक्षण की 'क्रीम लेयर' की बात कर रहे थे, भाजपा ने उनके भाई जगमोहन मीणा को दौसा विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी। जगमोहन मीणा को भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने से दौसा की राजनीति और जातिगत समीकरणों में भारी उलटफेर की संभावना बढ़ गई है।
दौसा में उपचुनाव को लेकर दोनों प्रमुख दलों— भाजपा और कांग्रेस—के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद लगाई जा रही है।
पहले जहां कांग्रेस को आसानी से जीत मिलती दिख रही थी, अब मुकाबला बेहद कड़ा हो गया है। किरोड़ी लाल मीणा, जो पहले ही भाजपा के एक मजबूत स्तंभ माने जाते हैं, इस उपचुनाव में 'चाणक्य' की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। उनके भाई को टिकट मिलने से जहां भाजपा को मजबूती मिली है, वहीं मीणा समाज के वोटों का ध्रुवीकरण भी देखने को मिल सकता है। हालांकि, किरोड़ी लाल मीणा के आरक्षण पर दिए गए बयानों और उनके भाई को टिकट मिलने के बीच विरोधाभास को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।
दौसा सीट पर कांग्रेस के अंदर भी गहमा-गहमी है। वर्ष 2023 में दौसा विधानसभा से मुरारी लाल मीणा को कांग्रेस ने टिकट दिया और मुरारीलाल मीणा ने भाजपा के प्रत्याशी शंकर लाल शर्मा को चुनाव हराकर जीत दर्ज की थी. अब पार्टी पर्यवेक्षकों ने मुरारीलाल मीणा के परिवार से किसी को उम्मीदवार बनाने के संकेत दिए हैं। मुरारीलाल मीणा पहले इस उपचुनाव से दूर रहने की बात कर रहे थे, लेकिन भाजपा के कदम के बाद अब कांग्रेस के पास विकल्प सीमित होते जा रहे हैं। यह तय माना जा रहा है कि या तो मुरारीलाल मीणा अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलवाएंगे या फिर किसी वफादार कार्यकर्ता को मौका देंगे।
दौसा उपचुनाव में किरोड़ी लाल मीणा का प्रभाव और उनके भाई जगमोहन मीणा को भाजपा का उम्मीदवार बनाना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। यह न केवल भाजपा की चुनावी रणनीति को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्र में जातिगत समीकरणों और आरक्षण के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाता है। आगामी चुनावी परिणाम यह तय करेंगे कि मीणा परिवार की यह राजनीतिक चाल किस हद तक सफल होती है और इसका असर क्षेत्र की राजनीति पर कितना गहरा होता है।