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मध्य प्रदेश में भारत आदिवासी पार्टी का एक सीट पर कब्जा, बसपा-जीजीपी का क्यों नहीं खुला खाता!

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के परिणामों ने सबको चौका दिया है। सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भी भाजपा ने 163 सीटें हासिल कर दो तिहाई बहुमत प्राप्त किया है। इसी बीच, राजस्थान में कुछ समय पूर्व गठित हुई भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने रतलाम जिले की सैलाना सीट जीतकर मध्य प्रदेश में अपनी पहली जीत दर्ज कर ली है।

भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार ने सैलाना निर्वाचन क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत को 4,618 मतों के अंतर से मात देकर जीत हासिल की यह पहली बार है कि राजस्थान में मुख्यालय वाली भारत आदिवासी पार्टी ने मध्य प्रदेश के किसी चुनाव में जीत दर्ज की है। बता दें कि रतलाम की सैलाना सीट राजस्थान की सीमा पर स्थित है। इसलिए भारत आदिवासी पार्टी का खासा असर इस क्षेत्र पर था।

अन्य क्षेत्रीय दलों को नहीं मिली सफलता

विधानसभा 2023 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। इन दोनों दलों ने सीट शेयर के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया। सीट-बंटवारे की व्यवस्था के अनुसार, बसपा 178 सीटों पर चुनाव लड़ी जबकि गोंडवाना गणतंत्र ने 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे।

दरअसल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रभाव महाकौशल क्षेत्र तक ही सीमित हैं। इस बार यह माना जा रहा था की जीजीपी बालाघाट क्षेत्र से दो सीटें जीत सकती है। लेकिन चुनावी परिणाम में खाता तक नहीं खुल पाया। इसके साथ ही पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को दो सीटें मिली थी लेकिन इस बार एक भी प्रत्याशी नहीं जीत सका। हालांकि इस बार बसपा का वोट प्रतिशत 3.4 प्रतिशत रहा। पिछली बार जहां सपा को एक सीट मिली थी वहीं इस बार उनके हाथ भी कुछ नहीं लगा। इस बार सपा का वोट प्रतिशत घटकर 1 से 0.46 पर पहुँच गया।

इन जिलों की 52 सीटों पर गठबंधन

बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन में गोंडवाना पार्टी को आदिवासी बहुल इलाकों की 52 सीटें दी गई थी। प्रदेश के सिंगरौली, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, कटनी, जबलपुर, सागर, डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, सिवनी छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद, रायसेन, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, इंदौर और खरगोन ज़िलों की सीटों पर गोंडवाना चुनाव लड़ेगी। यह जिले आदिवासी बाहुल्य हैं जहाँ जीजीपी खासा प्रभाव रखती है।

जय आदिवासी संगठन (जयस) ने भी 43 विधानसभाओ में अपने प्रत्याशी उतारे थे। जयस अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, खंडवा और धार जिले में प्रभाव रखती है। जीजीपी ने चुनाव के पूर्व बसपा के साथ गठबंधन करने के बाद 15 सीटें जीतने का दावा किया था, मगर एक भी सीट नहीं जीत पाए। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा पार्टी के प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समीक्षा करेंगे।

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