MP: ओबीसी जातियों को केंद्र सूची में शामिल करने की कवायद, NCBC ने जनसुनवाई में सुनी समस्याएं

10:59 AM Jan 19, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल में शुक्रवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) द्वारा जनसुनवाई आयोजित की गई। इस सुनवाई का मुख्य उद्देश्य यह था कि मध्यप्रदेश की ओबीसी सूची में शामिल वे जातियां, जो केंद्र की पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें केंद्र सूची में शामिल किया जा सके। इस कार्यक्रम में एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज अहीर शामिल हुए और समस्याएं भी सुनी।

32 ओबीसी जातियां हैं वंचित

मध्यप्रदेश में ओबीसी सूची में कुल 94 जातियां दर्ज हैं। लेकिन इनमें से 32 जातियां ऐसी हैं, जो केंद्र की सूची में शामिल नहीं हैं। इन जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि इस जनसुनवाई में सिर्फ पांच जातियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया।

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जब बाकी 27 जातियों पर सवाल किया गया, तो हंसराज अहीर ने बताया कि इन जातियों पर सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया गया था। यह सर्वे जन अभियान परिषद द्वारा किया गया, लेकिन सर्वे रिपोर्ट में खामियां पाई गईं। रिपोर्ट में कई तथ्य गलत थे, जिनके कारण 27 जातियों पर चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई।

सुनवाई में बुलाए गए 5 जातियों के प्रतिनिधि

इस जनसुनवाई में कुड़मी, लोढ़ा (तंवर), दमामी, फूलमाली (फूलमारी), और कलार (जायसवाल) जातियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। लेकिन इनमें से कुड़मी और लोढ़ा (तंवर) समाज के प्रतिनिधियों ने सर्वेक्षण रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाए।

प्रतिनिधियों ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि उनके समाज से कई सांसद हैं, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद हंसराज अहीर ने मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया और पिछड़ा वर्ग विभाग की राज्यमंत्री कृष्णा गौर को निर्देश दिया कि नई रिपोर्ट तैयार की जाए।

एनसीबीसी के अध्यक्ष ने कहा कि जिन 27 जातियों पर रिपोर्ट में खामियां हैं, उन्हें ठीक करके नए सिरे से सुनवाई की जाएगी। इसके साथ ही, कुड़मी और लोढ़ा समाज के मुद्दों को भी दोबारा जांचा जाएगा। बैठक के दौरान जन अभियान परिषद के एक अधिकारी की गैर-मौजूदगी पर भी सवाल उठे।

मध्यप्रदेश की जिन 32 जातियों को केंद्र की सूची में शामिल करने की मांग है, उनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

दमामी, फूलमाली (फूलमारी), कलार (जायसवाल), कुड़मी, लोढ़ा (तंवर)

मनधाव, भोपा (मानभाव), डूकर (कोल्हाटी), हरिदास, घड़वा-झारिया, वोवरिया, मोवार

रजवार, सुत-सारथी, तेलंगा-तिलगा, गोलान-गौलान-गवलान, जादम, गयार/परधानिया, बया महारा/कौशल

थोरिया, रुवाला/रुहेला

अब्बासी (सक्का), खरादी कमलीगर, गोली, घोषी व गवली, संतरास, शेख मेहतर (मुस्लिम जातियां)

यह है योजना

हंसराज अहीर ने यह भी स्पष्ट किया कि इन सभी जातियों को केंद्र सूची में शामिल करने के लिए पूरी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। लेकिन इसके लिए सर्वे रिपोर्ट को सही और तथ्यात्मक बनाना जरूरी है।

समस्या का समाधान कैसे होगा?

मध्यप्रदेश की ओबीसी जातियों को केंद्र की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे पहले, जन अभियान परिषद द्वारा तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी सही, तथ्यात्मक और पूरी हो। रिपोर्ट में जिन खामियों की पहचान की गई है, उन्हें सुधारने के लिए परिषद को निर्देश दिया गया है कि वह विस्तृत और सटीक रिपोर्ट तैयार करे।

इसके साथ ही, उन 27 वंचित जातियों के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिनकी सुनवाई इस बार नहीं हो सकी। इन जातियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर अलग से उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी और उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि हर जाति का पक्ष सुना जाए और उनकी हकीकत के आधार पर फैसला लिया जाए।

इस पूरी प्रक्रिया में राज्य सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग और पिछड़ा वर्ग विभाग को निर्देशित किया गया है कि वे इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाएं और रिपोर्ट को सुधारने और प्रक्रिया को गति देने में सहयोग करें। राज्य और केंद्र के इस संयुक्त प्रयास से वंचित जातियों को उनका अधिकार दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।