लखनऊ: होरिजेंटल रिजर्वेशन और ट्रांस पर्सन लोगों के मुद्दों व अधिकारों के लिए काम करने वाली सहारनपुर निवासी यशिका ने आरोप लगाया है कि ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड लखनऊ की सदस्य देविका देवेन्द्र ने उन्हें और उनके साथियों को फोन पर गलियां दी हैं और जातिसूचक शब्द भी कहे हैं.
यशिका ने आरोप लगाते हुए कहा कि, “ये अपर कास्ट ट्रांसजेंडर हैं. ये हमें लगातार कॉल करके तंग करती हैं, और गंदी-गंदी गलियां देतीं हैं. मैंने इनकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी की है. नोटिस गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.”
यशिका ने कहा कि शिकायत के बाद हमें डर लगता है कि हमारे साथ कोई अनहोनी हो सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि देविका कई दूसरे मोबाइल नंबरों से कॉल करवाती हैं. यशिका ने द मूकनायक को एक आडियो क्लिप भी साझा की है जिसमें एक महिला द्वारा बेहद फूहड़ और अभ्रद्र तरीके से गलियां दी जी रहीं हैं.
हालांकि, द मूकनायक इस आडियो की पुष्टि नहीं करता है.
द मूकनायक द्वारा यशिका से सवाल किया गया कि आखिर देविका उन्हें क्यों कॉल करके गलियां देंगी, इसके पीछे क्या वजह है? यशिका ने जवाब देते हुए कहा, “हम लोग ट्रांसजेंडरों के लिए क्षैतिज आरक्षण की मांग कर रहे हैं. मांग करने वालों में दलित-पिछड़े लोग हैं. जिसका वह विरोध कर रही हैं. और हमें वह कॉल करके जातिसूचक गलियां दे रही हैं.”
यशिका ने, ट्रांसजेंडरों के लिए क्षैतिज आरक्षण की मांग के मामले में ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सदस्य देविका देवेन्द्र पर पद कर दुरूपयोग करने का भी आरोप लगाया है. “वह कहती हैं कि ट्रांसजेंडरों में जातिगत भेदभाव नहीं होता है, लेकिन वह खुद जातिगत गलियां दे रहीं हैं”, यशिका ने द मूकनायक से कहा.
यशिका ने बताया कि उनकी एक अन्य दोस्त जेन कौशिक को भी वह कॉल करके परेशान करती हैं. उन्होंने कहा, “वह बीजेपी की तरफ से एक पद पर बैठी हैं. और खुलेआम अपने सोशल मीडिया पर क्षैतिज आरक्षण का विरोध करती हैं.”
मामले के बारे में दूसरा पक्ष जानने के लिए द मूकनायक ने ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड लखनऊ की सदस्य देविका से संपर्क किया. पहली लाइन में उन्होंने जवाब दिया कि, “जो आडियो आपको मिला है, उसके तहकीकात का काम पुलिस का है. उसपर मैं कुछ नहीं कहना चाहती हूँ.”
जातिगत टिप्पणी के आरोपों पर देविका ने कहा कि, “बचपन में जब मेरे परिजनों को पता चला कि मैं एक ट्रांसजेंडर हूँ तो उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया. तब उस समय मुझे एक बाल्मीकि समाज की महिला, कंठियाबाई ने महीनों तक अपने घर में जगह दी. वह रेलवे में काम करती थी. मैं पिछले 20 सालों से संवैधानिक मूल्यों पर काम कर रहीं हूँ. मैं कैसे जातिगत टिप्पणी कर सकती हूँ..!!”
वह आगे कहती हैं कि, “हमारी सिर्फ एक पहचान है - ट्रांसजेंडर. हमारी इसी पहचान के आधार पर हमसे बस में, मेट्रो में, आटो में, सार्वजानिक जगहों पर, दुकान पर हमारे साथ भेदभाव होता है. हर जगह हमारा मजाक बनाया जाता है. कोई हमारे पास बैठकर यात्रा तक नहीं करना चाहता. महिलाएं देखकर हंसी उड़ाती हैं. और मुझे पर आरोप लग रहे हैं कि मैं जातिवादी हूँ…!!”
“हाँ मैं होरिजेंटल रिजर्वेशन के विरोध में हूँ. मैं वर्टिकल रिजर्वेशन की मांग करती हूँ. हम तो सिर्फ एक पहचान - ट्रांसजेंडर- से जाने जाते हैं. इसलिए मैं जाति आधारित आरक्षण का विरोध करती हूँ. हमारी संख्या वैसे भी कम है. मैं चाहती हूँ कि आरक्षण का लाभ हमारे सभी लोगों को समान रूप से मिले. आडियो में दोनों बातचीत न मेरी है न ही वह याशिका की है. वह किसी ने डब किया है,” देविका ने कहा.