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जामिया मिलिया इस्लामिया में मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन इकाई की शुरुआत, छात्रों के कल्याण पर राष्ट्रीय फोकस को मिला नया बल

नई दिल्ली — छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक अहम पहल करते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) ने अपने मनोविज्ञान विभाग में एक मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन इकाई की स्थापना की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कॉलेज छात्रों में तनाव, चिंता और अवसाद के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

इस इकाई का उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ, कुलसचिव प्रोफेसर मेहताब आलम रिज़वी और डीन प्रोफेसर मोहम्मद मुस्लिम खान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. शीमा अलीम ने इस पहल को लेकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, “यह केवल एक कमरा नहीं है, बल्कि एक ऐसा शांत स्थान है जहाँ छात्र बिना किसी झिझक के आ सकते हैं, बात कर सकते हैं और पेशेवर मदद ले सकते हैं। मैं सभी छात्रों से कहना चाहती हूं कि अगर कभी भी आप तनाव में हों, तो मदद लेने से पीछे न हटें। आपको अकेले इसका सामना करने की ज़रूरत नहीं है।”

यह पहल 2024 में हैदराबाद में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय वेलबीइंग कॉन्क्लेव में दी गई सिफारिशों के आधार पर की गई है। इस इकाई के माध्यम से छात्रों को प्रारंभिक मनोवैज्ञानिक सहायता, जागरूकता गतिविधियाँ और परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। ज़रूरत पड़ने पर छात्रों को विशेषज्ञ मनोचिकित्सकों से जोड़ने के लिए एक रेफरल निर्देशिका के माध्यम से मार्गदर्शन भी किया जाएगा।

कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने सभी विभागाध्यक्षों और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे इस इकाई की जानकारी विश्वविद्यालय के सभी विभागों में व्यापक रूप से फैलाएं ताकि अधिक से अधिक छात्र इसका लाभ उठा सकें।

यह कदम देशभर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ते ध्यान से भी मेल खाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी परीक्षा पे चर्चा 2025 के दौरान इस विषय को उठाते हुए कहा था, “शिक्षा दबाव नहीं, उद्देश्य है। खुलकर बात करें—खामोशी में दर्द न सहें।”

इस पहल के साथ-साथ सरकार की अन्य योजनाएं, जैसे कि टेली-मैनस हेल्पलाइन (14416)—जो 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी—अब तक 18 लाख से अधिक कॉल को 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में संभाल चुकी है। राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम नीति, जो 2023 में शुरू की गई थी, कॉलेज छात्रों को प्राथमिकता समूह के रूप में चिन्हित करती है।

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा उठाया गया यह कदम न सिर्फ एक सकारात्मक शुरुआत है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि अब मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को दबाया नहीं जाएगा—बल्कि खुले तौर पर सुना और समझा जाएगा।

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