Rajasthan: स्वास्थ्य कल्याण योजनाओं को लेकर भजनलाल सरकार से लोग बेहद नाराज, जानिये क्या कहते हैं कर्मचारी और पेंशनर्स ?

09:57 AM Nov 10, 2024 | Geetha Sunil Pillai

जयपुर - राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के स्वास्थ्य कल्याण की योजनाएं शोषण का जरिया बन गई हैं। कर्मचारियों के हितों का दंभ भरने वाली भजन लाल सरकार उनके कल्याण की जगह खुद की तिजोरी भरने में लगी है, सिस्टम की कमी कहे या कर्मचारी जन कल्याण आयोग की कमी सभी योजनाओं का लाभ आम कर्मचारी पेंशनर को प्राप्त नहीं होने पर खुद को ठगा सा महसूस करता हैं।

राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम द्वारा बांसवाडा में आयोजित एक संगोष्ठी में यह मुद्दा प्रमुखता से उभरा। संगठन का कहना है कि जहां एक ओर सरकार कर्मचारियों से हर महीने सैकड़ों रुपये की कटौती कर रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हें बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं।

RGHS योजना, RPMF, सामूहिक दुर्घटना बीमा और अन्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के नाम पर राज्य भर से हर महीने करोड़ों रुपये एकत्रित किए जा रहे हैं, लेकिन जब कर्मचारियों को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है, तब वे लाचार होकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं। विशेष रूप से वरिष्ठ पेंशनरों की स्थिति दयनीय है, जिन्हें कई बार अपनी जमापूंजी और गहने तक बेचकर इलाज कराना पड़ रहा है।

संगोष्ठी के प्रारम्भ में वक्ताओं ने आर पी एम एफ,आर जी एच एस योजना ,सामूहिक दुर्घटना बीमा सहित अनेक निजी स्वास्थ्य बीमा धारक की पॉलिसी लेने के बावजूद आवश्यकता पड़ने पर सही उपचार नहीं मिलने पर ओर दवाई के नाम पर अनावश्यक लौटा फेरी करने पर पेंशनरो ओर आम कर्मचारी में आक्रोश बढ़ता जा रहा है ।

इधर एक और जहां कर्मचारियों की प्रतिमाह स्वास्थ्य के नाम पर कटौतियां सैकड़ों रुपयों की  जबरन हो रही है जोकि राज्य भर का आंकड़ा देखे तो यह आंकड़ा करोड़ों रुपए प्रति माह एकत्रित होता है किन्तु सुविधा के नाम पर वरिष्ठ पेंशनर जब बीमारी में भटकता है तो रोता हुआ सरकार को बददुआ देने लगता है.

विभिन्न दवा दुकानों पर लाचार भटकने के बाद जब उसे दवा दुकानों से बाहर टरका के निकालते हुए बताया जाता है कि यह दवाई आगे से बंद है तो कहता है कि प्रतिबंधित कि गई दवा डाक्टर ने कैसे लिख दी और योजना की पॉलिसी या राशि कटौती करते समय बताया क्यों नही और अंत में खुद को ठगा सा मुद्रा में अपनी जमा पूंजी और गहने बेच कर इलाज करवाता है ।

कर्मचारी / पेंशनर को मजबूरन नगद राशि का खर्च कर दवा खरीदनी पड़ती है. इसके साथ ही दांतों का कोई भी कोई भी अस्पताल इस योजना में शामिल नहीं है- एक उम्र के बाद दांत खराब होने लगते हैं या दांतों संबंधी अनेक समस्याएं आने लगती हैं आर जी एच एच में इलाज न होने के कारण कर्मचारियों / पेंशनरों  को प्राइवेट अस्पताल में नकद राशि कर खर्च कर महंगा इलाज करवाना पड़ता है.

इसके अतिरिक्त अधिकृत फार्मा स्टोर को समय पर भुगतान नहीं होने से बहुत सी बार फार्मा स्टोर आर जी एच एस में दवा देने से इंकार करते है जोकि न्यायोचित नहीं है यदि जिला स्तर पर नोडल अधिकारी के सानिध्य में पेंशनर और कर्मचारी महासंघ ,शिक्षक संगठन सहित विभिन्न वरिष्ठ की एक सेवा निवृत समिति गठित की जाकर स्वैच्छिक निशुल्क सेवा आवेदन प्राप्त किए जाए तो पेंशनरों के साथ साथ आम आदमी को भी राहत उपलब्ध होगी।

संगोष्ठी में प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा, सियाराम शर्मा प्रदेश प्रशासनिक अध्यक्ष,  प्रदेश महामंत्री नवीन कुमार शर्मा, प्रदेश सभाध्यक्ष ललित आर पाटीदार,  वीरेंद्र चौधरी, जिलामंत्री नवीन जोशी सतीश जोशी, अरुण एस व्यास, निलेश शाह,महिपाल भूता,लोकेश पटेल, सहित अनेक जिलो से शिक्षक ,पेंशनर शामिल थे।

वक्ताओं ने मांग की कि राज्य सरकार आर पी एम एफ,आर जी एच एस योजना ,सामूहिक दुर्घटना बीमा सहित अनेक निजी स्वास्थ्य बीमा धारक की पॉलिसी धारक पेंशनरों की बढ़ती समस्याओं के लिए राज्य स्तर पर कर्मचारी जन कल्याण आयोग की स्थापना करते हुए प्रत्येक जिला स्तर पर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जावे ताकि स्थानीय समस्याओं का निदान हाथोंहाथ हो सके ।