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परेश रावल का दावा 'मूत्र पीकर ठीक हुआ'; यू.एस. आर्मी फील्ड मैनुअल सैनिकों को सर्वाइवल स्थिति में भी मूत्र पीने से मना करता है— जानिए क्यों हानिकारक है मूत्र सेवन

नई दिल्ली- हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल ने अपने एक बयान से सुर्खियां बटोरीं, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने घुटने की चोट से उबरने के लिए अपना मूत्र पिया। लल्लनटॉप को दिए एक साक्षात्कार में रावल ने बताया कि यह कदम उन्होंने दिवंगत स्टंट डायरेक्टर और अभिनेता अजय देवगन के पिता वीरू देवगन की सलाह पर उठाया। वीरू देवगन ने मुंबई के नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती रावल से मुलाकात की और उन्हें अपना मूत्र पीने की सलाह दी।

इस दावे ने यूरिन थेरेपी को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चिकित्सक डॉ. निशा यादव की एक पोस्ट ने इस विवाद को और हवा दी, जिसमें उन्होंने मूत्र को शरीर का अपशिष्ट बताते हुए इसे पीने को मूर्खता करार दिया। दूसरी ओर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि यू.एस. आर्मी फील्ड मैनुअल सैनिकों को जीवित रहने की स्थिति में भी मूत्र पीने से मना करता है। आइए, वैज्ञानिक तथ्यों, ऐतिहासिक दावों और विशेषज्ञों की राय के आधार पर इस विषय की पड़ताल करते हैं और जानते हैं कि मूत्र सेवन क्यों हानिकारक हो सकता है।

यूरिन थेरेपी क्या है?

यूरिन थेरेपी, जिसे उरोथेरेपी या शिवांबु भी कहा जाता है, एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें व्यक्ति अपने या दूसरों के मूत्र को पीने, त्वचा पर लगाने या अन्य तरीकों से उपयोग करता है। इसके समर्थक दावा करते हैं कि यह एलर्जी, मुंहासे, कैंसर, हृदय रोग, संक्रमण, घाव, नाक बंद होना, त्वचा की समस्याएं और डंक मारने जैसी स्थितियों में लाभकारी है। हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय इन दावों को खारिज करता है, क्योंकि इनके समर्थन में कोई ठोस शोध नहीं है।

मूत्र मानव शरीर का अपशिष्ट उत्पाद है, जो किडनी द्वारा रक्त से छानकर निकाला जाता है। नासा के लिए 1971 में तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार, मूत्र की संरचना इस प्रकार है:

  • 95% से अधिक पानी

  • यूरिया: 9.3 ग्राम/लीटर (नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट)

  • क्लोराइड: 1.87 ग्राम/लीटर

  • सोडियम: 1.17 ग्राम/लीटर

  • पोटैशियम: 0.750 ग्राम/लीटर

  • क्रिएटिनिन: 0.670 ग्राम/लीटर

  • अन्य घुलनशील आयन, अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक, जैसे यूरिक एसिड, ट्रेस मात्रा में प्रोटीन, हार्मोन, ग्लूकोज और पानी में घुलनशील विटामिन।

ये पदार्थ शरीर से बाहर निकाले जाते हैं, क्योंकि ये अनावश्यक या हानिकारक हो सकते हैं। डॉ. निशा यादव ने अपनी पोस्ट में जोर दिया कि यूरिया, क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ शरीर के लिए विषाक्त हो सकते हैं, और इन्हें दोबारा ग्रहण करना किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।

मूत्र सेवन क्यों हानिकारक है?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूत्र पीना न केवल अप्रभावी है, बल्कि कई स्वास्थ्य जोखिमों को भी जन्म दे सकता है। कुछ प्रमुख कारण:

  1. विषाक्त पदार्थों का दोबारा अवशोषण: मूत्र में यूरिया, क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ होते हैं, जो शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। इन्हें दोबारा पीने से किडनी और लीवर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

  2. संक्रमण का खतरा: मूत्र मूत्राशय में स्टेराइल हो सकता है, लेकिन बाहर निकलते समय यह बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। इसे पीने से बैक्टीरियल संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।

  3. डिहाइड्रेशन: मूत्र में नमक और इलेक्ट्रोलाइट्स की उच्च मात्रा होती है, जो शरीर में पानी की कमी को बढ़ा सकती है, खासकर अगर पहले से डिहाइड्रेशन हो।

  4. दवाओं के अवशेष: यदि व्यक्ति दवाएं ले रहा है, तो मूत्र में इनके अवशेष हो सकते हैं, जो दोबारा पीने पर एलर्जी या अन्य जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।

  5. यू.एस. आर्मी फील्ड मैनुअल की चेतावनी: यह मैनुअल स्पष्ट रूप से सैनिकों को सर्वाइवल स्थिति में भी मूत्र पीने से मना करता है, क्योंकि यह विषाक्त पदार्थों, बैक्टीरिया और दवाओं को शरीर में वापस लाता है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

यूरिन थेरेपी का इतिहास

यूरिन थेरेपी का इतिहास हजारों साल पुराना है। प्राचीन रोम, ग्रीस, मिस्र और भारत में इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था। उदाहरण के लिए:

  • प्राचीन रोम में मूत्र का उपयोग दांतों को सफेद करने के लिए होता था।

  • भारत में आयुर्वेद और शिवांबु कल्प जैसे ग्रंथों में मूत्र को औषधीय गुणों वाला बताया गया।

  • मध्यकालीन हठ योग में इसे "अमरोली" के रूप में जाना जाता था।

आधुनिक यूरिन थेरेपी को 1945 में ब्रिटिश नेचुरोपैथ जॉन डब्ल्यू. आर्मस्ट्रांग ने लोकप्रिय बनाया। उनकी किताब "द वाटर ऑफ लाइफ: अ ट्रीटाइज ऑन यूरिन थेरेपी" में दावा किया गया कि मूत्र सभी प्रमुख बीमारियों को ठीक कर सकता है। आर्मस्ट्रांग ने सुझाव दिया कि मृत्यु के करीब लोग कई हफ्तों तक केवल अपना मूत्र पीएं और इसे त्वचा पर मालिश करें। उनके दावे उनके परिवार की प्रथाओं और बाइबिल के एक वाक्यांश "अपने कुंड से पानी पी" से प्रेरित थे, हालांकि बाइबिल विद्वान इस व्याख्या को गलत मानते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या यूरिन पीना फायदेमंद है?

वैज्ञानिक समुदाय यूरिन थेरेपी के दावों को खारिज करता है। कई अध्ययनों और विशेषज्ञों की राय इस बात की पुष्टि करती है कि मूत्र पीने से कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं होता।

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी और अन्य स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि मूत्र या यूरिया से कैंसर या अन्य बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। यह गलत धारणा है कि मूत्र पूरी तरह से स्टेराइल होता है। यह केवल मूत्राशय में स्टेराइल हो सकता है, लेकिन बाहर निकलते समय बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। मूत्र पीने से किडनी पर दबाव, डिहाइड्रेशन, और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे जोखिम बढ़ सकते हैं।

कई मशहूर हस्तियों ने यूरिन थेरेपी का समर्थन किया है। पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दावा किया था कि मूत्र पीने से उनकी सेहत बनी रही। मैक्सिकन बॉक्सर जुआन मैनुअल मार्केज और अन्य हस्तियों ने भी इसके फायदे बताए। नाइजीरिया जैसे कुछ देशों में, पारंपरिक समुदाय मूत्र को बच्चों के दौरे (सीजर) के इलाज के लिए उपयोग करते हैं, लेकिन शोध बताते हैं कि इससे बैक्टीरियल संक्रमण और एंटीबायोटिक प्रतिरोध की समस्या बढ़ सकती है।

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