महाराष्ट्र: गर्भस्थ शिशु के पेट में मिला भ्रूण, डॉक्टर भी रह गए हैरान

04:07 PM Jan 31, 2025 | Ankit Pachauri

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के सरकारी अस्पताल में एक चौंकाने वाला चिकित्सीय मामला सामने आया है, जिसने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया। एक गर्भवती महिला की सोनोग्राफी के दौरान डॉक्टरों को पता चला कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु के पेट के अंदर भी एक भ्रूण विकसित हो रहा है। चिकित्सा विज्ञान में इस स्थिति को 'फीटस इन फीटस' (Fetus in Feto) कहा जाता है, जो दुनिया में अब तक केवल 200 मामलों में दर्ज की गई है। भारत में ऐसे 15 से 20 मामले ही सामने आए हैं।

बुलढाना जिले के मोताला तहसील के एक गांव की 32 वर्षीय गर्भवती महिला जब अपनी नियमित जांच के लिए सरकारी महिला अस्पताल पहुंची, तो डॉक्टर प्रसाद अग्रवाल ने उसकी सोनोग्राफी की। पहली बार में ही उन्होंने कुछ असामान्य देखा, लेकिन स्थिति की पुष्टि के लिए उन्होंने तीन बार और सोनोग्राफी की। इस जांच के बाद जो सामने आया, उसने सभी को चौंका दिया। गर्भ में पल रहे शिशु के पेट के अंदर एक और भ्रूण मौजूद था। डॉक्टरों ने तुरंत इस मामले की गंभीरता को समझते हुए वरिष्ठ डॉक्टरों को सूचित किया। महिला की सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे संभाजीनगर के बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया गया, ताकि उसकी डिलीवरी और नवजात के उपचार को बेहतर तरीके से किया जा सके।

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सिविल सर्जन डॉक्टर भागवत भुसारी के अनुसार, फीटस इन फीटस एक दुर्लभ जन्मजात स्थिति है, जिसमें एक भ्रूण दूसरे भ्रूण के शरीर में विकसित हो जाता है। यह तब होता है जब गर्भ में जुड़वां भ्रूण विकसित हो रहे होते हैं, लेकिन किसी कारणवश एक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और दूसरे भ्रूण के शरीर के अंदर समा जाता है। यह भ्रूण समय के साथ बढ़ता रहता है और अधिकतर नवजात के पेट में पाया जाता है। कुछ मामलों में यह भ्रूण निष्क्रिय रहता है, जबकि कुछ मामलों में यह बढ़ने लगता है, जिससे नवजात के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

डॉक्टर प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि गर्भवती महिला को कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन नवजात के लिए यह स्थिति जटिल हो सकती है। यदि इस भ्रूण को समय पर नहीं हटाया गया, तो यह नवजात के शरीर के अन्य अंगों पर दबाव डाल सकता है और उसके विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। कुछ मामलों में यह भ्रूण रक्त परिसंचरण से जुड़ जाता है और ट्यूमर का रूप ले सकता है। ऐसे में बच्चे की डिलीवरी के बाद उसकी तुरंत सर्जरी करना जरूरी होगा।

पहले भी सामने आए ऐसे मामले

भारत में ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 2015 में दिल्ली में एक नवजात शिशु के पेट में भ्रूण पाया गया था, जिसे सफल ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। 2019 में सूरत में और 2021 में मुंबई में भी ऐसे दुर्लभ मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी कर भ्रूण को निकाला और नवजात के स्वास्थ्य को सुरक्षित किया।

फिलहाल, बुलढाना की इस महिला को संभाजीनगर अस्पताल भेज दिया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम उसकी लगातार निगरानी कर रही है। शिशु के जन्म के बाद एमआरआई और सीटी स्कैन किया जाएगा, ताकि भ्रूण की स्थिति को ठीक से समझा जा सके। यदि भ्रूण निष्क्रिय पाया जाता है, तो उसे तुरंत ऑपरेशन के जरिए हटा दिया जाएगा। लेकिन यदि यह भ्रूण रक्त परिसंचरण से जुड़ा हुआ है, तो सावधानीपूर्वक सर्जरी करनी होगी। नवजात को कुछ हफ्तों तक गहन चिकित्सा (ICU) में रखा जाएगा, ताकि उसके विकास पर नजर रखी जा सके।

भोपाल की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं बरिष्ट चिकित्सक डॉ. अरुणा कुमार ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि 'फीटस इन फीटस' (Fetus in Feto) एक अत्यंत दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें एक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और अपने जुड़वां भ्रूण के अंदर समा जाता है। यह आमतौर पर गर्भधारण के शुरुआती चरण में होता है, जब जुड़वां भ्रूण अलग-अलग विकसित होने के बजाय असामान्य तरीके से आपस में जुड़े रह जाते हैं। यह भ्रूण धीरे-धीरे मुख्य भ्रूण के पेट के अंदर विकसित होने लगता है, जिससे नवजात के जन्म के बाद उसकी सामान्य वृद्धि पर असर पड़ सकता है। यदि इसे समय रहते नहीं हटाया गया, तो यह शिशु के अंगों पर दबाव डाल सकता है और उसकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है।

डॉ. अरुणा ने आगे बताया कि ऐसे मामलों में नवजात के जन्म के बाद एमआरआई और अन्य जांचों के जरिए भ्रूण की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। अगर यह निष्क्रिय भ्रूण होता है, तो इसे ऑपरेशन के जरिए हटा दिया जाता है। मैंने भी अपने करियर में भोपाल में दो मामले देखे हैं।