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TM Exclusive: MP में लाड़ली बहना योजना के भविष्य पर सवाल, क्या आर्थिक तंगी की भेंट चढ़ रही है महिलाओं की सबसे बड़ी मददगार योजना?

भोपाल। मध्य प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक संबल देने के लिए शुरू की गई लाड़ली बहना योजना अब खुद संकट में घिरी नजर आ रही है। अप्रैल 2025 की 23वीं किश्त समय पर न पहुंचने से 1.27 करोड़ लाभार्थी महिलाओं में गहरी निराशा है। योजना की राशि बढ़ाने का वादा भी अधूरा है, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सरकार इसे बंद करने से इनकार कर रही है, पर लगातार देरी, बजटीय दबाव और कर्ज के आंकड़े इस ओर संकेत कर रहे हैं कि योजना अब सरकार के लिए बोझ बनती जा रही है।

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनावी साल में “लाडली बहना योजना” को महिलाओं के सशक्तिकरण का बड़ा औजार बनाया था। 2023 से शुरू हुई इस योजना को लेकर सरकार ने दावा किया था कि यह राज्य की 1.27 करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी। शुरुआत में एक हजार प्रति माह से शुरू हुई राशि को आगे चलकर तीन हजार तक पहुंचाने का वादा किया गया था। लेकिन अब यह योजना न सिर्फ तय तारीख पर राशि देने में विफल हो रही है।

23वीं किस्त में देरी ने बढ़ाई चिंता

लाडली बहना योजना की अप्रैल 2025 में आने वाली 23वीं किस्त समय पर जारी नहीं हो सकी। सामान्यतः योजना के तहत प्रत्येक माह की 10 तारीख को राशि लाभार्थी महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी। लेकिन इस बार सरकार की ओर से कहा गया कि राशि 10 से 16 अप्रैल के बीच कभी भी भेजी जा सकती है। यह पहली बार नहीं है जब योजना में देरी हुई हो। पिछले वर्ष दिसंबर और फरवरी की किश्तों में भी देरी दर्ज की गई थी।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए नाम न लिखने की शर्त पर भोपाल की एक महिला ने बताया, “मेरे पति बीमार रहते हैं। मैं अन्ना नगर में रहती हूं और घरों में काम करने जाती हूं। पहले जब हर महीने समय पर लाडली बहना योजना की राशि मिलती थी, तो घर खर्च संभल जाता था। लेकिन इस बार अबतक पैसा नहीं आया। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि काम की आमदनी से सब कुछ नहीं चल पाता। देरी की वजह से घर का हिसाब-किताब बिगड़ गया है। ”

सरकार ने कहा बंद नहीं होगी योजना

राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार केबिनेट बैठक के बाद स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि योजना बंद नहीं हो रही है, लेकिन राशि अब तय तारीख को नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि “समय-समय पर राशि भेजी जाएगी। 10 से लेकर 16 तक यह राशि खातों में भेजी जाएगी” इस बयान ने महिलाओं में असमंजस बढ़ा दिया।

वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने द मूकनायक से बातचीत में सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “चुनाव के समय तीन हजार देने का वादा किया गया था। आज न 3 हजार मिल रहे हैं और न ही ₹1250 की राशि समय पर। ये प्रदेश की महिलाओं के साथ धोखा है।”

कांग्रेस के अन्य नेताओं—पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे—ने भी सरकार की माली हालत को लेकर चिंता जताई है। कटारे ने दावा किया कि “प्रदेश की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि इसे वित्तीय आपातकाल जैसी स्थिति कहा जा सकता है।”

वित्तीय संकट की असलियत क्या है?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश पर इस समय लगभग ₹4 लाख करोड़ से अधिक का कुल कर्ज है। राज्य का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 32.32% तक पहुंच चुका है, जो वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक माना जाता है।

कांग्रेस का कहना हैं, सरकार केवल ब्याज चुकाने में सालाना ₹50 हजार करोड़ खर्च कर रही है। ऐसे में नई योजनाओं को संचालित करने की गुंजाइश बेहद सीमित रह जाती है।

60 हजार करोड़ का खर्च, लेकिन कहां से आएगा पैसा?

लाडली बहना योजना के तहत प्रति महिला को ₹1250 की मासिक राशि दी जा रही है। राज्य में लगभग 1.27 करोड़ लाभार्थी महिलाएं हैं। यानी हर महीने लगभग ₹1,587 करोड़ और सालभर में लगभग ₹19 हजार करोड़ का खर्च आता है।

सरकार ने 2023-24 के बजट में इस योजना के लिए 12 हजार करोड़ का प्रावधान किया था, लेकिन यह राशि भी किश्तों में जारी हो रही है। अगर वादा किए अनुसार ₹3000 प्रति महिला प्रतिमाह दिया जाए, तो योजना का वार्षिक खर्च ₹45,720 करोड़ तक पहुंच जाएगा—जो राज्य की कुल योजना मद की बड़ी हिस्सेदारी होगी।

बजट सहित योजनाओं पर हो रहा असर

राज्य की दूसरी कल्याणकारी योजनाएं जैसे—किसान सम्मान निधि, मुफ्त राशन योजना, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, पोषण आहार राशि सहित अन्य योजना भी वित्तीय संकट से प्रभावित हो रही हैं। कई विकास योजनाएं जैसे—सड़क निर्माण, स्कूलों में भवन निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं—या तो रुकी हुई हैं या धीमी गति से चल रही हैं।

लाभार्थियों की रोज़मर्रा पर असर

योजना से जुड़ी लाभार्थी महिलाओं का कहना है, यह राशि उनके लिए बच्चों की पढ़ाई, घरेलू राशन, गैस सिलेंडर और दवा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का जरिया बन गई है।

सीहोर जिले की एक लाभार्थी महिला कहती हैं, “पहले पता होता था कि हर 10 तारीख को पैसा आ जाएगा। अब रोज बैंक जाकर पूछते हैं, लाइन लगाते हैं, बैंक वाले कहते है अभी नही आया पैसा।

क्या यह चुनावी लॉलीपॉप था?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लाडली बहना योजना ने 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को निर्णायक बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब जब सरकार दोबारा सत्ता में आ चुकी है, योजना की रफ्तार धीमी पड़ना जनता को धोखा महसूस हो रहा है।

राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा ने द मूकनायक से कहा, “यदि सरकार योजना शुरू कर रही है तो उसके लिए स्थायी वित्तीय स्रोत भी तय होना चाहिए। केवल चुनाव जितने के लिए घोषणाएं करना नैतिक रूप से गलत है।यह मध्य प्रदेश की लाड़ली बहन बेटियों के साथ धोखा है”

बढ़ते कर्ज के बीच लाडली बहना योजना का बोझ

राज्य की आर्थिक हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। विधानसभा में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के मुताबिक, मध्यप्रदेश हर साल ₹50,000 करोड़ सिर्फ ब्याज चुकाने में खर्च कर रहा है। यह वही पैसा है, जिससे सड़कें, स्कूल, अस्पताल बन सकते थे।

2004-05 में कर्ज-जीएसडीपी अनुपात: 39.5%

2019-20 में: घटकर 25.43%

2024-25 में: फिर बढ़कर 32.32%

मार्च 2023 में औसत ब्याज दर: 6.93%

मार्च 2024 (अनुमानित): 7.37%

वादा: 3000 रुपए महीना, हकीकत: 1250 रुपए भी नहीं समय पर आरहे।

क्या वाकई योजना पर संकट है?

राज्य सरकार का दावा है कि योजना बंद नहीं होगी। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि किश्त कुछ दिनों की देरी से जरूर आएगी, लेकिन योजना जारी रहेगी। लेकिन सवाल यही है कि जब प्रदेश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, तो यह राशि आएगी कहां से?

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