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भारत के किसी भी बच्चे को वो जातिवाद नहीं झेलना चाहिए..! जानिए Rohith Act पर राहुल गांधी ने कर्नाटक CM को पत्र में क्या लिखा

नई दिल्ली- कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक पत्र लिखकर रोहित वेमुला एक्ट लागू करने की मांग की है। यह प्रस्तावित कानून शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए है। 16 अप्रैल को लिखे पत्र में गांधी ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के अनुभवों का हवाला देते हुए दलित, आदिवासी और ओबीसी छात्रों द्वारा आज भी झेले जा रहे अपमान और भेदभाव को उजागर किया।

राहुल गांधी ने अपने पत्र में बाबासाहेब अंबेडकर के बचपन के दो दर्दनाक प्रसंगों का उल्लेख किया। पहला, जब बैलगाड़ी यात्रा के दौरान अंबेडकर को "अछूत" होने के कारण पानी नहीं मिला, और दूसरा, जब स्कूल में उन्हें अपनी योग्यता के बावजूद अलग-थलग बैठना पड़ा।

गांधी ने लिखा, " ये बाबा साहब के शब्द हैं। हमारे पास भरपूर भोजन था। हमारे अंदर भूख जल रही थी; इस सबके बावजूद हमें बिना भोजन के सोना पड़ा; ऐसा इसलिए था क्योंकि हमें पानी नहीं मिल सका, और हमें पानी नहीं मिल सका क्योंकि हम अछूत थे।"

वह हमें अपने स्कूल के अनुभव के बारे में बताते हैं:
"मैं जानता था कि मैं एक अछूत हूँ, और अछूतों के साथ कुछ अपमानजनक और भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। उदाहरण के लिए, मैं जानता था कि स्कूल में मैं अपनी रैंक के अनुसार अपने सहपाठियों के बीच नहीं बैठ सकता, बल्कि मुझे एक कोने में अकेले बैठना पड़ता था।"

मुझे पता है कि आप सहमत होंगे कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर के साथ जो हुआ वह शर्मनाक था और भारत के किसी भी बच्चे को ऐसा सहना नहीं चाहिए। यह शर्म की बात है कि आज भी, दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के लाखों छात्रों को हमारी शिक्षा प्रणाली में इस तरह के क्रूर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। रोहित वेमुला, पायल ताडवी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार युवाओं की हत्या बिल्कुल अस्वीकार्य है। अब इसका पूरी तरह अंत होना चाहिए। मैं कर्नाटक सरकार से आग्रह करता हूं कि वह रोहित वेमुला अधिनियम को लागू करे ताकि भारत के किसी भी बच्चे को डॉ. बी.आर. अंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों को जो सहना पड़ा है, वह न झेलना पड़े।"

गांधी ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की मौत का ज़िक्र किया, जिन्होंने कथित तौर पर जातिगत उत्पीड़न के कारण अपनी जान गंवाई। उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाएं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। इन नौजवानों की हत्या हमारी शिक्षा व्यवस्था की विफलता का सबूत है।”

गांधी ने x पर अपने पोस्ट में हाल ही में संसद में दलित, आदिवासी और ओबीसी छात्रों और शिक्षकों से अपनी मुलाकात का उल्लेख किया। उन्हें छात्रों ने बताया कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उन्हें जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। गांधी ने कहा, “बाबासाहेब अंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे वंचित भी सशक्त बन कर जातिभेद को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी लाखों छात्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे ‌हैं।

गांधी के पत्र ने कर्नाटक में छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह पैदा किया है। रोहित वेमुला एक्ट को लागू करने की मांग अब तेज़ हो रही है, और यह शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह पत्र न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरे देश में जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है।

गौरतलब है कि 'कैंपेन फॉर रोहित एक्ट' के कार्यकर्ताओं द्वारा दलित छात्र रोहित वेमुला की स्मृति में 'रोहित एक्ट' लागू करने की मांग को लेकर कर्नाटक सरकार पर दबाव बढ़ाया जा रहा है। 

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