MP में जल जीवन मिशन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, आदिवासी पीएचई मंत्री पर 1 हजार करोड़ की रिश्वतखोरी का दावा!

11:03 AM Jul 01, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के नाम पर बड़े घोटाले का आरोप सामने आया है। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखकर दावा किया है कि इस योजना में करीब 30 हजार करोड़ रुपये की भारी अनियमितता हुई है। खास बात यह है कि इस घोटाले की जांच का आदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के इंजीनियर इन चीफ (ENC) संजय अंधवान ने ही जारी किया था, जिसमें खुद विभागीय मंत्री संपतिया उइके पर सीधे आरोप लगाए गए।

पीएमओ को भेजी गई शिकायत से उठा विवाद

पूरा मामला 12 अप्रैल से शुरू हुआ, जब पूर्व विधायक किशोर समरीते ने जल जीवन मिशन में हो रही भ्रष्टाचार की शिकायत पीएमओ को भेजी। शिकायत के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में मोटी रिश्वत ली जा रही थी और खुद मंत्री इसमें शामिल थीं। इसके बाद 24 अप्रैल को यह शिकायत राज्य सरकार को भेजी गई, और विभागीय प्रक्रिया के तहत 21 जून को यह फाइल इंजीनियर इन चीफ संजय अंधवान तक पहुंची।

जांच आदेश में मंत्री का नाम, संपत्ति जांच के निर्देश

21 जून को जारी जांच आदेश में मंत्री संपतिया उइके, मंडला के कार्यपालन यंत्री मनोज भास्कर और पूर्व ईएनसी बीके सोनगरिया के नाम शामिल थे। आदेश में साफ लिखा गया था कि, जल जीवन मिशन की फंडिंग, मंत्री की भूमिका, कार्यपालन यंत्री की संपत्ति की जांच कर सात दिन में रिपोर्ट सौंपें।

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जांच का जिम्मा जल निगम के परियोजना निदेशक और परिक्षेत्र चीफ इंजीनियर को सौंपा गया था। हालांकि यह आदेश सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे हड़कंप मच गया।

पूर्व विधायक का बड़ा आरोप

पूर्व विधायक समरीते ने पत्र में लिखा है कि, 1 हजार करोड़ रुपये का कमीशन मंत्री संपतिया उइके द्वारा लिया गया। यह राशि मंडला के कार्यपालन यंत्री मनोज भास्कर के जरिये एकत्र की गई और पूर्व ईएनसी बीके सोनगरिया ने अपने अकाउंटेंट महेंद्र खरे के जरिये 2 हजार करोड़ रुपये की वसूली की पीआईयू और जल निगम में भी एक-एक हजार करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी हुई।

उन्होंने केंद्र सरकार से CBI जांच की मांग की है और आरोप लगाया कि, बैतूल में एक इंजीनियर ने बिना कोई काम किए 150 करोड़ रुपये निकाल लिए। छिंदवाड़ा और बालाघाट में भी ऐसे ही फर्जी भुगतान किए गए। सीई मैकेनिकल ने 2200 करोड़ रुपये के टेंडर पास कर, बिना काम कराए राशि हड़प ली।

सोशल मीडिया पर जांच आदेश वायरल होने के बाद ईएनसी संजय अंधवान ने सफाई दी कि शिकायत की जांच कराई गई थी, लेकिन इसमें कोई ठोस दस्तावेज नहीं मिले। बालाघाट के चीफ इंजीनियर की रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा, "शिकायत तथ्यहीन और मनगढ़ंत है। शिकायत में कोई मूल दस्तावेज नहीं था, सिर्फ RTI के जरिये हासिल विभागीय पत्रों को आधार बनाया गया।"

उन्होंने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन का क्रियान्वयन और भुगतान स्थानीय स्तर पर होता है, इसलिए ईएनसी और मंत्री पर सीधे जिम्मेदारी नहीं बनती।

अब सवाल

  • क्या मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच होगी?

  • क्या विभागीय आदेश को वापिस लिया गया या दबाया गया?

  • सोशल मीडिया पर वायरल आदेश की प्रमाणिकता पर सरकार क्या रुख अपनाएगी?

पूर्व विधायक द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने जल जीवन मिशन को सवालों के घेरे में ला दिया है। यदि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होती है, तो यह मध्यप्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में भ्रष्टाचार की परतें खोल सकती है।

जल जीवन मिशन क्या है?

जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देश के हर घर तक पाइप के माध्यम से पीने का पानी पहुंचाना है। इस योजना के तहत करोड़ों रुपये राज्यों को आवंटित किए जाते हैं।