भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर के सिहोरा में चार महीनों से चर्चा में रहे अंतरधार्मिक विवाह के मामले में सोमवार को एक नया मोड़ आ गया। अपर कलेक्टर एवं मैरिज रजिस्ट्रार नाथूराम गौड़ ने हसनैन अंसारी और इंदौर निवासी हिंदू युवती के विवाह के आवेदन को रद्द कर दिया। उनका कहना था कि हसनैन अंसारी आवेदन देने से 30 दिन पहले सिहोरा में निवासरत नहीं थे, जो विवाह आवेदन प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन है।
क्या है मामला?
सिहोरा के निवासी हसनैन अंसारी और इंदौर की हिन्दू युवती की दोस्ती इंदौर में नौकरी के दौरान हुई। दस साल से वहीं काम कर रहे हसनैन और युवती ने शादी का फैसला किया और 7 अक्टूबर 2024 को जबलपुर में मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष विवाह के लिए आवेदन दिया। हालांकि, युवती के परिवार और कुछ हिंदूवादी संगठनों ने इस विवाह का कड़ा विरोध किया।
सोमवार को युवती पुलिस सुरक्षा के बीच मैरिज रजिस्ट्रार कोर्ट में उपस्थित हुईं। कोर्ट में उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर किए और आधे घंटे तक वहां रहीं। इसके बाद पुलिस सुरक्षा में उन्हें कलेक्ट्रेट से बाहर ले जाया गया।
मैरिज रजिस्ट्रार का फैसला
मैरिज रजिस्ट्रार ने विवाह आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हसनैन अंसारी आवेदन देने से पहले सिहोरा में 30 दिनों तक निवास नहीं कर रहे थे। यह वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।
हिंदूवादी संगठनों ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। संगठनों का कहना है कि इस तरह के मामलों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ सकता है।
हिंदूवादी संगठनों ने इस विवाह का विरोध करते हुए इसे “लव जिहाद” का मामला बताया। संगठनों के वकील केडी सिंह ने कहा, “विवाह आवेदन निरस्त हो गया है। अगर यह लोग अपील करते हैं, तो हम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे। इसके अलावा, हमारी याचिका सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) के तहत दाखिल है।”
युवती और युवक की कहानी
हसनैन और युवती दोनों ने इंदौर में अपनी दोस्ती की शुरुआत की, जो समय के साथ प्रेम संबंध में बदल गई। शादी का फैसला लेते हुए दोनों ने जबलपुर के मैरिज रजिस्ट्रार के सामने आवेदन किया। लेकिन सिहोरा में हसनैन के स्थायी निवास से जुड़ी शर्त पूरी न होने के कारण उनका आवेदन रद्द कर दिया गया। इस मामले ने अंतरधार्मिक विवाहों और उससे जुड़े सामाजिक मुद्दों पर बहस छेड़ दी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में कानून को स्पष्टता के साथ लागू किया जाना चाहिए, ताकि किसी भी पक्ष के अधिकारों का उल्लंघन न हो।