MP हाईकोर्ट का सख्त रुख: ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के बच्चों के हक की अवहेलना पर मांगा जवाब, ACS को नोटिस

12:26 PM Jul 11, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित किसानों के बच्चों को शासन द्वारा घोषित सहायता राशि नहीं मिलने पर अब मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. राजेश राजौरा को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।

यह मामला भूमिहीन किसानों और उनके बच्चों को मुआवजा न मिलने से जुड़ा है, जिसे लेकर लंबे समय से प्रभावित परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

क्या है मामला?

ओंकारेश्वर बांध परियोजना के कारण विस्थापित हुए किसानों के पुनर्वास और मुआवजे को लेकर 7 जून 2013 को राज्य सरकार ने एक विशेष पुनर्वास पैकेज का आदेश जारी किया था। इस आदेश में स्पष्ट किया गया था कि जिन प्रभावित किसानों के पास जमीन नहीं है, उन्हें और उनके बच्चों को ₹2.5 लाख प्रति व्यक्ति की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

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हालांकि, नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार, बीते 11 वर्षों में भी यह सहायता राशि हजारों पात्र बच्चों को नहीं मिली। इसको लेकर कई बार ज्ञापन दिए गए और शासन स्तर पर मांग उठाई गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

पहले भी आया था हाईकोर्ट का निर्देश

29 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने इस विषय पर स्पष्ट आदेश देते हुए कहा था कि अतिरिक्त मुख्य सचिव और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को आंदोलनकारियों द्वारा दिए गए ज्ञापन पर 8 सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा। बावजूद इसके, किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई। इसे कोर्ट के आदेश की अवमानना मानते हुए नर्मदा आंदोलन ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।

यह याचिका न्यायमूर्ति द्वारकाधीश बंसल की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत की गई। सुनवाई के बाद अदालत ने एसीएस डॉ. राजेश राजौरा को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। अब अदालत यह देखेगी कि क्यों न आदेश की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने कहा कि, "राज्य सरकार ने केवल कागजों में फैसले लिए, जमीनी हकीकत ये है कि जिन गरीब भूमिहीन किसानों के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई और जीवन यापन के लिए ये मदद मिलनी थी, उन्हें लगातार अनदेखा किया गया है।"

क्या है विवाद?

ओंकारेश्वर बांध मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी पर बना एक प्रमुख जलविद्युत परियोजना है। इसके निर्माण के कारण कई गांव विस्थापित हुए थे। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने लंबे समय तक इस परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई, विशेष रूप से पुनर्वास और मुआवजा नीति को लेकर।

हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देने के बाद राज्य सरकार को यह सिद्ध करना होगा कि क्यों कोर्ट के पूर्व आदेश का पालन नहीं हुआ। यदि अदालत संतुष्ट नहीं हुई, तो अवमानना की कार्रवाई शुरू हो सकती है।

2013 के आदेश में क्या?

ओंकारेश्वर बांध से विस्थापित उन किसानों को, जिनके पास कृषि भूमि नहीं है, उन्हें और उनके वयस्क बच्चों को ₹2.5 लाख की सहायता दी जाएगी। इस सहायता के लिए पात्रता की शर्तें पहले से तय होंगी और इसका लाभ वास्तविक रूप से प्रभावित परिवारों को मिलेगा।