भोपाल- मध्य प्रदेश में जबलपुर के त्रिवेणी हॉस्पिटल द्वारा इलाज के खर्चे के बाद मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान की राशि हड़पने का मामला सामने आया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग सागर ने इस अनियमितता पर कड़ा कदम उठाते हुए त्रिवेणी हेल्थ केयर हॉस्पिटल को मरीज को 80 हजार रुपए लौटाने का आदेश दिया है, साथ ही मानसिक क्षति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 2 हजार रुपए अतिरिक्त देने का भी निर्देश दिया है।
क्या है मामला?
यह मामला तब सामने आया जब सागर जिले के निवासी दुलारे यादव ने त्रिवेणी हेल्थ केयर हॉस्पिटल, जबलपुर के खिलाफ शिकायत दर्ज की। शिकायत के अनुसार, 4 जुलाई 2023 को दुर्घटना में यादव का पैर फ्रैक्चर हो गया था, जिसके इलाज और ऑपरेशन के लिए वे त्रिवेणी हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। इलाज पर कुल 2.20 लाख रुपए खर्च हुए, जिसे यादव ने अपनी जेब से अस्पताल को भुगतान किया।
अस्पताल प्रबंधन ने यादव से वादा किया था कि इलाज के खर्च की कुछ राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान के तहत सरकार से प्राप्त होने पर उन्हें वापस कर दी जाएगी। यादव ने अस्पताल द्वारा जारी मेडिकल दस्तावेजों के आधार पर मध्य प्रदेश शासन से मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान के लिए आवेदन किया, जिसके तहत 80 हजार रुपए की राशि स्वीकृत कर अस्पताल के खाते में 10 अगस्त 2023 को जमा कराई गई।
जब यादव ने अस्पताल से 80 हजार रुपए की स्वेच्छा अनुदान राशि लौटाने का अनुरोध किया, तो अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें गुमराह करते हुए कहा कि शासन से अभी भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है। यादव को लगातार आश्वासन दिए गए, लेकिन उनकी राशि वापस नहीं की गई। इसके बाद यादव ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग सागर में हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
सुनवाई में सामने आई सच्चाई
इस मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा और सदस्य अनुभा शर्मा ने की। सुनवाई के दौरान परिवादी यादव ने सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें शासन द्वारा हॉस्पिटल के खाते में जमा की गई 80 हजार रुपए की राशि का प्रमाण भी शामिल था। दस्तावेजों से स्पष्ट हुआ कि हॉस्पिटल ने इलाज के लिए मरीज से पूरी राशि पहले ही वसूल कर ली थी और मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान के 80 हजार रुपए भी अपने पास रख लिए थे।
आयोग ने सुनाया फैसला
अस्पताल प्रबंधन द्वारा सरकार से प्राप्त अनुदान राशि वापस न करने को उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए आयोग ने त्रिवेणी हेल्थ केयर हॉस्पिटल के संचालक को आदेश दिया कि वे यादव को 80 हजार रुपए की राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ दो माह के भीतर लौटाएं। साथ ही मानसिक और शारीरिक क्षति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के लिए 2 हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान भी करें।