भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा 2021 में आयोजित आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी परीक्षा में भर्ती प्रक्रिया को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि इस परीक्षा में 692 पदों के लिए आयोजित भर्ती में मेरिट सूची को नजरअंदाज करते हुए कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई, जबकि अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति से वंचित रखा गया।
इस मामले में डॉ. योगराज प्रजापति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आयोग की अनियमितताओं को चुनौती दी है। याचिका में अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से यह दावा किया गया कि आयोग ने कम अंक पाने वाले पांच अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए, जबकि उच्च अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया। याचिका में आयोग और संबंधित अधिकारियों के साथ उन अभ्यर्थियों को भी पक्षकार बनाया गया है जिन्हें कथित रूप से अनुचित तरीके से नियुक्ति दी गई।
नियुक्तियों को लेकर सवाल
याचिकाकर्ता के अनुसार, 28 अक्टूबर 2024 को जारी नियुक्ति पत्रों में अनियमितताएं स्पष्ट रूप से नजर आती हैं। भर्ती प्रक्रिया में जिन अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया, उनमें डॉ. रानू मंडल, डॉ. पूजा वासुरे, डॉ. प्रगति पंडोले, डॉ. भानु अहिरवार और डॉ. आकांक्षा ग्वाले शामिल हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन अभ्यर्थियों के अंक उनसे कम थे, फिर भी उन्हें नियुक्ति दी गई।
हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया। कोर्ट ने आयुष विभाग के प्रमुख सचिव, आयुष विभाग के कमिश्नर, लोक सेवा आयोग, और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव सहित सभी पांच अभ्यर्थियों से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
क्या कहता है कानून?
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। यह मामला न केवल भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है, बल्कि उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों के अधिकारों के साथ भी खिलवाड़ करता है।
भर्ती प्रक्रिया पर सवाल
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, जो आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंताएं पैदा करते हैं। हाल के विवाद ने इस मुद्दे को और तीव्र बना दिया है, जहां परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं, और निष्पक्षता के अभाव के आरोप लगे हैं। उम्मीदवारों और विशेषज्ञों का कहना है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सके। इन घटनाओं से न केवल आयोग की साख प्रभावित हुई है, बल्कि हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा, "मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी परीक्षा 2021 की भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की हैं। आयोग ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और मेरिट के नियमों को दरकिनार करते हुए कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए, जबकि अधिक अंक प्राप्त करने वाले योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो समान अवसर और अधिकार की गारंटी देता है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने इस मामले में अदालत से निष्पक्ष जांच और न्याय की अपील की है। जिन अभ्यर्थियों को अनुचित तरीके से नियुक्त किया गया है, उन्हें याचिका में पक्षकार बनाया गया है ताकि सभी तथ्य अदालत के सामने आ सकें। हमारा उद्देश्य है कि भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और संविधान के अनुरूप बनाया जाए, जिससे योग्य उम्मीदवारों के साथ न्याय हो सके।"