कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट पर सियासी संग्राम, ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश से मचा घमासान

05:03 PM Apr 14, 2025 | The Mooknayak

कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जनसंख्या 69.6% है और उनके लिए आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश की गई है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने इस रिपोर्ट को "सिद्धारमैया सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का विस्तार" बताते हुए इसे "गैर-वैज्ञानिक" करार दिया। उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए कैसी साजिश रची गई है, रिपोर्ट में मुसलमानों को राज्य का सबसे बड़ा समूह दिखाया गया है।”

भाजपा की सहयोगी जद(एस) ने भी रिपोर्ट की आलोचना की। केंद्रीय मंत्री और जद(एस) नेता एच. डी. कुमारस्वामी ने रिपोर्ट की आधिकारिक प्रस्तुति से पहले ही इसे "समाज को बांटने की साजिश" बताया।

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रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

रिपोर्ट के अनुसार:

  • अनुसूचित जातियों (SC) की संख्या 1.09 करोड़ है, जो राज्य की सबसे बड़ी आबादी है।

  • मुसलमान, जिन्हें OBC के 2B वर्ग में रखा गया है, 75.25 लाख हैं।

  • OBC के अति-पिछड़े वर्गों की कुल संख्या 1.08 करोड़ है, जिनमें 1A वर्ग (गोला, बेस्टा आदि) में 34.96 लाख, और 2B वर्ग (कुरुबा आदि) में 73.92 लाख शामिल हैं।

  • 2A वर्ग में आने वाली जातियां जैसे बिलवा, एडीगा आदि की संख्या 77.78 लाख है।

  • 3A और 3B वर्ग — जिनमें वोक्कालिगा और लिंगायत जैसे प्रभावशाली समुदाय शामिल हैं — की संख्या क्रमशः 72.99 लाख और 81.37 लाख बताई गई है।

लिंगायत, जिन्हें भाजपा का पारंपरिक वोटबैंक माना जाता है, 76 लाख हैं। वहीं, वोक्कालिगा समुदाय, जो पारंपरिक रूप से जद(एस) का समर्थन करता है लेकिन उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के चलते कांग्रेस की ओर झुकाव दिखा रहा है, 42.71 लाख बताया गया है। कुरुबा, जिससे सीएम सिद्धारमैया ताल्लुक रखते हैं, की संख्या भी 42.71 लाख है। ईसाई समुदाय की आबादी करीब 9.5 लाख है।

आरक्षण को लेकर आयोग की सिफारिशें

आयोग ने आरक्षण में निम्नलिखित बदलाव सुझाए हैं:

  • श्रेणी 1 (Category 1) का आरक्षण 4% से बढ़ाकर 18% किया जाए।

  • श्रेणी 2A का आरक्षण 15% से घटाकर 10% किया जाए।

  • श्रेणी 2B का आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% किया जाए।

  • श्रेणी 3A और 3B का आरक्षण क्रमशः 4% से 7% और 5% से 8% किया जाए।

SC (15%) और ST (3%) के आरक्षण में कोई बदलाव की सिफारिश नहीं की गई है।

पृष्ठभूमि और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस सर्वे को आमतौर पर "जाति जनगणना" कहा जा रहा है। यह सर्वे वर्ष 2015 में सिद्धारमैया की पहली सरकार के दौरान शुरू हुआ था। इसे पूर्व अध्यक्ष एच. कंठाराजु के नेतृत्व में किया गया और फरवरी 2023 में जयप्रकाश हेगड़े की अध्यक्षता में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट 12 अप्रैल को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गई है और इस पर 17 अप्रैल को चर्चा संभावित है।

रिपोर्ट को लेकर विवाद लगातार बढ़ता गया है। वोक्कालिगा और लिंगायत संगठनों ने उनकी आबादी को कम दिखाने का आरोप लगाया है। वोक्कालिगारा संघ और अखिल भारतीय वीरशैव महासभा ने रिपोर्ट को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं।

इसी बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने रिपोर्ट का बचाव करते हुए इसे वैज्ञानिक बताया और सभी आरोपों को खारिज कर दिया। वहीं, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, जो रिपोर्ट के सार्वजनिक होने को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं, ने कहा, “हर वर्ग को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। सरकार कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि वे रिपोर्ट का विरोध करने वालों की आलोचना नहीं करेंगे।