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दलित को 'चप्पल मार खाने लायक' कहने वाली गुजरात कलेक्टर के विरुद्ध जांच 5 माह से पेंडिंग—वीडियो की फोरेंसिक रिपोर्ट में देरी को लेकर प्रशासन पर उठे सवाल

महिसागर- गुजरात के महिसागर जिले में तत्कालीन जिला कलेक्टर नेहा कुमारी द्वारा कथित तौर पर दलित और आदिवासी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला सुर्खियों में है। इस मामले में महिसागर जिला पुलिस ने जांच शुरू की है और कथित वीडियो की प्रामाणिकता जांचने के लिए एक मोबाइल फोन और पेन ड्राइव को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेजा है।

आरोप है कि नेहा कुमारी ने एक दलित व्यक्ति को "चप्पल मार खाने लायक" कहा और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले 90% मामलों को "ब्लैकमेलिंग" करार दिया था। इस घटना का कथित वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट में देरी ने प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना 23 अक्टूबर 2024 की थी लेकिन पांच माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अधिकारी के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

अम्बेडकरवादी सामाजिक कार्यकर्ता नागसेन सोनारे ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "यह अत्यंत गंभीर मामला है। नेहा कुमारी को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट अब तक क्यों लंबित है? इसका मतलब है कि प्रशासन इस घटना को दबाने की कोशिश कर रहा है।"

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद पिछले साल 23 अक्टूबर को महिसागर जिले में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम, SWAGAT (State Wide Attention on Grievances by Application of Technology), के दौरान शुरू हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की शिकायतों का त्वरित समाधान करना है। आरोप है कि इस दौरान तत्कालीन कलेक्टर नेहा कुमारी ने अपनी शिकायत दर्ज कराने आए एक दलित लॉ स्टूडेंट विजय परमार का अपमान किया।

अहमदाबाद के मानवाधिकार कार्यकर्ता और ज्ञाति निर्मूलन समिति के गुजरात राज्य संयोजक संजय परमार ने इस घटना को लेकर National Commission for Scheduled Castes (NCSC) में शिकायत दर्ज करवाई। संजय ने दावा किया कि नेहा कुमारी ने न केवल विजय परमार का अपमान किया, बल्कि यह भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, जिसे आमतौर पर अत्याचार अधिनियम के नाम से जाना जाता है, के तहत दर्ज होने वाले 90% मामले ब्लैकमेलिंग के लिए दायर किए जाते हैं। यह बयान दलित और आदिवासी समुदायों के लिए आपत्तिजनक माना गया।

संजय ने अपनी शिकायत में मांग की कि नेहा कुमारी को अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के उल्लंघन के लिए सेवा से बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ अत्याचार अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने इस घटना के संबंध में पहले पुलिस अधिकारियों से कार्रवाई की स्थिति ( एक्शन टेकेन रिपोर्ट) मांगी थी। एनसीएससी के इस संचार के जवाब में, महिसागर जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय ने पिछले महीने आयोग को एक रिपोर्ट सौंपी थी। संजय को हाल ही में यह रिपोर्ट प्राप्त हुई।

अपनी रिपोर्ट में, महिसागर पुलिस ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष आवेदक विजय ने पिछले साल 30 अक्टूबर को पुलिस को एक शिकायत दी थी, जिसमें नेहा कुमारी के खिलाफ अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। उन्होंने एक पेन ड्राइव भी जमा की थी, जिसमें कथित वीडियो था, जिसे उन्होंने अपने मोबाइल फोन से शूट किया था। महिसागर जिला पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर जांच शुरू की।

पुलिस ने बताया कि संजय द्वारा वीडियो शूट करने के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल और पेन ड्राइव को पिछले साल नवंबर में गांधीनगर की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में "आगे की जांच" के लिए भेजा गया था।

पुलिस का कहना है कि इस वीडियो की प्रामाणिकता की जांच जरूरी है, क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में किसी भी सामग्री को आसानी से बदला जा सकता है।

द इन्डियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने वीडियो की सत्यता जांचने के लिए मोबाइल और पेन ड्राइव को एफएसएल भेजा है। हमें अभी फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद ही शिकायत पर आगे की कार्रवाई संभव होगी।”

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने अक्टूबर 2024 में इस कथित वीडियो को सार्वजनिक करते हुए नेहा कुमारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। मेवाणी ने इसे “दलित-विरोधी” और “आदिवासी-विरोधी” टिप्पणी करार दिया और तब से लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उन्होंने गुजरात विधानसभा के हालिया बजट सत्र में भी इस मामले को जोर-शोर से उठाया।

मेवाणी ने आरोप लगाया कि कलेक्टर का यह बयान अनुसूचित जातियों और जनजातियों के प्रति पूर्वाग्रह को दर्शाता है और इससे सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी करने वाले अधिकारी को निलंबित किया जाना चाहिए।

नेहा कुमारी ने इन सभी आरोपों को निराधार और राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि उनके बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया है। हालांकि, इस मामले ने उनकी छवि को प्रभावित किया है।

9 अप्रैल 2025 को गुजरात सरकार ने आईएएस अधिकारियों के तबादले के तहत नेहा कुमारी को महिसागर जिला कलेक्टर के पद से हटाकर गुजरात स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स मिशन के निदेशक के रूप में गांधीनगर में नियुक्त किया।

पुलिस अब फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। यदि वीडियो प्रामाणिक पाया जाता है, तो नेहा कुमारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। दूसरी ओर, अगर वीडियो में छेड़छाड़ पाई जाती है, तो यह शिकायतकर्ताओं के लिए नया विवाद खड़ा कर सकता है।

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