MP की राजधानी को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने की कवायद: भीख देने वालों पर अब होगा जुर्माना

05:27 PM Dec 28, 2024 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है। यह पहल न केवल भिखारियों को सड़कों से हटाने तक सीमित है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में भी काम करेगी। इस अभियान में प्रशासन, सामाजिक न्याय विभाग और गैर-सरकारी संगठनों की सक्रिय भागीदारी है।

भोपाल में समाज कल्याण विभाग ने 3 हजार भिखारियों की पहचान की है, जिनमें से 200 भिखारियों की पूरी प्रोफाइल तैयार की जा चुकी है। इस प्रक्रिया में उनके परिवार की स्थिति, उनके जीवन यापन का तरीका और उनकी समस्याओं का विश्लेषण किया गया है।

इन भिखारियों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने की योजना बनाई गई है। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का मानना है कि भोपाल को पूरी तरह भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने में कम से कम एक साल का समय लग सकता है।

Trending :

गोविंदपुरा क्षेत्र बना भिक्षावृत्ति का केंद्र

भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार, शहर के गोविंदपुरा क्षेत्र में भिक्षावृत्ति सबसे अधिक है। चिह्नित 200 भिखारियों में से 141 अकेले इसी क्षेत्र में पाए गए हैं। यह क्षेत्र भोपाल के प्रमुख औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक है, जहां आने-जाने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है।

भिक्षुक गृह की स्थापना की योजना

सामाजिक न्याय विभाग ने भोपाल में भिक्षुक गृह स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस भिक्षुक गृह का उद्देश्य उन आदतन भिखारियों को एक सुरक्षित स्थान प्रदान करना है, जो बार-बार समझाने के बाद भी भीख मांगने की आदत छोड़ नहीं पाते।

भिक्षुक गृह को गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इसमें भिखारियों को उनके कौशल के आधार पर रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही, उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने परिवार का पालन-पोषण सम्मानजनक तरीके से कर सकें।

भिक्षुक गृह के संचालन की जिम्मेदारी फिलहाल एक निजी संस्था को सौंपी गई है। संस्था ने भवन की तलाश शुरू कर दी है। सामाजिक न्याय विभाग का कहना है कि महिला बाल विकास विभाग और श्रम विभाग भी इस अभियान में मदद कर रहे हैं।

भिक्षावृत्ति रोकने के लिए जुर्माने की योजना

शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए प्रशासन ने भीख देने वालों पर जुर्माना लगाने की योजना बनाई है। पुलिस, नगर निगम और प्रशासन की टीम शहर के चौक, चौराहों, तिराहों और धार्मिक स्थलों पर निगरानी रखेगी।

शुरुआत में भीख देने वालों को समझाया जाएगा। अगर इसके बावजूद भी वे अपनी आदतें नहीं बदलते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य लोगों को भिखारियों को भीख देने से हतोत्साहित करना है, क्योंकि भीख देना भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देता है।

इंदौर के बाद भोपाल में शुरू होगा अभियान

भोपाल प्रशासन ने इंदौर से प्रेरणा ली है, जहां भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए इसी प्रकार के कदम उठाए गए थे। इंदौर में सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वालों पर जुर्माना लगाया गया और उन्हें पुनर्वास के लिए भिक्षुक गृह भेजा गया। इसके साथ ही, जागरूकता अभियान चलाए गए, जिनमें एनजीओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन प्रयासों ने इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने में मदद की। अब यही मॉडल भोपाल में लागू किया जा रहा है।

भिक्षावृत्ति मुक्त भोपाल के लिए जागरूकता अभियान

भोपाल को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसमें शहर के नागरिकों को भीख न देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि जब तक लोग भीख देना बंद नहीं करेंगे, तब तक भिक्षावृत्ति को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं होगा।

भोपाल के उपायुक्त (सामाजिक न्याय) आरके सिंह ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि शहर में भिक्षुक गृह बनाने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है। इस पहल को गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की मदद से संचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास और श्रम विभाग के सहयोग से शहर में भिखारियों की पहचान का अभियान चलाया जा रहा है।

आरके सिंह ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भिखारियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। यह अभियान न केवल भिखारियों को आवासीय सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और सहायता भी दी जाएगी। इससे समाज में उनकी स्थिति को सुधारने और मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी।