भोपाल। गर्मी की दस्तक के साथ ही मध्य प्रदेश के कई हिस्सों से नदी, तालाब, कुएं और हैंडपंप सूखने की चिंताजनक खबरें सामने आने लगी हैं। इनमें हरदा जिले की स्थिति सबसे गंभीर होती जा रही है। अप्रैल की शुरुआत में ही यहां जल संकट गहरा गया है। शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली अजनाल नदी पूरी तरह सूख चुकी है। इसका सीधा असर शहर के कई वार्डों पर पड़ा है, जहां हजारों लोगों को पानी की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
हरदा नगर पालिका के सब इंजीनियर हरिओम दोगने ने बताया कि अजनाल नदी से सीधे तौर पर तीन वार्डों में और सात अन्य वार्डों में टंकियों के माध्यम से जल आपूर्ति की जाती थी। अब नदी सूख जाने से यह आपूर्ति बाधित हो गई है। उनके अनुसार, करीब 10 हजार लोग इस संकट से प्रभावित हुए हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में मानपुरा, इमलीपुरा, जात्रापड़ाव, टंकी मोहल्ला, खेड़ीपुरा, गढ़ीपूरा, कुलहरदा और फाइल वार्ड शामिल हैं। यहां पानी की आपूर्ति फिलहाल टैंकरों के माध्यम से की जा रही है, लेकिन यह भी पर्याप्त और भरोसेमंद नहीं है।
नदी के जलस्तर में गिरावट की बड़ी वजह – मूंग की सिंचाई
इंजीनियर दोगने के अनुसार, नदी के जलस्तर में गिरावट की प्रमुख वजह आसपास के गांवों द्वारा मूंग की सिंचाई के लिए नदी से सीधे पानी लेना है। गर्मी के मौसम में जलस्तर पहले ही घट जाता है, ऐसे में खेती के लिए की जा रही अत्यधिक जल निकासी से नदी पूरी तरह सूख गई।
टैंकर का पानी पीने योग्य नहीं
स्थानीय निवासियों ने नगर पालिका द्वारा भेजे जा रहे टैंकरों के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है। इसके चलते कई परिवार हैंडपंप और निजी बोरवेल से पानी लाने को मजबूर हैं। लेकिन हैंडपंप और बोरवेल भी तेजी से सूखते जा रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में संकट और गहराने की आशंका है। द मूकनायक से बातचीत में स्थानीय निवासी संजय जोशी ने जल संकट पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि जो पानी टैंकरों से मिल रहा है, वह पीने योग्य नहीं है। "हम गंदा पानी कैसे पिएं?" उन्होंने सवाल उठाया। संजय ने आरोप लगाया कि यदि प्रशासन ने गर्मी शुरू होने से पहले ही उचित व्यवस्था कर ली होती, तो आज नागरिकों को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
द मूकनायक से बातचीत में वार्ड 14 के पार्षद शहीद खान ने हरदा नगर क्षेत्र में गंभीर जल संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत है और यदि सरकार नर्मदा लाइन को हरदा शहर से जोड़ दे, तो यह समस्या स्थायी रूप से हल हो सकती है। पार्षद ने चेताया कि जलसंकट को लेकर आमजन में आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है, जिसे नजरअंदाज करना प्रशासन के लिए भारी पड़ सकता है।
नर्मदा पाइप लाइन से कुछ टंकियों को जोड़ा
नगर पालिका के सीएमओ कमलेश पाटीदार ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुछ टंकियों को नर्मदा की पाइप लाइन से जोड़ा गया है। जिन क्षेत्रों में यह सुविधा नहीं है, वहां पहले से मौजूद टंकियों को टैंकरों के माध्यम से भरने की व्यवस्था की जा रही है।
पाटीदार ने यह भी जानकारी दी कि नदी के बीच बने कुओं में रिसाव का पानी आ रहा है, लेकिन इसकी मात्रा सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम है, जिससे रोजाना की आवश्यकताएं पूरी करना मुश्किल हो रहा है।
हरदा नगर पालिका फिलहाल टैंकरों और पाइपलाइन के सहारे पेयजल संकट को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन गर्मी के दिनों में जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, जल संकट और गंभीर रूप ले सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अभी से स्थायी समाधान पर काम नहीं किया गया तो आगामी महीनों में हालात बेकाबू हो सकते हैं।
अजनाल नदी: हरदा की जीवनरेखा
अजनाल नदी मध्यप्रदेश के हरदा जिले की एक प्रमुख छोटी नदी है, जो इस क्षेत्र की कृषि और जलापूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह नदी बरसात के मौसम में खासकर सक्रिय होती है और आसपास के गांवों व खेतों के लिए सिंचाई का मुख्य साधन बनती है। नदी का उद्गम स्थल सतपुड़ा की पहाड़ियों में माना जाता है, जहां से यह बहते हुए हरदा जिले के विभिन्न हिस्सों से गुजरती है।
हाल के वर्षों में अजनाल नदी में जल प्रवाह में भारी कमी आई है, जिससे स्थानीय जल संकट गहराता जा रहा है। नदी में गंदगी और कचरे के बढ़ते स्तर ने इसकी गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की मांग है कि नदी की सफाई और पुनर्जीवन के लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए, ताकि यह फिर से हरदा की जीवनरेखा बन सके।