प्रयागराज: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) जुलाई से बोर्ड से संबद्ध सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में शिक्षकों व छात्रों के लिए ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली शुरू करने जा रहा है।
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने इस पहल पर कहा, “इस डिजिटल उपस्थिति प्रणाली से उपस्थिति प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, साथ ही शिक्षण व्यवस्था की निगरानी और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। स्कूल के प्रधानाचार्य को विशेष पोर्टल पर रोजाना शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति दर्ज करनी होगी। इस डिजिटल प्रणाली का डेमो 23 जून को आयोजित किया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है कि स्कूलों में नियमित रूप से कक्षाएँ संचालित हों और शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। “इस प्रणाली से फर्जी उपस्थिति पर रोक लगेगी, साथ ही विद्यार्थियों की उपस्थिति से संबंधित सटीक जानकारी प्राप्त होगी, जिससे ड्रॉपआउट दर कम करने और पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी,” उन्होंने कहा।
जुलाई के पहले सप्ताह में मिलेंगी एनसीईआरटी की नई किताबें
एक अन्य महत्वपूर्ण विकास में, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के नवीनतम पाठ्यक्रम वाली किताबें जुलाई के पहले सप्ताह में स्कूलों में उपलब्ध हो जाएँगी।
यूपी बोर्ड ने सत्र 2018-19 से ही 36 प्रमुख विषयों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया था। लेकिन 2021-22 में रॉयल्टी का भुगतान न होने के कारण एनसीईआरटी ने नई किताबें छापने की अनुमति नहीं दी थी। बाद में बोर्ड के अनुरोध पर अनुमति मिलने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ, जिससे एनसीईआरटी ने 2024-25 सत्र के लिए नई किताबें छापने से इनकार कर दिया।
इसके बाद बोर्ड ने राज्य सरकार को पत्र भेजा। सरकार से अनुमति मिलने पर बोर्ड सचिव ने 2.99 करोड़ रुपये की बकाया रॉयल्टी जमा की। इसके उपरांत बोर्ड ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर किताबें छपवाने का वर्क ऑर्डर जारी किया। अब चार प्रिंटरों को किताबें छापकर बाजार में उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस नई उपस्थिति प्रणाली और समय पर किताबों की उपलब्धता से यूपी बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद है।