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राजस्थान में 65,000 सरकारी स्कूलों के वित्तीय संकट पर The Mooknayak की रिपोर्ट के बाद AAP ने उठाई आवाज, बड़े आंदोलन की घोषणा

जयपुर- The Mooknayak- English द्वारा 14 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट "Surviving on Credit — How 65,000 Govt Schools in Rajasthan Are Struggling to Stay Afloat Before March 31" के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे को उठाते हुए एक बड़े आंदोलन की घोषणा की है। पार्टी ने राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में गहराते वित्तीय संकट को लेकर सरकार को जवाबदेह बनाने का फैसला किया है।

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया ने मूकनायक द्वारा प्रकाशित खबर पर संज्ञान लिया और आम आदमी पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर आवाज उठाने का फैसला किया गया।

The Mooknayak की रिपोर्ट में राजस्थान के 65,000 सरकारी स्कूलों की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए Composite School Grant (CSG) का केवल 16% बजट ही जारी किया गया है। यह ग्रांट बिजली, पानी के बिल, सफाई, स्टेशनरी और स्कूलों की मरम्मत जैसे बुनियादी खर्चों के लिए अहम है। 84% बजट अभी तक जारी नहीं होने के कारण स्कूलों का संचालन मुश्किल हो गया है, और प्रिंसिपल अपनी जेब से खर्च चलाने या उधार के सहारे गुजारा करने को मजबूर हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य बिंदु


1️⃣ राजस्थान के सरकारी स्कूलों में भारी संकट

  • 64% जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के पद खाली हैं।

  • 80% चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है, जिससे विद्यालयों की बुनियादी सुविधाएँ प्रभावित हो रही हैं।

  • Grade-II शिक्षकों के 47% पद रिक्त हैं, जिससे पढ़ाई बाधित हो रही है।

  • सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 1,43,166 पद रिक्त हैं।

  • राजस्थान में कुल 27,700 सफाईकर्मियों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 22,455 पद खाली पड़े हैं।

  • शिक्षा मंत्री के गृह जिले में भी शिक्षा व्यवस्था की हालत बहुत खराब है।

2️⃣ CSG अनुदान न मिलने से स्कूलों का संकट बढ़ा

  • यह ग्रांट स्कूलों के संचालन, मरम्मत, बिजली, पानी, सफाई और स्टेशनरी जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए दी जाती है।

  • 2024-25 के बजट में केवल 16% अनुदान ही जारी किया गया, जबकि इसे नवंबर-दिसंबर 2023 तक जारी हो जाना चाहिए था।

  • जयपुर, झुंझुनू, अलवर, सीकर, कोटा सहित 100 से अधिक स्कूल प्रिंसिपलों ने पुष्टि की कि उन्हें यह फंड अब तक नहीं मिला।

3️⃣ 100 से अधिक स्कूलों के प्रिंसिपलों ने बजट की कमी की पुष्टि की

  • कई स्कूलों को जरूरी सामान उधार लेना पड़ा, लेकिन अब विक्रेता भुगतान न होने के कारण दबाव बना रहे हैं।

  • कुछ प्रिंसिपलों ने अपनी जेब से भुगतान किया, लेकिन अब आगे के संचालन में कठिनाई हो रही है।

  • इस बजट संकट के कारण स्कूलों का रोजमर्रा का संचालन प्रभावित हो रहा है।

4️⃣ अन्य महत्वपूर्ण अनुदान भी जारी नहीं हुए

  • CRC ग्रांट (₹80,000) – जिसमें TA भत्ता, उपकरणों की खरीद और आकस्मिक खर्च शामिल हैं।

  • खेल अनुदान (₹25,000) – जिससे खेल सामग्री और गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं।

  • परिवहन वाउचर राशि (प्रति छात्र ₹10-₹20) – जो छात्रों के परिवहन खर्च के लिए है।

  • स्कूल यूनिफॉर्म DBT ट्रांसफर – जिसकी राशि बढ़ाकर ₹200 प्रति छात्र की जानी थी, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ।

5️⃣ केंद्र सरकार की अनदेखी या चुनावी प्राथमिकता?

  • जब अधिकारियों से पूछा गया कि CSG अनुदान अब तक क्यों नहीं जारी हुआ, तो बताया गया कि केंद्र सरकार ने अब तक इसका अपना हिस्सा जारी नहीं किया।

  • कुछ प्राचार्यों ने दावा किया कि चुनावी प्राथमिकताओं के आधार पर राज्यों को फंड दिया जा रहा है।

  • यदि यह सच है, तो यह बेहद गंभीर जांच का विषय है।

आप के राजस्थान प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक मिश्रा ने कहा, "बीजेपी इस गंभीर मुद्दे पर कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रही है और कांग्रेस भी इस विषय को नहीं उठा रही है। यह दर्शाता है कि दोनों पार्टियाँ राजस्थान के बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आवाज उठाएगी और सरकार को जवाबदेह बनाएगी।"

वरिष्ठ नेता आशुतोष रांका ने कहा, "हम आम आदमी पार्टी के नेता होने के नाते आम जनता की आवाज़ उठाने की जिम्मेदारी लेते हैं। राजस्थान में इसी उद्देश्य से हमने इस मुद्दे को उठाया है। बीजेपी सरकार को जवाब देना होगा कि वे स्कूलों के लिए बजट क्यों नहीं जारी कर रहे हैं। अगर शिक्षा को लेकर उनकी नीति साफ है, तो वे अनुदान जारी करने में देरी क्यों कर रहे हैं?"

आम आदमी पार्टी जल्द ही मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्रों में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने जा रही है, जिसमें जमीनी स्तर पर जाकर यह दिखाया जाएगा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति कितनी भयावह है।

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